भारतीय हथकरघा सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रतीक-प्रो प्रसाद

राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

जोधपुर(डीडीन्यूज),भारतीय हथकरघा सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रतीक-प्रो प्रसाद। राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान की ओर से पारंपरिक भारतीय हथकरघा वर्तमान और भविष्य की चुनौतियाँ एवं अवसर पर मंगलवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

सेमिनार में संस्थान के निदेशक प्रोफ़ेसर जीएचएस प्रसाद ने कहा कि निफ्ट अपनी उल्लेखनीय यात्रा के चालीस वर्ष पूरे कर रहा है,ऐसे में हम भारत की हथकरघा विरासत की समृद्ध परम्परा पर विचार विमर्श कर रहे हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो न केवल सदियों पुरानी शिल्पकला और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रतीक है,बल्कि वैश्विक फैशन और वस्त्र क्षेत्र में राष्ट्र की पहचान को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। यह सेमिनार सार्थक संवाद,विचारों के आदान-प्रदान और अंतर-विषयक दृष्टिकोणों को बढ़ावा देगी ताकि एक ऐसे भविष्य की रूप रेखा तैयार की जा सके जहाँ परंपरा और तकनीक सामंजस्य के साथ सह-अस्तित्व में रह सकें।

उन्होंने कहा यहाँ होने वाले विचार- विमर्श न केवल अकादमिक अन्वेषण को समृद्ध करेंगे,बल्कि कारीगरों,उद्यमियों और नीति निर्माताओं के लिए व्यावहारिक दिशा-निर्देश भी प्रदान करेंगे। इस दौरान आईआईएचटी हैदराबाद के प्रिंसिपल वी.हिमजा कुमार ने हथकरघा क्षेत्र का परिचय और भारत के दक्षिणी भाग के पारंपरिक हथकरघा का अवलोकन विषय पर अपने विचार रखे।

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सेमिनार में रश्मि भारती ने पहाड़ी ऊन और अवनि मिट्टी शिल्प पर उत्तर भारत में हथकरघा प्रैक्टिस का एक अवलोकन पर विचार रखते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था,लचीलापन और सस्टेंबिलिटी पर प्रकाश डाला। इस दौरान कारीगर क्लिनिक के सीईओ डॉ नीलेश प्रियदर्शी ने कहा कि भारतीय हथकरघा का पारंपरिक पश्चिमी भाग और स्वदेशी 2.0 कार्य सक्रिय है,उन्होंने काले कपास के माध्यम से उद्यमिता,स्थिरता और पहचान विषय पर विस्तार से चर्चा की।

इसके बाद बुनकरो,कारीगरों को सतत आजीविका प्रदान करने के लिए भारतीय हथकरघा: वर्तमान चुनौतियाँ,मुद्दे,भविष्य के अवसर और रणनीतियाँ विषय पर पैनल डिस्कशन किया गया। इस दौरान संयुक्त निदेशक डॉ जन्मय सिंह हाडा,वस्त्र डिजाइन विभाग की कॉर्डिनेटर डॉ आकांक्षा पारीक, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ चेतराम सहित सभी फैकल्टी मेंबर्स और कर्मचारी उपस्थित थे।