ग्लोबल नौकरी की दौड़ में सिर्फ IIT का टैग नहीं कौशल की जरूरत
लंदन स्थित टेक प्रोफेशनल का संदेश हल्द्वानी में गूंजा
हल्द्वानी(डीडीन्यूज),ग्लोबल नौकरी की दौड़ में सिर्फ IIT का टैग नहीं कौशल की जरूरत। आज के दौर में केवल बड़ी डिग्रियों और प्रतिष्ठित संस्थानों का नाम सफलता की गारंटी नहीं है,यह स्पष्ट संदेश हल्द्वानी में आयोजित एआई जागरूकता कार्यक्रम में दिया गया। विजएआई रोबोटिक्स द्वारा आयोजित यह साप्ताहिक कार्यक्रम डॉ.डीडी पंत पार्क,एमबीपीजी कॉलेज के सामने आयोजित हुआ, जहां युवाओं,तकनीकी छात्रों और अभिभावकों ने भारी संख्या में भागीदारी की।
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कौशल की अहमियत पर जोर
कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ डेटा वैज्ञानिक डॉ.अरविंद जोशी ने की। उन्होंने बताया कि आज एआई की तकनीक हर क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी है,चाहे बैंकिंग हो,फार्मास्यूटिकल, अंतरिक्ष अनुसंधान हो या कृषि। अब केवल डिग्रियों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। नौकरी की परिभाषा बदल रही है और कंपनियां अब उन युवाओं की तलाश में हैं जिनके पास वास्तविक कौशल है। उन्होंने रेखांकित किया कि एआई अब पारंपरिक नौकरियों को स्वचालित कर रहा है और इससे जॉब प्रोफाइल्स तेजी से बदल रहे हैं।
डॉ.आयुषी मठपाल ने साझा की एक प्रेरक पोस्ट
विजएआई रोबोटिक्स की उपाध्यक्ष डॉ.आयुषी मठपाल ने कार्यक्रम में एक पोस्ट साझा की जो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है। पोस्ट में लंदन स्थित टेक प्रोफेशनल कुनाल कुशवाहा ने एक अनुभव साझा किया,जिसमें उन्हें एक नौकरी के लिए रेफरल का अनुरोध मिला,जिसकी शुरुआत थी“I’m an IIT alumnus.कुनाल ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा: मैं समझता हूं कि नौकरी ढूंढना मुश्किल होता है लेकिन जब आप किसी को मैसेज करते हैं और उसमें केवल कॉलेज का नाम लिखा होता है,तो आपकी असल विशेषता छुप जाती है।
डॉ.मठपाल ने इस प्रसंग के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि आज के अभिभावकों को यह सोचने की आवश्यकता है कि क्या करोड़ों रुपये की महंगी डिग्री ही सफलता की कुंजी है? हमें अपने बच्चों को तकनीकी और व्यवहारिक कौशल के साथ आगे बढ़ाना होगा।
कार्यक्रम का समापन: हल्द्वानी को तकनीकी हब बनाने का संकल्प
कार्यक्रम का समापन करते हुए डॉ. अरविंद जोशी ने कहा कि यदि आज का युवा केवल किताबों तक सीमित रहेगा और तकनीक से दूरी बनाए रखेगा तो वह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बहुत पीछे रह जाएगा। हमें बच्चों को केवल उपभोक्ता नहीं,निर्माता बनाना है।
उन्होंने कहा कि हल्द्वानी को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना अब केवल एक सपना नहीं,बल्कि आवश्यकता है। आइए,हम सब मिलकर हल्द्वानी को उत्तराखंड की सिलिकॉन वैली बनाएं। उन्होंने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे इस तकनीकी परिवर्तन की यात्रा का हिस्सा बनें और अपने बच्चों के भविष्य को कौशल आधारित शिक्षा से सशक्त करें।