जोधपुर, रामसुखदास महाराज के चहेते सूर्य नगरी जोधपुर के और पूरे भारतवर्ष में अनेकों भक्तों के हृदय में बसने वाले राम,कृष्ण, शिव और हनुमान भक्त व रामायण पाठी पंडित बंसी लाल शर्मा अनंत में विलीन हो गए। संगीत किसलय संस्थान प्रवक्ता अखिल बोहरा ने बताया कि भक्ति साधक व भक्ति मंडलियों में जब इस बात का समाचार मिला तो चारों और शोक का माहौल हो गया।
पंडित बंशीलाल शर्मा का जन्म 5 फरवरी 1938 में था। जोधपुर शहर में बाल्यावस्था से ही उन्हें भक्ति संगीत में बड़ी रुचि थी। वे अनेकों भक्ति समारोह में अपने भजनों की प्रस्तुति देते रहे। युवावस्था में उनका संपर्क रामसुखदास महाराज से हुआ और उसके बाद में निरंतर रामसुखदास महाराज के प्रवचनो में जाया करते थे।
वे सदैव रामायण पाठ और सुंदरकांड का पाठ किया करते थे। वे एलआईसी में अकाउंट ऑफिसर के पद पर नियुक्त रहे, सेवाकाल में रहते वक्त भक्ति कार्यक्रम में इतना जाते थे कि छुट्टियां अधिक होने के कारण उन्हें वेतन भी पूरा नहीं मिलता था तो भी उन्होंने भक्ति संगीत कार्यक्रम में जाना नहीं छोड़ा।
उनके साथ पिछले 25 वर्षों से लगातार रामायण पाठ व सुंदरकांड पाठ में तबले पर नियमित संगत कर रहे सतीश बोहरा ने बताया कि पंडित बंशीलाल जहां पाठ करने जाते थे वहां पर खाना भी नहीं खाते थे, पैसा लेना तो बहुत दूर की बात है। वह निस्वार्थ निशुल्क भक्ति का कार्यक्रम किया करते थे। किसी भी पद का, कितना पैसे वाला हो या गरीब हो यह नहीं देखा करते थे, सिर्फ उनका उद्देश्य पाठ करना और भक्तों को इस पाठ से लाभान्वित करना ही उनका जीवन का उद्देश्य रहा।
उन्होंने कभी चीज की चाहत नहीं रही। वे समय के पक्के पाबंद थे,यहां तक कि उनके कार्यक्रम से लोग अपनी घड़ी भी मिला सकते थे। जो समय दे दिया उसी समय में वह अपना कार्यक्रम प्रारंभ करते थे। उनके निधन से भक्ति संगीत जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। सभी भक्त मंडलीयों ने मिलकर उनकी याद में आगामी 10 दिन में एक विशाल सुंदरकांड पाठ का आयोजन करने का निर्णय किया है।