एमडीएमएच में ब्रेन एनीयुरिज्म का पहला सफल इलाज
- 51 वर्षीय रासल कंवर को कोइलिंग और फ्लो डाइवर्टर तकनीक से मिला जीवनदान
जोधपुर(डीडीन्यूज),एमडीएमएच में ब्रेन एनीयुरिज्म का पहला सफल इलाज। मथुरादास माथुर अस्पताल (एमडीएम),जोधपुर ने न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। 51 वर्षीय महिला रासल कंवर,जो गंभीर सिरदर्द,चक्कर और दृष्टि धुंधली होने की शिकायत के साथ अस्पताल पहुंचीं थीं,को जांच के बाद दाहिनी आंतरिक कैरोटिड आर्टरी (Right ICA) में विशाल ब्रेन एनीयुरिज्म (Giant Aneurysm) से ग्रसित पाया गया।
यह एक जटिल और जानलेवा स्थिति होती है,जिसके लिए एमडीएम अस्पताल में पहली बार अत्याधुनिक न्यूरोइंटरवेंशनल तकनीक-कोइलिंग और फ्लो डाइवर्टर का उपयोग करते हुए सफल उपचार किया गया।
इस ऐतिहासिक चिकित्सा उपलब्धि का नेतृत्व न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ.शरद थानवी ने किया। उन्हें इस कार्य में एसएमएस मेडिकल कॉलेज,जयपुर से आमंत्रित विशेषज्ञों डॉ.त्रिलोचन श्रीवास्तव (सीनियर प्रोफेसर,न्यूरोलॉजी) और डॉ.अशोक गांधी (सीनियर प्रोफेसर, न्यूरोसर्जरी)का सहयोग प्राप्त हुआ।
न्यूरोसर्जरी टीम में डॉ.हितेश पी. बुलचंदानी (असिस्टेंट प्रोफेसर) और रेज़िडेंट डॉक्टर्स डॉ.अमन राज,डॉ. राहुल राय,डॉ.मोहम्मद फैज़ मलिक, और डॉ.खगेश के.आनंद शामिल थे, जिन्होंने सर्जरी की सफलता में अहम भूमिका निभाई। नर्सिंग स्टाफ में रामप्रसाद,भारत कुमार,अजहर, टेक्नीशियन हनुवंत चौहान और मदन गोपाल शामिल थे।
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एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. राकेश कर्णावत और डॉ.मनीष झा ने किया,जिनके साथ रेज़िडेंट डॉ. जीवन मोगली ने सहयोग प्रदान किया। इस जटिल और उच्च जोखिम वाली प्रक्रिया के सफल निष्पादन के लिए अधीक्षक डॉ. विकास राजपुरोहित और प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ.बीएस जोधा ने संपूर्ण टीम की सराहना की और इसे एमडीएम अस्पताल के लिए एक मील का पत्थर बताया।
इलाज के बाद रासल कंवर को आज स्वस्थ और स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई,जो इस उन्नत चिकित्सा प्रयास की सफलता को दर्शाता है।