राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह के संबंध में हुई एक संयुक्त बैठक
- केंद्रीय मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह और गजेंद्र सिंह शेखावत की पहल
- अतीत और भविष्य का सेतु: भारत पारंपरिक खगोल विज्ञान का सम्मान करते हुए और आधुनिक अंतरिक्ष उपलब्धियों का प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाया जाएगा
- अंतरिक्ष दिवस वैज्ञानिक जिज्ञासा जगाएगा और देश भर के युवाओं को करेगा प्रेरित
नई दिल्ली(डीडीन्यूज),राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह के संबंध में हुई एक संयुक्त बैठक। महत्वपूर्ण अंतर-मंत्रालयी पहल के तहत, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ.जितेंद्र सिंह ने 23 अगस्त 2025 को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार करने हेतु केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ एक संयुक्त बैठक की।
बैठक का उद्देश्य छात्रों,वैज्ञानिक समुदायों और आम जनता को भारत की उल्लेखनीय अंतरिक्ष यात्रा का जश्न मनाने तथा पारंपरिक खगोल विज्ञान की समृद्ध विरासत को नमन देने के लिए एक समन्वित रणनीति विकसित करना था। इस बैठक में वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र के कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों और विचारकों की उपस्थिति ने गरिमा प्रदान की।
इनमें संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल;भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद; इसरो के अध्यक्ष वी.नारायणन; राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र संग्रहालय के महानिदेशक एडी. चौधरी और आईजीएनसीए के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी शामिल थे। उनकी भागीदारी ने चर्चाओं को गहनता और परिप्रेक्ष्य प्रदान किया,जिससे आगामी राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस समारोह के लिए एक समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित हुआ। उनकी सामूहिक अंतर्दृष्टि ने सांस्कृतिक विरासत को अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करने की एक दूरदर्शी योजना को आकार देने में मदद की।
डॉ.जितेंद्र सिंह ने भारतीय वैज्ञानिक उत्कृष्टता की निरंतरता पर ज़ोर देते हुए कहा अंतरिक्ष और विज्ञान के क्षेत्र में भारत कोई नया देश नहीं है। हमारे पूर्वजों को खगोल विज्ञान की गहरी समझ थी और आज हमारी गिनती वैश्विक अंतरिक्ष शक्तियों में होती है। विचार-विमर्श भारत के खगोल विज्ञान के पूर्वजों के ज्ञान को उसकी समकालीन अंतरिक्ष प्रगति से जोड़ने पर केंद्रित था।प्रतिभागियों ने कहा भारत की प्राचीन आकाश – मानचित्रण परंपराएँ आज की वैज्ञानिक सोच की सांस्कृतिक रीढ़ हैं।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा संस्कृति मंत्रालय,पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक नवाचार के इस अनूठे मिश्रण को प्रदर्शित करने वाले प्रदर्शनियों,शैक्षिक सामग्री और आउटरीच कार्यक्रमों को तैयार करने के लिए सहयोग करेंगे।युवा मस्तिष्क की शक्ति को पहचानते हुए,मंत्रियों ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस को छात्रों के नेतृत्व वाली पहल बनाने की प्रतिबद्धता जताई। योजनाओं में विज्ञान मेले,इसरो वैज्ञानिकों के साथ संवाद सत्र,तारामंडल शो और स्कूलों व कॉलेजों में प्रतियोगिताएँ शामिल हैं। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा हमें कम उम्र से ही वैज्ञानिक भावना विकसित करनी चाहिए। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस हमारे युवाओं को भविष्य के अंतरिक्ष यात्री,इंजीनियर और नवप्रवर्तक बनने के लिए प्रेरित करेगा।
टेक्नोलॉजी का पूर्ण उपयोग और मानवीयता का समन्वय जरूरी-कलेक्टर
डॉ.जितेंद्र सिंह ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के नागरिक-केंद्रित अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला और इसे राष्ट्रीय विकास और रोज़मर्रा की सुविधा के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में स्थापित किया। उन्होंने यह दिखाने की आवश्यकता पर बल दिया कि कैसे अंतरिक्ष- आधारित समाधान पहले से ही देश भर में लाखों लोगों के जीवन को बदल रहे हैं। संपत्ति सत्यापन के लिए उपग्रह चित्रों का उपयोग करके स्वामित्व भूमि-मानचित्रण से लेकर आपदा चेतावनी प्रणालियों और वास्तविक समय मौसम पूर्वानुमान तक,जो तैयारियों को बढ़ाते हैं, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी अमूल्य साबित हो रही है। इसके अतिरिक्त,यह दूरस्थ क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं का समर्थन करती है और कृषि निगरानी और सटीक खेती को सक्षम बनाती है,जिससे ग्रामीण सशक्तिकरण और कुशल संसाधन प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है। उन्होंने कहा अंतरिक्ष क्षेत्र अब सीधे तौर पर शासन,सेवा वितरण और आर्थिक सशक्तिकरण से जुड़ा हुआ है।