आरजीएचएस में बड़ा घोटाला: डॉक्टर्स के नाम पर लिखी फर्जी पर्चियां और सीलों से खुली पोल

  • मामला दर्ज होते ही पुलिस की मेडिकल दुकान पर रेड
  • बड़े घोटले में करोड़ों का फर्जी तरीके से उठाया भुगतान
  • 45 लोगों के नाम पर उठाया फर्जी तरीके से भुगतान
  • मेडिकल दुकान पर कार्य करने वाले को मिलता था 40 पर्सेंट
  • दुकानदार रखता 60 पर्सेंट

जोधपुर,आरजीएचएस में बड़ा घोटाला: डॉक्टर्स के नाम पर लिखी फर्जी पर्चियां और सीलों से खुली पोल।आरजीएचएस में बडा घोटाला सामने आया है।शहर के कई मेडिकल स्टोर संचालकों और दलालों ने मिल कर जो बीमार नहीं थे उनके नाम से फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपए उठा लिए। इस बारे में अब बासनी थाने में मामला दर्ज करवाया गया है। चेन काफी लंबी है और पुलिस अब तक 45 लोगों को नामजद कर जांच आरंभ की है। कई वृद्ध महिलाएं तो चलफिर तक नहीं सकती फिर भी उन्हें कैंसर रोगी बताकर राशि उठाई गई है। यह सब घोटाले सरकारी चिकित्सालय एवं निजी अस्पताल के डॉक्टरों के फर्जी दस्तावेज बनाकर सील आदि लगाकर घपला किया गया है,जबकि डॉक्टर्स को भी इनका पता नहीं चल पाया। बुधवार को पुलिस ने इस कड़ी की आज ही जांच आरंभ करते हुए जालोरी गेट स्थित मेडिकल दुकान झंवर मेडिकल स्टोर पर रेड दी है। जहां से दुकान के स्टोर कीपर और संचालक को पूछताछ की जा रही है, फिलहाल इनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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संयुक्त परियोजना निदेशक स्वास्थ्य योजना आरजीएचएस के डॉक्टर अभिषेक सिंह किलक की तरफ से बासनी थाने में बड़ी धोखाधड़ी की रिपोर्ट दी गई है। इनके अनुसार जोधपुर आरजीएचएस स्कीम के तहत बड़ा घोटाला हुआ है। जो महिला उठने फिरने में समक्ष नही है उसे भी कैंसर रोगी बताकर भुगतान उठा लिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार बासनी औद्योगिक क्षेत्र की निजी अस्पताल एवं सरकारी चिकित्सालय के डॉक्टर्स के नाम की फर्जी सीलेें और दस्तावेजों से यह घपला मेडिकल स्टोर संचालक द्वारा किया गया है। जालोरीगेट स्थित एक मेडिकल दुकान का संचालन करने वाले उमेश परिहार सहित कई दलालों ने मिलकर करोड़ों का घपला किया है। मेडिकल स्टोर संचालकों ने दलालों के साथ मिलकर कई लोगों जो किसी प्रकार की गंभीर बीमारी से पीडि़त नहीं थे, उनके नाम से राशि को उठाया गया है। ऐसे 45 लोगों का नाम अब तक  पता लगा है। एक वृद्धा मोहनकंवर जो चलने उठने फिरने में अक्षम है उसे कैंसर रोगी बताकर रकम को उठाया गया।
आरोपियों द्वारा कूट रचित दस्तावेजों को तैयार कराया गया और जिन लोगों को बीमारी नहीं है उनके नाम पर दवाइयां उठाने का करोड़ों का घोटाला किया गया है।

ऐसे लगा पता
आरजीएचएस स्कीम स्वास्थ्य योजना के संयुक्त निदेशक डॉक्टर अभिषेक किलक के अनुसार राज्य सरकार ने एमडी इंडिया हैल्थ इंश्योरेंस के साथ इकरार कर रखा है। टीपीए प्राइवेट लिमिटेड प्रोसेसिंग पोस्ट ऑडिट के तहत इकरार किया गया है। फर्जी तरीके से क्लेम का पता लगाने के लिए डाटा एनालिसिस के लिए राज्य प्रमुख डॉक्टर प्रशांत क्षेत्रिय को जांच के लिए बताया गया। तब डाटा एनालिसिस में पता लगा कि मोहन कंवर नाम की महिला जो 87 साल की है उन्हें कैंसर रोगी बताकर काफी दवाईयों को क्लेम झंवर मेडिकल स्टोर जालोरी गेट से उठाया गया है। मोहनकंवर के पौते से बात की तो पता लगा कि उसकी दादी को छह महिने पहले तकलीफ होने पर एडीएम और एमजीएच लेकर गए थे। मानसिक बीमारी के साथ प्राइवेट पार्ट में गांठ थी। दवाई लेने के लिए उसके पिता झंवर मेडिकल शॉप पर जाते थे। तब उसके मालिक उमेश परिहार द्वारा कहा गया कि आप को जब भी दवाई लेनी हो तो ओटीपी नंबर बता देना। इस तरह वह दवाईयों का फर्जी तरीके से भुगतान उठा रहा था। एक अन्य व्यक्ति आरजीएचएस कार्ड धारक बंशीधर ने बताया कि वह एक अस्पताल में कार्यरत है और कैंसर का मरीज है। जबकि एक पुलिसकर्मी को ब्रेन हेमरेज होना बताया गया। उन्हें जून 2021 से ब्रेन हेमरेज होना बताकर उक्त मेडिकल स्टोर से दवाईयों का भुगतान उठाया गया। जो निराधार प्रतीत हुआ।

