- जांच और परख के बाद स्कूलों में मिला बच्चों का प्रवेश
- स्कूलों में लौटी चहलपहल
जोधपुर, शिक्षा के मंदिर विद्यालयों में आज से रौनक लौट आई। मगर ना तो टंकोर की गूंज सुनाई दी और ना ही मां सरस्वती के लिए प्रार्थनाएं हो पाई। कोविड की तीसरी लहर की आशंका के बीच राज्य सरकार ने स्कूलों को खोलने की अनुमति शर्तों के साथ दी। बैंचों में दूरियां रखी गई। बच्चे एक दूसरे से बतियाते इसके लिए भी पाबंदी ही देखी गई। स्कूल में प्रवेश से पहले उन्हें सेनेटाइज्ड किया गया तो पानी की बोलत, सेनेटाइजर आदि भी खुद को ही लानी पड़ी। एक दूसरे की वस्तुओं को छूने की मनाही तक है। रौनक बेशक लौटी मगर बच्चों के चेहरों पर मुस्कान के साथ कोविड का साया भी झलकता देखा गया।
बालवाहिनियां भी खूब दौड़ी, क्षमता से अधिक बच्चों को बिठाने के लिए सख्त पाबंदी के साथ बाल वाहिनी चालकों का टीकाकरण भी आवश्यक रखा गया। पांच माह बाद स्कूलों में लौटी रौनक से अभिभावक भी कुछ चिंतित नजर आए। कई तो अपने बच्चों को लेने खुद ही स्कूल जाते देखे गए। शहर में कोरोना माहमारी के बीच करीब 5 माह बाद बुधवार से बच्चों के लिए स्कूलों के दरवाजे खुल गए। सरकारी व निजी विद्यालयों में कक्षा 9वीं से 12वीं तथा विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों और कोचिंग संस्थानों में कक्षाओं का नियमित संचालन आज से प्रारम्भ हो गया ।
मास्क लगाकर पहुंचे
स्कूलों में फिर से चहल-पहल नजर आने लगी। बच्चे व टीचर मास्क लगा कर स्कूल पहुंचे। कक्षा में प्रवेश से पहले उनका तापमान जांचा गया। बच्चों को सेनेट्राइज किया गया। स्कूल़ों में बदला-बदला सा माहौल नजर आ रहा था। बच्चों व अभिभावकों को कोरोना गाइड लाइन की पालना के लिए समझाया गया और ऑड-ईवन फार्मूले पर प्रवेश दिया गया। उन्हें दो गज की दूरी के आधार पर क्लास में बैठाया गया। टीचर्स ने छात्रों का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। कुछ बच्चे बिना ड्रेस के भी दिखाई दिये।
बच्चों में दूरियां खली, बतियाने को तरसे
जहां स्कूल खुलने से बच्चों में खुशी नजर आ रही थी, वहीं स्कूल़ों का बदला-बदला माहौल असहज लग रहा था। कई बच्चों में कोरोना का डर भी सता रहा था। क्लास रूम में बच्चों के बीच दूरियां भी खल रही थी। लंबे समय बाद खुले स्कूलों में फिलहाल 40 प्रतिशत स्टूडेंट्स को ही हर दिन क्लास में बुलाया जाएगा। बच्चे ऑन लाइन भी पढ़ाई जारी रखेंगे।
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