जोधपुर, अपने ही आश्रम की नाबालिग छात्रा से यौन उत्पीड़ऩ के आरोप में जोधपुर की सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को आज एक बार फिर जांच के लिए एम्स लेे जाया गया। एम्स के आउटडोर में उसकी जांच की गई। उसकी तबीयत एकदम सही है और स्वस्थ पाए जाने पर वापस जेल भेज दिया गया। इस दौरान सूचना मिलने पर आसाराम के कई समर्थक भी एम्स पहुंच गए।
आसाराम को लगाई गई यूरिन नली को हटाने के लिए बुधवार को कड़े सुरक्षा व्यवस्था के बीच जेल से एम्स ले जाया गया। आउटडोर में ही डॉक्टरों ने उसकी जांच की। उसके यूरिन इंफेक्शन भी जांचा गया। डॉक्टरों का कहना है कि वह एकदम स्वस्थ है। उसे कोई विशेष दिक्कत नहीं है। सामान्य जांच के बाद उसे वापस भेज दिया गया।
कुछ दिन पूर्व आसाराम को यूरिन इंफेक्शन बढऩे पर एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स में भर्ती कराए जाने के बाद आसाराम ने इलाज लेने से मना कर दिया था। वह आयुर्वेद से ही अपना इलाज कराने की मांग करता रहा। बाद में डॉक्टरों के समझाने पर वह इलाज में सहयोग देने को तैयार हो गया। उसे सांस लेने में दिक्कत के साथ ही यूरिन इंफेक्शन बढऩे की समस्या थी।
इससे पहले मई माह में आसाराम कोरोना संक्रमित पाया गया था। इसके बाद उसे पहले महात्मा गांधी व बाद में एम्स में भर्ती करवा कर इलाज कराया गया। इस दौरान उसने हाईकोर्ट में अपनी बीमारी का इलाज आयुर्वेद्ध पद्धति से कराने के लिए जमानत याचिका दाखिल की।
हाईकोर्ट के आदेश पर एम्स के मेडिकल बोर्ड ने उसकी मेडिकल रिपोर्ट पेश की। इसके आधार पर उसकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया। हाईकोर्ट के इस आदेश को आसाराम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। वहां भी सुनवाई कुछ दिनों के लिए टल गई।
उल्लेखनीय है कि अगस्त 2013 में जोधपुर के एक आश्रम में अपने गुरुकुल की एक नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़ऩ का आरोप लगा था। इसके बाद आसाराम को गिरफ्तार कर लिया गया था। तब से वह जोधपुर जेल में बंद है। अप्रैल 2018 में उसे मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई गई थी।
आसाराम अब तक 15 से अधिक बार जमानत हासिल करने का प्रयास कर चुका है। देश के नामी वकील उसकी तरफ से पैरवी कर चुके हैं, लेकिन हर बार उसकी याचिका खारिज होती रही है। उसकी एक जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित चल रही है।
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