आर्थिक विकास के साथ घरेलू पर्यटन में आया ऐतिहासिक उछाल- शेखावत

  • बीते एक वर्ष में 250 करोड़ यात्राएं की गई दर्ज
  • अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या भी अब 2 करोड़ के करीब पहुंची

जोधपुर(डीडीन्यूज),आर्थिक विकास के साथ घरेलू पर्यटन में आया ऐतिहासिक उछाल- शेखावत।केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत में जिस तेजी से आर्थिक प्रगति हो रही है उसी अनुपात में डोमेस्टिक टूरिज्म में ऐतिहासिक वृद्धि देखने को मिल रही है। अगर महाकुंभ जैसे आयोजनों के आंकड़ों को अलग कर दें,तब भी बीते एक वर्ष में 250 करोड़ यात्राएं दर्ज की गई हैं,जो देश की कुल आबादी से डेढ़ गुना अधिक है। अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या भी अब 2 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है।

रविवार को जोधपुर सर्किट हाउस में मीडिया से रूबरू होते हुए शेखावत ने कहा कि ये आंकड़े भारत की बदलती वैश्विक छवि,आर्थिक सुदृढ़ता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विकसित हो रहे इंफ्रास्ट्रक्चर एवं टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर का परिणाम है। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों के कालखंड में डेढ़ लाख किलोमीटर से अधिक सडक़ों का निर्माण,नए हवाई अड्डों और रेलवे स्टेशनों का विकास,वंदे भारत और अमृत भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों की शुरुआत,इन सभी ने टूरिज्म को गति दी है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत सरकार का लक्ष्य है कि जैसे वैश्विक स्तर पर टूरिज्म का योगदान ग्लोबल जीडीपी में 10 प्रतिशत है,वैसे ही भारत में भी पर्यटन क्षेत्र का योगदान 2047 तक तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि जब भारत की अर्थव्यवस्था 30 से 40 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचे,तो टूरिज्म का योगदान 3 ट्रिलियन डॉलर हो। इसके लिए सरकार ने अगले पांच वर्षों में 50 आइकॉनिक डेस्टिनेशन्स को विकसित करने का लक्ष्य तय किया है,ताकि ओवर टूरिज्म को रोका जा सके और सस्टेनेबल टूरिज्म को बढ़ावा मिले।

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ज्ञान भारतम मिशन से बदलेगा भारत का बौद्धिक परिदृश्य 
शेखावत ने बताया कि भारत के पास आज भी लाखों की संख्या में प्राचीन हस्तलिखित पांडुलिपियां मौजूद हैं,जिनमें से कई ताड़पत्र, भोजपत्र,पेड़ की छाल,रेशम के कपड़े या हस्तनिर्मित कागज पर लिखी गई हैं। उन्होंने कहा कि इन पांडुलिपियों में हमारे पूर्वजों का अमूल्य ज्ञान समाहित है,जिसे संरक्षित करना समय की मांग है। इसी उद्देश्य से केंद्र सरकार ने ‘ज्ञान भारतम के तहत ’राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन’ की शुरुआत की है। इस मिशन के तहत राष्ट्रीय महत्व की सभी पांडुलिपियों का डिजिटली करण किया जाएगा और उन्हें कंप्यूटर रीडेबल फॉर्मेट में लाकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से उनका विश्लेषण किया जाएगा।

अब तक दो लाख पांडुलिपियां डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध 
उन्होंने कहा कि अब तक इस मिशन के तहत दो लाख पांडुलिपियां डिजिटल फॉर्मेट में लायी जा चुकी हैं और जल्द ही यह संख्या 10 लाख तक पहुंचने वाली है। उन्होंने कहा कि देशभर के मठ,मंदिर, विश्वविद्यालय,संग्रहालय और शोध संस्थानों से इस कार्य में सहयोग लिया जा रहा है। जैसे जोधपुर का ओरिएंटल रिसर्च सेंटर,जिसके पास अकेले 1.28 लाख पांडुलिपियां संरक्षित हैं। इस प्रयास में देश-विदेश के 1100 से अधिक विशेषज्ञों स्क्रिप्टोलॉजिस्ट,इंडोलॉजिस्ट,भाषा विज्ञानी आदि ने मिलकर ज्ञान भारतम् पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मार्गदर्शन दिया है।

खेलों को राजनीति से अलग रखने की वकालत की 
पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच को लेकर विपक्ष के आरोपों पर उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट को राजनीतिक विवादों से दूर रखा जाना चाहिए। अगर हम खेल के मंचों से हटने लगें,तो भविष्य में हमें ब्रिक्स,कॉमनवेल्थ या ओलंपिक जैसे मंचों से भी खुद को अलग करना पड़ेगा,जो व्यवहारिक नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, लेकिन खेलों को खेल भावना से ही देखा जाना चाहिए।