हिंदी दिवस पर विशेष
लेखक – रवि शंकर शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार एवं स्तंभकार)
हिंदी विश्व की प्राचीन समृद्ध और सरल भाषा है और यह भाषा भारत ही नहीं, बल्कि दुनियां के कई देशों में बोली जाती है। इसे भारत में राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हिंदी भाषी लोगों की सबसे बड़ी संख्या भारत में है। 55 करोड़ से अधिक भारतीय हिंदी बोलते हैं। दुनिया की भाषाओं का इतिहास संजोने वाली संस्था एथ्नोलॉग के मुताबिक हिंदी दुनियां में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
1918 में आयोजित हिंदी साहित्य सम्मेलन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की पहल की थी। गांधीजी ने हिंदी को जनमानस की भाषा बताया था। अब आते हैं राष्ट्रभाषा, मातृभाषा और राजभाषा पर तो इन तीनों को लोग सामान्य रूप से एक समझ लेते हैं। जबकि इनमें मूलभूत अंतर है। वह भाषा जो देश के अधिकांश लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है वह राष्ट्र भाषा कहलाती है। यह देश की संस्कृति से जुड़ी रहती है और जन्म के बाद जो भाषा हम अपने माता-पिता और परिवेश से सीखते हैं वह मातृभाषा होती है। फिर शासन द्वारा स्वीकृत भाषा, जिसमें राज-काज होता है और जो विशेष रूप से राजकीय प्रयोजनों में प्रयुक्त होती है,उसे राज भाषा कहते हैं।
इसके अलावा विश्व में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था, तभी से इस दिन को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं। हमारे देश में जितने भी प्रदेश हैं, वहां की कोई भी मातृभाषा क्यों ना हो, लेकिन वहां के लोग न केवल हिंदी भाषा भी जानते हैं और बोलते हैं, बल्कि हिंदी की फिल्मों को भी बहुत रुचि से देखते हैं। आजकल अफगानिस्तान पर भी तमाम चैनलों पर जो बहस प्रसारित की जा रही है, उसमें भी अफगानिस्तान के जो लोग भाग ले रहे हैं, वे सभी हिंदी में चर्चा करते हैं। ब्रिक्स के सम्मेलन को भी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंदी में ही संबोधित किया, जबकि चीन जैसे देश के राष्ट्रपति ने अंग्रेजी में। यह हमारी बड़ी सफलता है और हिंदी के वैश्वीकरण की ओर बढ़ते कदम भी।
प्रसिद्ध सिने स्टार अमिताभ बच्चन का भी मानना है कि अंग्रेजी और अन्य भाषाएं बेशक सीखें, लेकिन बच्चों व किशोरों की हिंदी में रुचि बढ़ाने के लिए उन्हें लगातार प्रेरित करने की जरूरत है। यह प्रेरणा उन्हें माता-पिता या उनके अध्यापक ही दे सकते हैं। अमेरिका में बोली जाने वाली दक्षिण एशियाई भाषाओं में हिंदी अभी पहले पायदान पर आती है। हिंदी की विशेषता यह है कि यह विकासशील भाषा है और समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को यह स्वीकार भी कर रही है। हिंदी सिर्फ़ भारत में ही नहीं बोली जाती, यह दुनिया के 30 से अधिक देशों में बोली जाती है। भारत के लोग दुनियां के जिस हिस्से में भी हैं, हिंदी का स्वरूप वहां किसी न किसी रूप में विद्यमान है। हिंदी बोलने और लिखने वाले लोग लगातार बढ़ रहे हैं और अच्छी बात यह है कि टेक्नोलोजी में भी इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है।
अक्सर अंग्रेजी से पिछड़ने और कमतर समझी जाने वाली हिंदी ने इंटरनेट की दुनियां में भी अपनी पहचान बनाई है। इस बारे में गूगल ने कुछ दिलचस्प आंकड़े बताए हैं। गूगल की एक रिपोर्ट के मुताबिक जल्दी ही अंग्रेजी को पीछे छोड़ देगी हिंदी। इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं में सबसे ज्यादा हिंदी का इस्तेमाल होता है। 21 अगस्त 2018 को मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुइस में तीन दिन का 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ था। इसमें मार्गदर्शन मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने हिंदी और हिंदुस्तान पर भावुक भाषण दिया था। उन्होंने कहा कि यदि भारत को माता कहते हैं तो माॅरीशस उस माता का पुत्र है। उन्होंने मॉरीशस की आजादी में हिंदी का योगदान बताते हुए कहा कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने की कोशिशों में मॉरीशस पूरी तरह समर्थन देगा। उन्होंने कहा कि अन्य भाषाओं की तरह हिंदी को भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने अपने देश के सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक विकास में हिंदी की भूमिका को स्वीकार करते हुए मॉरीशस में हिंदी मंत्रालय की स्थापना पर खुशी जताई।
इस अवसर पर तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनवाने के लिए दुनियां भर के हिंदी प्रेमियों का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अब हिंदी में साप्ताहिक बुलेटिन प्रसारित करने लगा है। श्रोता बढ़ने पर यह हिंदी बुलेटिन दैनिक हो जाएगा। इसी तरह से संयुक्त राष्ट्र ने हिंदी में ट्यूटर अकाउंट बनाया है। इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वर्ल्ड इकोनाॅमिक फोरम जैसे मंच पर हिंदी में भाषण देकर मोदी ने बता दिया कि वह अपनी भाषा को कितना सम्मान देते हैं। हिंदी सम्मेलन में यह भी कहा गया कि अब समय आ गया है कि हिंदी को दुनिया में बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए। इसके लिए सभी को प्रयास करना होगा।
दुनिया भर में 6500 भाषाएं बोली या लिखी-पढ़ी जाती हैं। भाषाओं के इस मेले में हिंदी अपनी वैश्विक पहचान बना रही है। आधार,अच्छा और बापू जैसे शब्द न सिर्फ ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने अपनाएं हैं, बल्कि कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी हिंदी के शब्द शामिल किए जा रहे हैं। अरे यार, भेलपूरी, चूड़ीदार, ढाबा, बदमाश, फंडा, चाचा चौधरी, चमचा, दादागीरी, जुगाड़, पायजामा, कीमा, पापड़ करी, चटनी, अवतार, चीता, गुरु- ये शब्द पहले से ही शामिल हैं।
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी की वर्ल्ड इंग्लिश एडिटर डेनिका सालाजार के अनुसार, अब तक हिंदी के 900 शब्दों को डिक्शनरी में जगह मिल चुकी है। इसी तरह बापू, सूर्य नमस्कार और अच्छा शब्द शब्दकोश में जगह बना चुके हैं। 2017 में करीब 70 भारतीय शब्द ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में शामिल किए गए। इनमें 33 हिंदी के थे। 2017 में नारी शक्ति व 2018 में आधार शब्द को हिंदी शब्द ऑफ द ईयर के खिताब से नवाजा गया था। हिंदी को समृद्ध बनाने के लिए लंबे समय से कार्यरत मशहूर कोषकार और संपादक अभय मौर्य के मुताबिक किसी भी शब्द को पूर्ण होने के लिए हिंदी समेत अन्य भाषाओं के शब्दों की जरूरत होती है।
आज जरूरत इस बात की है कि हम हिंदी दिवस को एक औपचारिकता न बना कर साल के 365 दिन हिंदी दिवस मनाएं और इसके विश्वव्यापी प्रसार के लिए काम करें।
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