भावी पीढ़ी का भविष्य सँवारने बाल संरक्षण संकल्प यात्रा पहुंची भावी
- बाल अधिकार और चुप्पी तोड़ो कार्यक्रम पर चर्चा
- दिव्यांग बच्चों को पालनहार की सौगात
- बाल हिंसा पर आधारित फिल्म ‘डाली’ कर रही है प्रभावित
जोधपुर,राज्य सरकार की ओर से बाल अधिकारिता विभाग,यूनिसेफ एवं पीसीसीआरसीएस के संयुक्त तत्वावधान में जोधपुर जिले की बिलाड़ा पंचायत समिति क्षेत्र में चलायी जा रही बाल संरक्षण संकल्प यात्रा रविवार को भावी पहुंची। यात्रा ने भावी पीढ़ी के भविष्य को सँवारने की दिशा में कई कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीणों में व्यापक जागरुकता का संचार किया।
भावी ग्राम पंचायत में पंचायत सदस्यों एवं ग्रामीणों के साथ बाल अधिकारों पर संगोष्ठी कर बाल हिंसा के मुद्दों विशेषकर बाल विवाह,यौन उत्पीड़न एवं बालिकाओं को दिये जाने वाले सैनेटरी नैपकीन तथा राज्य सरकार की घोषणा के अनुसार विद्यालयों में आत्मरक्षा के गुर सिखाये जाने के लिए मुख्य रूप से चर्चा की गई।
यात्रा समन्वयक कैलाश सैनी ने कहा कि यूनिसेफ द्वारा बेटियों के लिए तैयार की गई ‘चुप्पी तोड़ो सीरिज’ पर अधिकारों के लिए चर्चा करने व उसके समाधान निकालने पर सम्मिलित प्रयास किये जाने चाहिए। सीताराम गुर्जर ने कहा कि बाल हिंसा व यौन उत्पीड़न के मामलों में अधिकतर आस-पास जानकार लोग ही शामिल होते हैं इसलिए बालिकाओं को ‘गुड टच एवं बैड टच’ पर खुलकर बात करनी होगी।
सरपंच की अध्यक्षता में बाल संरक्षण समिति का पुनर्गठन
पंचायत भवन में सरपंच सूराराम की अध्यक्षता में ग्राम पंचायत स्तरीय बाल संरक्षण समिति का पुनर्गठन कर सभी उपस्थित सदस्यों का क्षमतावर्धन किया गया। दो बाल प्रतिनिधि रिंकू कुमारी व फरजाहन को सम्मिलित किया गया।
बाल हिंसा पर आधारित फिल्म ’डाली’ कर रही है प्रभावित
चौपाल में प्रोजेक्टर के माध्यम से गांव में प्रदर्शित की गई संदेशप्रद फिल्म ‘डाली’ गांव में खूब सराही गई। इस फिल्म में हँसते-खेलते परिवार में एक दूर के रिश्ते का मेहमान आता है, जो किशोेरवय में पहुंच रही लड़की पर बुरी नज़र रखता है। मौका देखकर छेड़छाड़ करता है। यह सब लड़की को अच्छा नहीं लगता है और वह बचने का प्रयास करती है। माता-पिता को भी बताती है, लेकिन वे भी अनदेखी करते हैं। धीरे-धीरे लड़की गुमसुम रहने लग जाती है,स्कूल जाना भी छोड़ देती है,टीचर की मदद से उस मेहमान का पोलपट्टी खुलती है। डाली का अभिनय हर किसी के मन को गहरे तक प्रभावित करता है। यह फिल्म बाल हिंसा के विभिन्न पहलुओं पर बारीकी से प्रहार करती है, साथ ही समस्या का निराकरण भी करती है। फिल्म न केवल बच्चों और परिजनों को बल्कि ग्रामीणों को भी खूब पसंद आयी।
घर जाकर दिव्यांग बच्चों को पालनहार का सौगात
यात्रा में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से लाभ दिलाने के लिए घर-घर दस्तक के दौरान कई परिवारों को सरकार की योजनाओं से लाभान्वित किए जाने के लिए जानकारी दी गई और हाथों-हाथ सारी औपचारिकताएं पूरी कर लाभान्वित करने की कार्यवाही की गई। यात्रा संयोजक ने बताया कि यात्रा के भ्रमण व घर-घर सम्पर्क के अन्तर्गत भावी के हरिजन मोहल्ला के रहने वाले रूपा राम मेघवाल के घर बाल मित्रों ने जाकर चार बेटियों को पालनहार योजना की सौगात दिलाई। रूपाराम गलत इन्जेक्शन के वजह से वर्ष 2004 में दिव्यांग हो गये थे। प्रमाण पत्र बनने से दिव्यांग पेंशन मिलने लगी। घर की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय है। चार बेटियां सुमित्रा 13 वर्ष, डिम्पल 12, दिव्या 4 और भूमिका ढाई वर्ष की है। इस स्थिति को देखकर बाल मित्रों द्वारा पालनहार योजना की जानकारी दी गई और दस्तावेजों का सत्यापन कर आवेदन आनलाईन कराने की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया। बेटियों को जब पता चला कि अब हर महीने एक-एक हजार रुपये आयेंगे तो उनके चेहरे पर खुशी तैर उठी।
ग्राम भ्रमण कार्यक्रम के दौरान सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के 16 आवेदन ऑनलाईन कराने की प्रक्रिया प्रारम्भ की गई। सरपंच सूराराम, प्रधानाचार्य ओमप्रकाश भाटी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता साधना, उप सरपंच सायर राम,पूर्व सरपंच पूनाराम सोहू के साथ बाल मित्र सोना बैरवा, सफिस्ता खान,मनजीत गुर्जर आदि ने ग्रामीणों से चर्चा की।
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