सांचौर, वर्षों पूर्व बंद हुई केदारेश्वर गौशाला चौरा गाय व नंदी के लिए पुनः खोल दी गई है। इस गौशाला के पुनरुत्थान के लिए कई भामाशाह आगे आए हैं। यह गौशाला 2013 में बंद हो जाने से क्षेत्र में पशु आहार के लिए दर-दर भटकते थे, कई बार तो सांड रोड पर बहुत उत्पात मचाने लगे थे। इस कारण लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। चौरा में यह गौशाला करीब पांच हेक्टेयर में फैली हुई है।

गौशाला के पुनरुत्थान भामाशाह

अभी यहां पर एक हजार से अधिक गाय व नंदी की सेवा हो रही है। पांच हजार से अधिक गाय,नंदी व बछड़ों के लिए अलग-अलग स्थान सुनिश्चित किया हुआ है ताकि आगे भी व्यवस्था बनी रहे। वर्तमान राजस्थान में सूखा पड़ने के कारण गायों के लिए चारे की व्यवस्था बिल्कुल नहीं हो पा रही थी। लोगों अपने हिसाब से लगातार गौ सेवा कोशिश जारी रखी लेकिन भिन्न-भिन्न स्थान पर सेवा नहीं होने के कारण गौशाला का पुनः शुभारंभ किया गया। गोरक्षा का प्रण लेते हुए एवं गौशाला के पुनरुत्थान हेतु सैकड़ों भामाशाह आगे आए हैं।

गौशाला के पुनरुत्थान भामाशाह

प्रवासी उद्योगपतियों के साथ-साथ ग्रामवासियों ने पशु आहार अन्य सामग्री हेतु प्रति माह राशि भेंट कर गौमाता को बचाने का निर्णय लिया। गायों की सेवा निरंतर जारी रहे इसीलिए ग्रामवासी प्रतिदिन गौशाला में जाकर सेवा का सौभाग्य प्राप्त करते हैं। हेमराज चौधरी जो शिक्षा के क्षेत्र में हमेशा अपना सहयोग करते हैं अब गायों के लिए भी आगे आए हैं चौधरी ने कहा राजस्थान इकलौता राज्य है जहां देवल चारणी की गायों की रक्षा करते हुए पाबुजी वीर-गति को प्राप्त हुए।

लाछा गुजरी की गायों को बचाने के कारण नाग देवता से वचनबद्ध हो कर तेजाजी ने मीणा लुटेरों से संघर्ष कर गायों को छुड़ाया। इस गौरक्षा युद्ध में तेजाजी अत्यधिक घायल हो गए। वापस आने पर वचन की पालना में साँप के बिल पर आए तथा पूरे शरीर पर घाव होने के कारण जीभ पर साँप से कटवाया ऐसे कई वीरों ने गौ रक्षा हेतु प्राण दिए हैं और यह सदैव स्मरण करवाता है कि गाय में देवी देवताओं का वास होता है। जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है। गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी, मूत्र में गंगाजी, दूध में सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों को कम करता है।

गौशाला के पुनरुत्थान भामाशाह

स्टील किंग के नाम से प्रसिद्ध विक्रम पुरी ने कहा गाय वह पशु है जिस की सेवा से सैकड़ों रोग दूर कर सकते हैं। में हमेशा सेवा का सौभाग्य व आशीर्वाद चाहता हूं। रतन देवासी का मानना है समाज कल्याण के लिए गाय की रक्षा जरूरी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी आज कहा गाय की सेवा से देश का उद्धार होगा यह पुण्य कर्म है। गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करना चाहिए। गाय भारतीय संस्कृति का अभिन्न रूप है, संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए यह हमारा कर्तव्य भी है।

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इसी बीच चौरा गौशाला के पुनरुत्थान में रतन सिंह,ईश्वरलाल गर्ग,सागर सिंह, जितेंद्र सिंह, हीना पटेल , विक्रमपूरी, नरसी राम, सूरजपुरी,नानजी चौधरी, लक्ष्मण सिंह काबावत, सेठ नरेश देवासी, हाजाराम,उत्तम सिंह, मफा राम,हरदाराम, मायंगाराम, लीलाराम, फगलू राम, भंवरलाल,दिलीप कुमार, मोहब्बत सिंह, जमनादेवी,खेताराम, नारायण देवासी, गणेश सिंह, बिजला राम, भगवाना, हेमराज चौधरी, पुनमा राम,विराराम, उत्तम सिंह,नरपत सिंह, कल्याणसिंह,अनोपसिंह, नारणाराम, चेलाराम, सोना राम जैसे सैकड़ों लोगों ने आजीवन मासिक राशि भेंट करने का निर्णय लिया। शास्त्रों के अनुसार कुछ पशु-पक्षी ऐसे हैं, जो आत्मा की विकास यात्रा के अंतिम पड़ाव पर होते हैं। उनमें से गाय भी एक है। इसके बाद उस आत्मा को मनुष्य योनि में आना ही होता है। कत्लखाने जा रही गाय को छुड़ाकर उसके पालन-पोषण की व्यवस्था करने पर मनुष्य को गौयज्ञ का फल मिलता है।

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