जोधपुर: अत्यंत दुर्लभ प्रिसैक्रल श्वान्नोमा ट्यूमर की सफल सर्जरी

  • मथुरादास माथुर अस्पताल

जोधपुर(डीडीन्यूज),जोधपुर: अत्यंत दुर्लभ प्रिसैक्रल श्वान्नोमा ट्यूमर की सफल सर्जरी। संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल मथुरादास माथुर चिकित्सालय में चिकित्सा जगत की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की गई है। यहां 39 वर्षीय महिला मरीज की पीठ के निचले हिस्से में दर्द,पेट में भारीपन,खिंचाव तथा भूख में कमी जैसी शिकायतों के चलते भर्ती किया गया। यह जटिल सर्जरी,वरिष्ठ सर्जन डॉ.दिनेश दत्त शर्मा एवं उनकी टीम द्वारा सफलता पूर्वक संपन्न की गई।

मरीज ने बताया कि उसे यह तकलीफ पिछले एक वर्ष से थी, लेकिन हाल ही में महिलाओं से जुड़ी समस्या के चलते जांच कराने पर पेट में गांठ का पता चला। जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि यह एक अत्यंत दुर्लभ प्रकार की गांठ प्रिसैक्रल श्वान्नोमा है,जो रेट्रोपरिटोनियम (पेट के पिछले भाग) में स्थित थी।

डॉ.दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि मरीज की जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि यह एक अत्यंत दुर्लभ प्रकार की गांठ है,जिसे प्रिसैक्रल श्वान्नोमा कहा जाता है। यह ट्यूमर शरीर की नसों की बाहरी झिल्ली से उत्पन्न होता है और आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है। यह गांठ पेट के पीछे,रेट्रोपेरिटोनियम और रीड की हड्डी के सामने वाले हिस्से जिसे प्रिसैक्रल रीजन कहा जाता है में पाई गई।

प्रिसैक्रल ट्यूमर स्वयं ही अत्यंत दुर्लभ होते हैं और उनमें भी श्वान्नोमा का पाया जाना और भी असामान्य है। मेडिकल साहित्य के अनुसार, प्रिसैक्रल श्वान्नोमा की अनुमानित घटना दर 20 से 50 लाख जनसंख्या में एक से भी कम होती है। कई बार यह ट्यूमर वर्षों तक बिना किसी स्पष्ट लक्षण के शरीर में बढ़ता रहता है और जब लक्षण प्रकट होते हैं तो ये पेल्विक दर्द,पीठ के निचले हिस्से में दर्द,पेशाब या मलत्याग में समस्या के रूप में सामने आते हैं। मरीज की गांठ का आकार लगभग 7× 7 × 4 सेमी था।
इस ट्यूमर की विशेषता यह थी कि यह एब्डॉमिनल एओरटा और इन्फीरियर वेना केवा के बाइफर केशन (विभाजन) पर स्थित थी और दोनों रक्त वाहिकाओं से चिपकी हुई थी। इसके अलावा यह पेशाब की नली (यूरेटर) से भी सटा हुआ था, जिससे ऑपरेशन की जटिलता कई गुना बढ़ गई थी।

इस सर्जरी में प्रमुख जोखिम थे 
प्रमुख रक्त वाहिकाओं का कटना, यूरेटर या आसपास के महत्वपूर्ण अंगों को क्षति,पेशाब में असंयम और यहां तक कि लकवे की संभावना लेकिन मथुरादास माथुर अस्पताल के कुशल चिकित्सकों ने अत्यंत सावधानी पूर्वक इस गांठ को हटाया साथ ही सभी महत्वपूर्ण संरचनाओं को सुरक्षित रखा। ऑपरेशन टीम का नेतृत्व डॉ.दिनेश दत्त शर्मा ने किया,जिनके साथ डॉ. पारंग आसेरी,डॉ.क्षेत्रपाल डाबी,डॉ. हेमंत कुमार,डॉ.कुणाल चितारा, तथा सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डॉ. सुभाष बलारा और डॉ.अमित चौधरी की टीम ने रक्त वाहिकाओं की जटिल संरचनाओं का संरक्षण एवं मरम्मत का कार्य किया।

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एनेस्थीसिया विभाग से डॉ.गीता सिंगारिया,डॉ.गायत्री तंवर और डॉ. मोनिका ने सफल संज्ञाहरण प्रदान किया। नर्सिंग टीम में दिलीप,रेखा पवार,कलावती चौधरी,अंजू सैनी सहित पूरी टीम का योगदान सराहनीय रहा। सर्जरी के पश्चात मरीज पूरी तरह स्वस्थ है,सामान्य रूप से भोजन कर रही है एवं सभी लक्षणों से मुक्त है। उसे आज अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

अस्पताल अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित ने बताया कि मथुरादास माथुर चिकित्सालय में इस प्रकार की जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी नियमित रूप से की जाती हैं। उन्होंने तथा डॉ.बीएस जोधा,प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर के ने पूरी टीम को इस सफल ऑपरेशन के लिए बधाई दी।