कल की चिंता में आज की खुशियाँ न खोएँ- चन्द्रप्रभ

कल की चिंता में आज की खुशियाँ न खोएँ- चन्द्रप्रभ

कल की चिंता में आज की खुशियाँ न खोएँ- चन्द्रप्रभ

जोधपुर, संत चन्द्रप्रभ ने कहा कि हम आने वाले कल का दो तरीकों से सामना कर सकते है-पहला आशा और विश्वास के साथ और दूसरा चिंता और तनाव के साथ। यदि आशा और विश्वास के साथ कल का सामना करेंगे तो हम आज का भी सार्थक उपयोग करेंगे, पर चिंता और तनाव के साथ कल का सामना करेंगे तो हम कल के चक्कर में आज की खुशियों को भी खो देंगे।

कायलाना रोड़ स्थित संबोधि धाम में चिंतामुक्त होने के उपायों पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया। युवाओं के लिए यह आयोजन विशेष प्रेरणा दायक और ऊर्जावर्धक रहा। इस अवसर पर संत चंद्रप्रभ ने कहा कि चिंता चिता के समान है, चिता मुर्दे को जलाती है, पर चिंता जिंदे को। चिंता आने वाले दुख को कम नहीं करती है, बल्कि यह हमारे आज के सुख को लूट लेती है। भय,चिंता और निराशा यह वे सीढिय़ाँ है, जो हमें अग्नि के कुएँ में झोंकती है। चिंता में तीन अक्षर हैं। चिंता का च चैन चुराने वाला है, न नकारात्मक सोच की ओर ले जाने वाला और त तबाही मचाने वाला है।

उन्होंने कहा कि हम चिंतन अवश्य करें, चिंता नहीं। चिंता और चिंतन में वही फर्क है, जो एक बीमार आदमी और स्वस्थ आदमी में होता है। चिंता करेंगे तो भटक जाएंगे, पर चिंतन करेंगे तो भटके हुए को रास्ता दिखाने में सफल होंगे। हम हमारी ऊर्जा को चिंता में खत्म करने के बजाय समाधान में उपयोग करें। चिंता से उबरने के लिए उन्होंने खुद पर भरोसा करने पर विशेष जोर दिया।

संंत ने कहा कि अधिक चिंता करने वालों को इस बात पर विश्वास करना चाहिए कि यह बुरा वक्त भी बीत जाएगा। जीवन साइकिल के पहिये की तरह है, पहिये का जो भाग आज नीचे है, विश्वास रखिये एक दिन वह ऊपर भी जरूर आएगा। हम जितना सकारात्मक सोचेंगे, चिंता से उतना ही जल्दी बाहर निकल पाएंगे। कई दफा गुच्छे की आखिरी चाबी ताला खोल देती है। जीत और हार दोनों हमारी सोच पर निर्भर है। मान लो तो हार है और ठान लो तो जीत है।

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