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स्टोर कीपर को मिलता 40 प्रतिशत हिस्सा
दर्ज रिपोर्ट में बताया कि मेडिकल स्टोर झंवर मेडिकल में काम करने वाले युवक तुषार से पूछताछ की तो पता लगा कि उसे इसके बदले में 40 पर्सेँट दिया जाता है और 60 पर्सेंट मालिक रखता था।

चिकित्सकों की फर्जी सीलें लगे संदिग्ध दस्तावेज मिले
इस बड़े घोटाले की जांच में सामने आया कि निजी और सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों की नाम पर फर्जी सीलें और हस्ताक्षर युक्त पर्चियां मिली हैं,जो पूर्ण रूप से संदिग्ध हैं। डॉक्टर्स द्वारा इस तरह से इलाज से नकारा गया है।

कितने का घोटाला,खुलासा नहीं हुआ
रिपोर्ट में बताया कि अब तक 45 ऐसे लोगों का पता लगा कि जिसमेें उनके नाम से दवाईयों का भुगतान उठाया गया है। इन सभी कार्ड धारकों के संबंध में अभी जांच चल रही है। कितने करोड़ में इसका घपला हुआ इसका फिलहाल रिपोर्ट में खुलासा नहीं किया गया है।

निजी अस्पताल ने एक रिपोर्ट में एक आना बताया,दूसरी में कहा अटेंडर ने गलत सूचना दी 
पहली रिपोर्ट में अस्पताल प्रबंधन ने मरीज मोहन कंवर को अस्पताल आना बताया,जबकि दूसरी रिपोर्ट में कहा कि मरीज मोहन कंवर आई थी लेकिन जो भी सील व डॉक्टर का इलाज लिखा हुआ है वह फर्जी है। मरीज के साथ अटेंडर ने गलत सूचना दी और मेडिकल एजेंसीज से ली, जिसका एक निजी अस्पताल से कोई संबंध नहीं है। अस्पताल के डॉ.विनय व्यास जिसके नाम से लाभार्थी की पर्चियां हैं, उन्होंने ई-मेल द्वारा सूचित किया कि यह इलाज उनसे नहीं लिया गया है जो पूर्णतया फर्जी है। हस्ताक्षर भी फर्जी किए गए हैं, उनकी सील या तो झंवर मेडिकल एजेंसी द्वारा बनाई गई है या मरीज मोहन कंवर द्वारा बनाई गई है,उनको इसके बारे में कोई सूचना नही है। एक निजी अस्पताल ने इस बारे में बासनी थाने क्षेत्र में रिपोर्ट दर्ज करवाई। जिसमें मोहन कंवर के अलावा 05 अन्य लाभार्थियों और झंवर मेडिकल एजेंसी को इंगित किया गया।

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इन लाभार्थियों को किया एफआईआर में नामजद
आरजीएचएस में दर्ज हुए मामले में करीब 44 लाभार्थियों को नामजद किया है।जिसमें देवेंद्र गहलोत,अशोक माथुर,बख्तावर सिंह,बंशीधर गढ़वाल, पुखराज विश्नोई,महेंद्र कुमार,सीता राम गहलोत,बलराम,देवेंद्र कुमार, राजवीर सिंह बरवड़,गिरधारीलाल, गोविंद नाथ,अमृतलाल पंवार,इशा राम,महेंद्र सिंह,कमलजीत कौर मेहता,दीपाराम,कहकशा,मोरध्वज सिंह,दिनेश चंद, दिनेश कुमार,मोहन लाल,मंजूरानी दवे,शैतान सिंह राठौड़, मोहन कंवर,मूलो रायचंदानी,ललिता दवे,डालाराम,रामसिंह,नसीम बानो, निजामुद्दीन,छोटेलाल शर्मा, प्रह्लाद राम,विजय कुमार,भंवरलाल,गोविंद सिंह,रामेश्वरी,दलपतराम,सत्यनारायण प्रजापत,सोमती,चेनाराम का नाम शामिल है।

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