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जोधपुर, शहर के सूरसागर क्षेत्र में शुक्रवार सुबह निकाली गई एक शव यात्रा लोगों के बीच कौतुहल जगा गई। गाजे-बाजे के साथ निकल रही एक गाय की शव यात्रा को देख राह चलते लोग ठिठक गए और सभी गाय को अंतिम नमन कर आगे बढऩे लगे।

गाय की मौत के बाद कल पूरी रात क्षेत्र के लोगों ने घर में भजन गाए। गंगा को अंतिम विदाई देने पूरी कॉलोनी व आसपास से लोग उमड़ पड़े। इस गाय मालिक के खेत में अंतिम संस्कार किया गया। यहां अब गाय की समाधि बना मूर्ति स्थापित की जाएगी।

सूरसागर क्षेत्र की जीडी व्यास कॉलोनी निवासी जयसिंह सोलंकी के पास गंगा नाम की गाय करीब पच्चीस वर्ष से थी। गाय की औसत उम्र अमूमन 18 से 22 वर्ष होती है लेकिन बेहतर देखभाल के कारण गंगा पच्चीस वर्ष तक जिंदा रही।

कल दोपहर पश्चात गंगा की मौत हो गई। गंगा के साथ बरसों पुराने अपने जुड़ाव के कारण जयसिंह को उससे बहुत लगाव हो गया। इस कारण जयसिंह ने उसका अंतिम संस्कार अलग अंदाज में करने का फैसला किया। उन्होंने गंगा को श्रद्धांजलि देने के लिए कल रात अपने मकान पर जागरण का आयोजन किया।

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आज सुबह एक ट्रैक्टर पर गंगा के शव को रख उसे फूलों से सजाया गया। इसके बाद क्षेत्र के सभी लोग गंगा को अंतिम विदाई देने उमड़ पड़े। विशेषकर महिलाओं ने गंगा की पूजा कर उसे विदा किया। बैंडबाजों के साथ गंगा की शव यात्रा कॉलोनी से रवाना हुई।

गंगा का अंतिम संस्कार सोलंकी के सोढ़ी की ढाणी स्थित खेत पर किया गया। वहां उसकी समाधि बना बड़ी मूर्ति लगाई जाएगी।।गंगा की गाजे-बाजे के साथ निकली शव यात्रा के बारे में सोलंकी ने बताया कि पच्चीस वर्ष से गंगा ने हमारी तीन पीढिय़ों को दूध पिलाया है।

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लगातार साथ रहने के कारण परिवार के प्रत्येक सदस्य ही नहीं बल्कि पूरी कॉलोनी के लोगों को इससे लगाव हो गया था। मैने कभी भी गंगा के दूध को बेचा नहीं। इतने बरसों तक हमारे परिवार का हिस्सा बन कर रही गंगा का अंतिम संस्कार पूर्ण विधि विधान से करने का हमारा दायित्व बनता है। इसे ध्यान में रख मैने यह तरीका अपनाया।

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