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शब्द संदर्भ :-(91) प्रदक्षिणा

लेखक  पार्थसारथि थपलियाल

जिज्ञासा

प्रदक्षिणा किसे कहते हैं? क्या प्रदक्षिणा और परिक्रमा एक ही है?

समाधान

पूरे ब्रह्मांड को देखेंगे तो समझ आएगा कि सभी ग्रह-नक्षत्र किसी न किसी केंद्र बिंदु की परिक्रमा करते हैं। ये सभी निश्चित दूरी पर रह कर ऊर्जा प्राप्त करते हैं। जब भी हम मंदिर जाते हैं तब हम मंदिर की परिक्रमा करना नही भूलते। मंदिर में जाकर मंदिर को केंद्र में रखकर घड़ी की सुई की दिशा में चलने को प्रदक्षिणा कहते हैं। प्रदक्षिणा और परिक्रमा एक ही क्रिया है। परिक्रमा करते समय परिक्रमा करने वाले का दायां हाथ मंदिर की ओर होता है। परिक्रमा पथ पर जाते समय हाथ हिलाकर जाने की बजाय, नमस्कार मुद्रा में चलते रहें। मंदिर दर्शन के बाद बाहर निकलकर एक बार भगवान को प्रणाम कर घंटी बजाकर उसके बाद दायां पैर उठाकर परिक्रमा शुरू की जाती है।

पुराने समय में लोग जब भी मंदिर में भगवान की प्रतिमा का दर्शन करने जाते वे नहाकर जाते थे। उनके बाल एवं वस्त्र गीले होते थे। शरीर के गीले होने की स्थिति में मंदिर की ऊर्जा अधिक मिलती है। मंदिर सकारात्मक ऊर्जा के स्रोत हैं। ऊर्जा मिलने का कारण मंदिर का स्थापत्य होता है। इस देश मे अद्भुत मंदिर है। एलोरा में स्थित कैलाश मंदिर निरंतर बनता गया। इसे बनने में 135 वर्ष लगे। मंदिर निर्माण के पीछे बहुत बड़ा विज्ञान होता है।

मंदिर परिक्रमा के अलावा भारत में विवाह के समय अग्नि परिक्रमा,वृक्ष परिक्रमा (आम के पेड़ की, पीपल के पेड़ की, बरगद के पेड़ की, तुलसी जी की) गाय की परिक्रमा, स्वयं की परिक्रमा (अपने स्थान पर खड़े होकर एक गोल चक्कर लगाना,) अंत्येष्टि के समय की परिक्रमा, नदी परिक्रमा (नर्मदा नदी, सरयू नदी, आदि), पर्वत परिक्रमा (गोवर्धन पर्वत, गिरनार, कामद गिरी, तिरुमलै आदि), छोटी चारधाम परिक्रमा (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरी नाथ), अयोध्या की पंच कोसी (25 किलोमीटर) परिक्रमा, ब्रज में गोवर्धन की सप्तकोसी परिक्रमा, ब्रह्ममण्डल की 84 कोसी परिक्रमा यह यात्रा सामान्यतः अधिमास के समय ब्रज में और कई अन्य स्थानों पर भी की जाती है।

ब्रज की इस यात्रा में 40 गांव, 12 वन, 24 उपवन, 4 कुंज, 4 निकुंज, 4 वनखंडी, 4 ओखर, 4 पोखर, 365 कुंड, 4 सरोवर, 100 कूप और 4 वावड़ी हैं। विभिन्न देवी देवताओं के मंदिर में परिक्रमा का अलग-अलग विधान है। शब्दकल्पद्रुम में बताया गया है कि शिवालय में आधी परिक्रमा करनी चाहिए। केवल उत्तरदिशा में सोमसूत्र ( जल निकासी की जगह से तक)।

भगवान विष्णु के (अवतारों सहित) मंदिर के 4 परिक्रमा, देवी के मंदिर में एक परिक्रमा, हनुमान जी के मंदिर में 3 परिक्रमा, सूर्य भगवान की 7 परिक्रमा अपने ही स्थान पर खड़े होकर दाहिने हाथ की ओर से मुड़कर घूमना ही परिक्रमा है। सोमवती अमावस्या के दिन बरगद, पीपल की 108 परिक्रमा, अन्य की 3 परिक्रमा।माता-पिता की 3 परिक्रमा। भारतीय समाज के कुछ वर्गों में विवाह के समय 4 परिक्रमाएं ही की जाती हैं संभवतः पुराने समय में युद्ध के कारण ऐसी प्रथा रही हो। बाकी समाजों में विवाह मंडप में अग्नि की 7 परिक्रमाएं की जाती हैं। परिक्रमा करते हुए ईश्वर का ध्यान करते हुए कुछ न कुछ शुद्ध अंत:करण से मन में कुछ बोलें। कोई मंत्र या स्तुति आदि। अथवा इस श्लोक को भी बोल सकते हैं-

यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च
तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिणा पदे पदे।।

“यदि आप भी किसी हिंदी शब्द का अर्थ व व्याख्या जानना चाहते हैं तो अपना प्रश्न शब्द संदर्भ में पूछ सकते हैं।”

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