जिनको कैंसर नहीं उनको ओपीडी पर्ची पर लिख रहे डेढ़ से पौने चार लाख तक की दवाई

  • आरजीएचएस कैंसर दवा घोटला
  • आरोपी जुगल झंवर का पुलिस रिमांड दो दिन बढ़ाया
  • निजी अस्पताल के आरजीएचएस लाइसेंस पर लटक रही निलंबन की तलवार

जोधपुर,जिनको कैंसर नहीं उनको ओपीडी पर्ची पर लिख रहे डेढ़ से पौने चार लाख तक की दवाई। शहर में कैंसर के इलाज के नाम पर आरजी एचएस में करोड़ों की दवा के पैसे उठाने के नाम पर हुए घोटाले में बासनी स्थित निजी अस्पताल की छह पर्चियों से ही लाखों रुपए उठ गए। इनमें वे पर्चियां हैं जो मरीज के कैंसर नहीं होने के बावजूद उनकी ओपीडी स्लिप पर 50 हजार से 1.50 लाख रुपए तक की दवा लिखी जा रही थी। सभी पर्चियां एक डॉक्टर की लिखी बताई गई हैं। अब इन पर्चियों के अपलोड होने वाले सिस्टम के आईपी एड्रेस को खंगाला जा रहा है ताकि पता चल सके कि ये पर्चियां किस सिस्टम से अपलोड की गई थी। नामजद लाभार्थियों में से भी ऐसे मरीजों की पर्चियां सामने आई हैं जिन्हें बीमारी नहीं होने के बावजूद ओपीडी पर्ची पर डेढ़ लाख से पौने चार लाख रुपए तक की दवा एक दिन में लिखी गई। जांच की आंच अब निजी अस्पताल के आरजीएचएस लाइसेंस तक पहुंच सकती है।

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बासनी थानाधिकारी जितेंद्र सिंह ने बताया कि डॉक्टर्स के खिलाफ आरोप प्रमाणित होने पर ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। पुलिस हर पहलू पर जांच कर रही है।इसमें दलालों की धरपकड़ किया जाना है दरअसल,बीते दिनों शहर के झंवर मेडिकल स्टोर से कैंसर की दवा के लाखों के बिल लगातार आरजीएचएस सिस्टम में भुगतान के लिए आने पर शक हुआ। जांच शुरू हुई तो पता चला कि दलालों,डॉक्टर्स व निजी अस्पताल की मिलीभगत से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज के नाम पर सरकार से दवाओं का पैसा उठाया जा रहा है। जांच में 45 लाभार्थियों का खुलासा हुआ,जिनकी मिलीभगत से झंवर मेडिकल के जुगल झंवर ने करोड़ों की दवाइयों के पैसे उठाए। इस जांच में छह पर्चियां ऐसी मिली जो बासनी स्थित निजी अस्पताल के एक डॉक्टर की थी। गंभीर पहलू यह है कि ये सभी पर्चियां निजी अस्पताल से ही आरजीएचएस के सिस्टम में अपलोड की गई थी। इन पर भी लाखों की दवाइयों का भुगतान उठा है। लाभार्थी मोहन कंवर के बारे में इस अस्पताल ने दो बयान दिए। दोनों ही बयानों में मरीज की ओपीडी शुल्क अस्पताल ने उठाया। मोहन कंवर ने डॉक्टर की पर्चियों पर करीब साढ़े चार लाख रुपए की कैंसर की दवा देना बताया गया,हकीकत में यह कैंसर की मरीज ही नहीं थी। बाड़मेर की लाभार्थी संतोष के नाम पर भी लाखों की दवाओं के बिल उठे। इनकी पर्ची पर ओपीडी में एक बार में साढ़े तीन लाख रुपए से ज्यादा की दवाएं लिखी जा रही थी। यह पर्ची हर महीने बनती थी और झंवर मेडिकल से इन दवाओं की प्राप्ति मरीज को दिखाई जाती थी। एक अन्य लाभार्थी इंद्रा पंवार के नाम पर भी लाखों का बिल काटा गया है। उसकी पर्ची पर एक दिन एक लाख तो 15 दिन बाद फिर से एक लाख की दवा लिखी गई। इसी मरीज की अन्य पर्चियों पर डेढ़ से दो लाख की दवा ओपीडी की पर्ची पर लिखी जाती रही। सूत्रों की मानें तो ऐसी सैंकड़ों पर्चियां हैं,जिनकी जांच होने पर यह घोटाल बड़े स्तर का हो सकता है। इधर, पुलिस ने झंवर मेडिकल के जुगल झंवर को सात दिन की रिमांड पूरी होने पर गुरुवार को कोर्ट में पेश कर तीन दिन का रिमांड मांगा। कोर्ट ने झंवर का रिमांड दो दिन के लिए बढ़ा दिया है। पुलिस अब झंवर मेडिकल के स्टॉक सत्यापन में हुए खुलासे को भी अपनी जांच में शामिल कर इस गिरोह के लोगों के बारे में छानबीन कर रही है।

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