मंत्रोच्चार और ओडीसी नृत्य का अद्भुद समागम

  • संगीत नाटक अकादमी का शास्त्रीय नृत्य समारोह ‘नृत्यम’
  • लेक्चर कम डेमोस्ट्रेशन के साथ हुआ ओडीसी नृत्य का प्रदर्शन

जोधपुर,राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय शास्त्रीय नृत्य समारोह ‘नृत्यम’ के दूसरे दिन ओडीसी नृत्य की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सजीव,निर्जीव एवं संपूर्ण प्रकृति में पराशक्ति समाहित है। प्रत्येक प्राण में बसे दैवीय शक्ति के अस्तित्व के उत्सव को मंच पर साकार करते हुए भक्ति रस से ओतप्रोत शाम कृष्णेन्दु शाह एवं उनकी शिष्याओं ने ‘इन्वोकिंग देवी विदिन अस’ यानी पराशक्ति को अपने अंदर जागृत करने की थीम पर आधारित नृत्य के साथ दर्शाया कि प्रकृति और हर एक प्राण में देवीय शक्ति उपस्थित है।

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पंचतत्व यानी पृथ्वी,जल,अग्नि,वायु,आकाश में भी देवी सदा विद्यमान है,देवी शक्ति आदि से अंत तक सर्वत्र विराजमान है तथा वह जगत के हर एक तत्व को सुरक्षित करती है। कोणार्क डांस फेस्टिवल एवं खजुराहो डांस फेस्टिवल आदि में प्रस्तुति दे चुके कृष्णेन्दु ओडीसी नृत्य के क्षेत्र में युवा कलाकार के रूप में जाने जाते हैं।

समारोह के दूसरे चरण में मुंबई से आई अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नृत्यांगना झेलम परांजपे ने ओडीसी विधा के बारे में लेक्चर के साथ डेमोस्ट्रेशन दिया और अपनी शिष्याओं के साथ ओडिसी नृत्य की पारंपरिक प्रस्तुतियां दी।

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सुविख्यात ओडिसी नर्तक पद्म विभूषण गुरु केलुचरण मोहापात्रा से नृत्य की विधिवत शिक्षा हासिल करने वाली झेलम परांजपे कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वाहवाही बटोर चुकी हैं।’भक्ति की अभंग यात्रा’ भाव को लेकर प्रस्तुति की शुरुआत उन्होंने धरती माता को पुष्प अर्पित कर शिव के मंगलाचरण विश्वेश्वरायः से की। जहां एक ओर अभंग से तात्पर्य महाराष्ट्र की भक्ति रचनाओं से है तो वहीं इसका अर्थ अटूट भक्ति से भी लगाया जा सकता है।

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अपनी प्रस्तुतियों में उन्होंने मीराबाई एवं महाराष्ट्र के संत कवि की रचनाओं मेरे तो गिरधर गोपाल,पग घुंघरू बांध, थाने कई बोल सुनावा,चोखा मेला आदि को उम्दा भाव एवं अभिनय के साथ जीवंत किया जिसमे एक भक्त की भक्ति में इतनी शक्ति को दर्शाया कि स्वयं भगवान विट्ठल को अवतरित होना पड़ा। अंत में आत्मा व परमात्मा के मिलन को दर्शाता ‘मोक्ष’ प्रस्तुत किया।

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कार्यक्रम की शुरुआत में अकादमी अध्यक्ष बिनाका जेश मालू ने कलाकारों का पुष्पगुच्छ से अभिनंदन किया व शब्बीर हुसैन ने प्रतिक चिन्ह भेंट किया संचालन शैला माहेश्वरी ने किया तथा अकादमी सचिव डॉ राव ने बताया कि कल समारोह की आखिरी शाम कथक नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा जिसमें मंजरी किरण और वरिष्ठ नृत्यांगना शशि सांखला और उनका ग्रुप होगा।

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