कर्मयोगी चंपालाल सालेचा रचित पुस्तक का किया विमोचन

75 अमिबिन्दु अमृत वर्ष-अमृत विचार पुस्तक का पंजाब के राज्यपाल ने किया विमोचन

जोधपुर(डीडीन्यूज),कर्मयोगी चंपालाल सालेचा रचित पुस्तक का किया विमोचन।कर्मयोगी चंपालाल सालेचा रचित पुस्तक 75 अमिबिंदु “अमृत वर्ष-अमृत विचार” पुस्तक का मंगलवार को मेडिकल कालेज सभागार में पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने विमोचन किया। यह आयोजन कर्मयोगी चंपालाल सालेचा स्मृति न्यास के तत्वावधान में मंगलवार को शाम 5 बजे डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज सभागार में आयोजित किया गया।

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कार्यक्रम संयोजक देवेंद्र सालेचा ने बताया कि इस कार्यक्रम में पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया मुख्य अतिथि थे और केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं संघ जोधपुर प्रांत संघचालक हरदयाल वर्मा,राज्यसभा सांसद राजेंद्र गहलोत,उद्योग एवं खेल राज्य मंत्री केके बिश्नोई,गुजरात उच्च न्यायालय पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विनीत कोठारी,कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि के रूप में मौजूद थे।

देवेन्द्र सालेचा ने बताया कि कार्यक्रम में विधायक देवेंद्र जोशी, विधायक अतुल भंसाली,लघु उद्योग भारतीय राष्ट्रीय अध्यक्ष घनश्याम ओझा,जेडीए के पूर्व महेंद्र सिंह राठौड़ और महापौर वनिता सेठ भी मौजूद थे। मां भारती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुए कार्यक्रम में कर्मयोगी चंपालाल सालेचा के 75 अमिबिंदु पुस्तक का विमोचन किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि चंपालाल सालेचा के साथ उनका आत्मीय जुड़ाव था। उनका चंपालाल सालेचा से उदयपुर में शिक्षा के समय जुड़ाव हुआ। तभी से उनके साथ पारिवारिक संबंध थे। वो भी उनके जैसे एक कार्यकर्ता ही थे, लेकिन मेरा भाग्य तगड़ा था, इसलिए महामहिम बन गया।

उन्होंने कहा केवल इस पद के कारण मेरी गरिमा नहीं बढ़ेगी,मेरे कर्मों के आधार पर मेरी गरिमा बढ़ेगी। उन्होंने राज्यपाल को महामहिम कहने पर कहा कि महामहिम का पद क्या होता है? दुनिया से अलग। ऐसा लगता है में किसी अलग जात का हूं। सामान्यतः मुझे ये अच्छा नहीं लगता है, लेकिन हमारे प्रोटोकॉल वाले तंग करते हैं।

उन्होंने कहा कि सालेचा में इतनी प्रतिभाएं एक साथ होना उनके माता पिता का श्रेष्ठ कर्म था। उनका उस समय देश के प्रमुख संतों से मिलना जुलना था। सालेचा ने जनसंघ की स्थापना से अंतिम दम तक केवल जनसेवा पर काम किया। इस पुस्तक में उनके लिखे 75 अमृत विचार से आने वाली पीढ़ी को जानने का मौका मिलेगा कि वो क्या सोचते थे और क्या करते थे?

राज्यपाल कटारिया ने कहा कि मेरा सोचना है कि ऐसे व्यक्तियों के जीवन को लिखना और पढ़ना आगे ले जाना बहुत बड़ी बात है। यह देश जिंदा रहा तो गीता और रामायण के कारण रहा, लोग मर गए,सर कट गए परन्तु देश मिटा नहीं। संस्कृति मिटी नहीं। जीवन क्या होता है? करना क्या है? ये सभी प्रश्न उसमें थी। ये चीजें आने वाली पीढ़ी को राह दिखाने का तरीका है।

उन्होंने कहा कि सालेचा ने जीवन में इतने काम कर दिए जितना कोई सोच भी नहीं सकता। हमने राजनीति में इतने वर्ष गुजार दिए, लेकिन जनता के काम दिमाग में ही नहीं आते। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत,राज्य सभा सांसद राजेंद्र गहलोत,आरएसएस के प्रांत संघ चालक हरदयाल वर्मा ने भी संबोधित किया। पूर्व में सालेचा परिवार ने सभी अतिथियों का साफा,माला,स्मृति चिह्न से सम्मान किया। चंपालाल सालेचा के पुत्र ने स्वागत उद्बोधन दिया। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।


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