पारंपरिक धुन और उत्कृष्ट अभिनय के साथ कालबेलिया उत्सव सम्पन्न
मनोहारी प्रस्तुतियों ने छोड़ी यादगार छाप
जोधपुर,राजस्थान पर्यटन विभाग एव यूनेस्को के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कालबेलिया संगीत एवं नृत्य उत्सव यादगार प्रस्तुतियों के साथ रविवार रात सम्पन्न हो गया। लोक सांस्कृतिक परंपराओं में मशहूर कालबेलिया नृत्य-संगीत की मनोहारी प्रस्तुतियों ने अभिनय कला और सांगीतिक पक्षों के तमाम हुनरों और विलक्षणताओं से रूबरू कराते हुए देशी-विदेशी पर्यटकों, मेहमानों और कद्रदानों को आनंद से सराबोर कर दिया।
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कालबेलिया उत्सव के समापन दिवस पर भी राजस्थानी संस्कृति एवं परंपरा की आभा की धूम रही। रविवार को जसवंत थड़ा में डूबते सूरज के साक्ष में मनोरम कालबेलिया नर्तकों ने अपने उत्कृष्ट नृत्य और पारंपरिक संगीत के साथ लोक संस्कृति के रस-रंगों की सरिताएं बहा दीं। यह उत्सव कालबेलिया के गांव चौपासनी में सुबह 11 बजे शुरू हुआ,जहाँ समुदाय ने अपने गांव में सभी क्षेत्रों से आए लोगों का स्वागत किया और उनके लोक नृत्य के परंपरागत इतिहास और अभ्यास के बारे में उनसे बातचीत की।
सांस्कृतिक सांझ की शुरुआत प्रसिद्ध नर्तकी आशा सपेरा के नृत्य प्रदर्शन और कार्यशाला के साथ हुई, जिन्होंने एल बाको फ्लेमिन्को के साथ सहयोग किया है। आशा के प्रदर्शन के बाद शाम को शेरनाथ और टीम,अप्पनाथ और टीम सहित विभिन्न कालबेलिया उस्तादों का लुभावना नृत्य प्रदर्शन खूब जमा। मंत्रमुग्ध कर देने वाले कालबेलिया नृत्य के बीच जैसलमेर के कठपुतली कलाकारों ने अपने लाइव कठपुतली शो के साथ मेहमानों को खासा गुदगुदाया और मनोरंजन के जरिये कठपुतली कला के महत्व को समझाया।
दो दिवसीय उत्सव का समापन कालबेलिया नृत्य और समुदाय के लिए समर्पित,देश-विदेश में इस कला के प्रचार-प्रसार एवं प्रदर्शन में अतुलनीय योगदान दे रहे कालबेलिया गुरु कालूनाथ कालबेलिया की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की प्रस्तुति से हुआ। कद्रदानों ने करतल ध्वनि से कलाकारों के प्रदर्शनों को जमकर दाद दी।
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