विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर एमडीएमएच में हुआ कार्यक्रम
जोधपुर(दूरदृष्टीन्यूज),विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर एमडीएमएच में हुआ कार्यक्रम। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर शुक्रवार को मथुरादास माथुर अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शुक्रवार को प्रातः 11 बजे मानसिक रोग विभाग, मथुरा दास माथुर चिकित्सालय विभाग के सभागार में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के तहत जन जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मानसिक स्वास्थ्य दिवस की इस वर्ष की थीम सेवा की पहुॅच आपदाओं और आपातकालीन स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य है। इस कार्यक्रम में अस्पताल के चिकित्सक,नर्सिग कर्मचारी एवं मरीजों के परिजन, अन्य मेडिकल स्टाफ एवं टेलीमानस के कर्मचारी सम्मिलित हुए।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डाॅ.बीएस जोधा, प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक डाॅ.एसएन मेडिकल काॅलेज ने कहा कि आज शारिरीक स्वास्थ्य की तरह ही मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है तथा जीवन में सकारात्मक रवैया रखने से मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
उन्होने कहा कि मानसिक रोगों के बारे में आमजन में गलत धारणा बनी हुई है कि मानसिक रोग ठीक नहीं होते हैं। जबकि सही समय पर अगर रोगी की पहचान कर उसे नियमिति रूप से चिकित्सा दी जाये तो वह व्यक्ति पूर्ण रूप से ठीक हो सकता है। उन्होंने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य का शारीरिक गतिविधियों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने सलाह दी कि लम्बे समय तक चिकित्सकीय परामर्श के तहत उपचार करवाना चाहिए।उन्होने कहा कि दवाईयों के साथ मनोवैज्ञानिकों की भी सहायता लेनी चाहिए। पारिवारिक स्तर पर माता-पिता को एक अच्छे रोल माॅडल की भूमिका निभाते हुये बच्चे के सर्वांगीण विकास करना चाहिये।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डाॅ.संजय गहलोत,आचार्य एवं विभागाध्यक्ष, मानसिक रोग विभाग डाॅ.एसएन मेडिकल काॅलेज ने कहा कि कार्य स्थल पर तनाव के कई कारण हो सकते हैं जैसे काम का अत्यधिक दबाव,संस्थान से मदद नही मिलना, अपर्याप्त वेतन,कार्य संबधी असुरक्षा,कौशलता का उपयोग नही होना इत्यादि। मानसिक रोगों से सम्बिन्धित विषय में अज्ञानता के कारण समाज मे कई भ्रातिंया एवं कुरितीया व्यापत हैं जिसके कारण कई बार मरीज के परिजन जादू टोेने एवं कालाजादु जैसे चीजों में विशवास करने लग जाते हैं,जिससे उपचार में विलम्ब हो जाता है।
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बिमार मानसिक रोगियों को भेदभाव एवं शोषण से गुजरना पड़ता है। इसलिए सही तथ्यात्मक जानकारी एवं चिकित्सकों के निरन्तर उपचार में रहने से बीमारी को ठीक किया जा सकता है तथा मरीज सामान्य जीवन जीकर समाज की मुख्य धारा मे शामिल हो सकता है। तनाव मुक्त रहने के लिये कुछ छोटेछोटे स्टेप्स सेसकारात्मकता बढाने के सुझाव दिये। कहा कि नियमित रूप से व्यायाम करें एवं संतुलित आहार लें,पर्याप्त मात्रा में नींद लें,रिश्तों को महत्व दे एवं अपने परिवार एवं मित्रों के साथ समय व्यतीत करें। परेशानी होने पर अपने साथियों से बिना हिचकिचाहट के मदद मांगे। अपने घर और कार्यालय में हमेशा सकारात्मक माहौल बनाए रखें।
डाॅ अशोक सीरवी,सहायक आचार्य ने बताया गया कि मानसिक रोगों से सम्बन्धित विषयों में सहायता एवं परामर्श हेतु सरकार द्वारा टेलीमानस कार्याक्रम के अन्तर्गत निःशुल्क टोल फ्री नम्बर 14416 एवं 1800-89- 14416 है। जिस पर 24×7 कांउसलर,साइक्लोजिस्ट एवं मनोरोग विशेषज्ञ से परामर्श लिया जा सकता है। मनोरोग विभाग जोधपुर के अन्तर्गत एक टेली मानस सेल स्थापित है जिस पर पिछले कुछ माह में नियमित रूप से लगभग 1500 काॅल प्रतिमाह आ रही हैं। मुख्यतःउदासी,चिंता, अनिन्द्रा,रिश्तों एवं परीक्षा से सम्बन्धित विषयों पर परामर्श एवं सहायता ली जा रही है।
कार्यक्रम के वक्ता डाॅ सुरेन्द्र कुमार, सहायक आचार्य ने कहा कि जीवन में सामान्य रूप से तनाव भी हमारी कार्य क्षमता को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि आज समाज में मनोविकार को लेकर बहुत सी भ्रान्तियां है। लोग इसे भूत-प्रेत, जादू-टोनों का प्रभाव मानते हैं जबकि यह मानसिक बिमारियां शारीरिक बिमारियों जैसी ही होती हैं और इनके मनोवैज्ञानिक सामाजिक एवं जैव रसायनिक कारण होते हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों में यह भी भ्रान्ति है कि एक बार ईलाज शुरू होने के बाद रोगी इसका आदि हो जाता है जबकि यह बिल्कुल निरर्थक हैं। उचित परामर्श और मार्गदर्शन में दवाईयां लेने से रोगी पूर्णतया ठीक हो जाता है और दवाईयां धीरे-धीरे कम हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक रोग को शारीरिक रोग की तरह ही लें। उचित चिकित्सकीय परामर्श एवं परिवार के सहयोग से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सालय में मानसिक रोगों से सम्बन्धित सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधाऐं उपलब्ध है।
कार्यक्रम में इंटर्न विद्यार्थियों ने मानसिक स्वास्थ्य से सम्बिन्धित विषयों पर पोस्टर भी लगाये। कार्यक्रम के अन्त में डाॅ.श्रेयांस जैन,सहायक आचार्य ने मेहमानों एवं परिजनों का यह कहते हुये धन्यवाद ज्ञापित किया कि मानसिक रोगियों को भी समाज में पूर्ण सम्मान के साथ जीने का अधिकार है।