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हिंदी शब्दों का बढ़ाएं ज्ञान,जिज्ञासा का करें समाधान

शब्द संदर्भ:- (94) समाधि

लेखक – पार्थसारथि थपलियाल

जिज्ञासा

यमुनानगर से जितेंद्र शर्मा ने अपनी जिज्ञासा व्यक्त की है पिछले दिनों दिल्ली में राजघाट गया था, बापू की समाधि देखकर यह जानने की इच्छा हुई समाधि क्या है?

समाधान

यह शब्द संस्कृत भाषा का है। इसका सर्वाधिक उपयोग पतंजलि योग दर्शन के अंतर्गत हुआ है। “मन को केंद्रित कर ब्रह्म में स्थिर करने की स्थिति को समाधि” कहते हैं। प्राचीन ऋषि जो योग क्रिया के माध्यम क् समाधि में चले जाते थे उस अवस्था में उनकी प्रज्ञा जाग्रत होती थी। उस स्थिति में वे देह से निकलकर उस ज्ञान मार्ग पर होते थे जो परम सत्य था। गौतम बुद्ध, भगवान महावीर भी उसी प्रज्ञा चेतना के माध्यम से ज्ञान प्राप्त करते थे।

पतंजलि योग सूत्र के अष्टांग योग-यं, नियम,आसान,प्राणायाम,प्रत्याहार, धारणा,ध्यान और समाधि में यह आठवीं स्थिति है। यह योग साधना का चरम बिंदु है। इस स्थिति में साधक सांसारिक विषयों से ऊपर उठ चुका होता है। प्रज्ञा प्राप्त करने के लिए समाधि अवस्था तक पहुंचने के विभिन्न चरण हैं।

1.” यं” के अंतर्गत व्यवहारगत क्रियाएं आती हैं जैसे- हिंसा न करना, सत्य बोलना,चोरी न करना, ब्रह्मश्चर्य का पालन करना, और अनावश्यक संग्रह की प्रवृति से बचना।

2.नियम-नियम के अंतर्गत आचरण संबंधी क्रियाएं हैं जैसे-शौच,संतोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान।

3.आसान-स्थिर तथा सुखपूर्वक बैठने को आसान कहते हैं।

4.प्राणायाम-सांस लेने और छोड़ने की गति को रोकना प्राणायाम है।

5.प्रत्याहार-एकाग्र चित्त होकर बैठना प्रत्याहार है।

6.धारणा-एकाग्र चित्त में ध्येय लगाना, धारणा है।

7.ध्यान-जिसका ध्यान कर रहे हैं उसके अनुसार चित्त को स्थिर करना, ध्यान है।

8.समाधि-चित्त (मन) की वह अवस्था जिसमे चित्त ध्यान की जा रही वस्तु में लीन हो जाय यह समाधि अवस्था है।

सन्यासी या योगी ब्रह्म को चित्त में लाते हैं उसी में समा जाते हैं। ब्रह्म में समा जाना ही समाधि है। यह प्रज्ञा मार्ग सर्वोच्च स्थान है।

समाधि शब्द का दूसरा पहलू यह भी है कि सन्यासियों के देह त्यागने की स्थिति में उनका अंतिम संस्कार समाधि स्थिति में ही किया जाता है। उनकी बैकुंठी निकाली जाती है। देह नश्वर हो जाने के तुरंत बाद उन्हें समाधि मुद्रा में बैठा दिया जाता है। एक पालकी में ससम्मान उन्हें ले जाकर भूमि दाह दिया जाता है। यह संस्कार समाज के कई वर्गों में खासकर दसनामी सम्प्रदाय में भी प्रचलित है।

हमारे देश में अनेक महापुरुषों के चितास्थल (अंत्येष्टि स्थल) को भी समाधि स्थल कहने की परंपरा चल पड़ी है। इन स्थलों को स्मृति स्थल या स्मारक कहा जाय तो सही है। प्रचलन में गांधीजी के अंत्येष्टि स्थल को राजघाट समाधि, नेहरूजी के अंत्येष्टि स्थल को नेहरुजी की समाधि शांतिवन, इंदिरा गांधी की समाधि को शक्तिस्थल इन सामाधियों के कुछ नाम हैं।

“यदि आप भी जानना चाहते हैं किसी हिंदी शब्द का अर्थ व व्याख्या तो अपना प्रश्न यहां शब्द संदर्भ में पूछ सकते हैं।”

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