अडानी को राजस्थान में बड़ा झटका
जोधपुर, राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को अडानी रिन्यूएबल एनर्जी के सोलर प्लांट के लिए आवंटित जमीन के मामले में फैसला सुनाया। इसमें पोकरण तहसील के नैदान गांव में 6115.6 बीघा में से 1500 बीघा जमीन के अलॉटमेंट को कैंसिल कर दिया। सरकार को 4500 बीघा के रिव्यू का निर्देश दिया गया है। जस्टिस संगीत लोढ़ा व जस्टिस रामेश्वर लोढ़ा की खंडपीठ ने यह आदेश अपीलकर्ता बरकत खान व 23 अन्य की ओर से दायर विशेष अपील की सुनवाई में दिए।
अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने बताया कि 1500 बीघा पब्लिक यूटिलिटी की लैंड थी। इसका अलॉटमेंट कैंसिल किया गया है। सरकार को कहा गया है कि जो भी वहां रह रहे हैं, उनकी ढाणियों और जमीन तक रास्ते की व्यवस्था किए बिना कोई भी किसी प्रकार का आलॉटमेंट बहाल न करें।
आगे निर्देश दिए गए कि पूरे क्षेत्र का डिटेल सर्वे किया जाए। वहां के लोगों की व्यवस्था को देखा जाएगा। उसके बाद वहां कोई जमीन रहती है तो डिटेल रिव्यू कर अलॉट किया जाए। अलॉट सरकारी जमीन में से ढाणियों के रास्तों के लिए डिटेल सर्वे हो।
गत 8 सितंबर 2020 को सरकारी वकील एएजी (एडिश्नल एडवोकेट जनरल) रेखा बोराणा ने कुछ समय बहस करने के बाद सरकार से अपने इंस्ट्रक्शन पूरे करने के लिए 2 सप्ताह का समय दिए जाने की मांग की थी। इस पर खंडपीठ ने विवादित जमीन पर एएजी बोराणा की ओर से अंडरटेकिंग दिए जाने के बाद यथा स्थिति रखने के आदेश जारी किए थे।
अपील की सुनवाई की अगली तिथि 29 सितम्बर 2020 तय की थी। अक्टूबर से जनवरी के बीच कई बार सुनवाई हुई। इस मामले में जनवरी से आदेश सुरक्षित था। अपील कर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने कहा जैसलमेर कलेक्टर ने 11 जनवरी 2018 को अडानी रिन्यूएबल एनर्जी को सोलर पावर एनर्जी प्लांट की स्थापना के लिए 6115.6 बीघा जमीन दी थी। यह जमीन पोकरण तहसील के नेदन गांव की है। अपीलकर्ताओं ने डीएम के आदेश को हाईकोर्ट की एकलपीठ में चुनौती दी।
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 27 नवंबर 2019 को अपील को खारिज कर दिया। इस आदेश के खिलाफ अपीलकर्ता हाईकोर्ट की खंडपीठ में गए। इसके बाद पक्ष में फैसला आया है। सुनवाई में अन्य प्रार्थीगण की ओर से कुलदीप माथुर, धीरेन्द्र सिंह सोडा, श्रेयांस मरडिया व विपुल धारणिया ने पैरवी की।
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