23 वर्षीय महिला के पेट से निकाला 3 किलो बालों का गुच्छा

मथुरादास माथुर अस्पताल में हुई सर्जरी

जोधपुर,23 वर्षीय महिला के पेट से निकाला 3 किलो बालों का गुच्छा। 28 वर्षीय महिला काफ़ी समय से पेट दर्द,उल्टी,भूख नहीं लगना एवं पेट में भारीपन की पिछले 3 साल से शिकायत से परेशान थी। इसी परेशानी के चलते वह माथुरादास माथुर अस्पताल में डॉ.दिनेश दत्त शर्मा,आचार्य एवं यूनिट प्रभारी, वरिष्ठसर्जन को दिखाने आयी।

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जहां पर मरीज़ के रिश्तेदारों ने बताया कि मरीज़ को काफ़ी जगह दिखाया पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ। मरीज़ को सभी जगह बताया गया कि उसकी तिल्ली बढ़ी हुई है,पर कोई बीमारी पता नहीं लग रही है।

डॉ.सुनील दाधीच,वरिष्ठ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष गैस्ट्रोंलॉजी विभाग ने एंडोस्कोपी में पाया कि मरीज़ के आमाशय में बालों का गुच्छा है जिसे सर्जरी द्वारा ही निकाला जा सकता है।

डॉ.दिनेश दत्त शर्मा ने जांचें करवाई एवं हिस्ट्री लेने पर पता चला कि महिला में बाल खाने की आदत है। उसके सिर के बाल भी कम पाये गये। इस बालों के गुच्छे ने पूरे आमाशय को बालों से भर दिया था जिसकी वजह से मरीज़ को भूख नहीं लगती थी।

वह जो भी खाती,आमाशय में जगह नहीं होने की वजह से वापस उल्टी द्वारा बाहर आ जाता। इससे मरीज़ का वजन भी कम हो गया था। इस मरीज़ में ख़ास बात यह थी कि मरीज़ मानसिक रूप से स्वस्थ है पर इसकी बाल खाने की आदत थी।

डॉ.दिनेश दत्त शर्मा एवं उनकी टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को सफलता पूर्वक संपन्न किया। इस ऑपरेशन में जटिलता यह होती है कि बालों का गुच्छा इतना ज़्यादा बड़ा था कि आमाशय में छोटे से चीरे द्वारा इसे बाहर निकालना काफ़ी चैलेंजिंग होता है।

इस बाल के गुच्छे ने आमाशय एवं छोटी आँत के शुरुआती भाग डुओडेनम को पूरा ब्लॉक कर दिया था,जिसकी साइज लगभग 15× 10×8 इंच से भी ज़्यादा थी। इस बालों के गुच्छे का वजन लगभग 3 किलो था।

एक्सपर्ट ओपीनियन
डॉ.दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि मरीजो में एक बीमारी होती है जिसे ट्राइकोफ़ैजिया कहा जाता है जिसमें मरीज़ की बाल खाने की आदत पड़ जाती है,ये बाल मरीज़ की आहर नाल में इकट्ठे होने शुरू हो जाते हैं जिससे आमाशय में बालों का गुच्छा बन जाता है जिसे ट्राइकोबेज़ोर कहा जाता है।

मनुष्य की आहारनाल में बालों को पचाने की क्षमता नहीं होती है। जिसकी वजह से ये बाल ईकठ्ठा होकर बड़े गुच्छे का रूप ले लेते हैं। यह बीमारी सामान्यतः मानसिक रूप से कमजोर,विक्षिप्त एवं असामान्य व्यवहार करने वाली महिलाओं में ज़्यादा होती है,जिनकी उम्र 15 से 25 साल होती है।

ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. दिनेश दत्त शर्मा के साथ डॉ.पारंग आसेरी,डॉ विशाल यादव,डॉ.कुणाल चितारा,डॉ.अक्षय,डॉ.श्वेता, बेहोशी की टीम में डॉ.गीता सिंगारिया,डॉ.गायत्री तँवर,डॉ.ऋषभ, डॉ.प्रेक्षा, नर्सिंग टीम में रेखा पंवार,सुमित्रा चौधरी,रोहिणी आदि ने सहयोग किया।

मथुरा दास माथुर अस्पताल अधीक्षक डॉ.नवीन किशोरियाँ एवं डॉ.एसएन मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ.बीएस.जोधा ने ऑपरेशन करने वाली टीम को बधाई दी एवं बताया कि मरीज़ का यह ऑपरेशन मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में निःशुल्क हुआ है।

Trichobezoar(बालों का गोला) के बारे में जनता के लिए “टेक होम” संदेश
1.बालों को निगलने से बचें,बालों को चबाना या निगलने की आदत गंभीर समस्या पैदा कर सकती है। इसे रोकने के लिए बालों के साथ खेलने या उन्हें खाने से बचें।

2.समस्या की पहचान करें,अगर किसी को बार-बार पेट दर्द,उल्टी या वजन कम होने की समस्या है,तो डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। यह ट्रिकोज़ोआर का संकेत हो सकता है।

3.मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें,बाल खाने की आदत (ट्राइकोटिलोमेनिया)अक्सर तनाव या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ी होती है। समय पर मानसिक स्वास्थ्य का उपचार बहुत जरूरी है।

4.समय पर इलाज करवाएं,अगर ट्रिकोज़ोआर की समस्या हो जाए, तो इसे सर्जरी या अन्य चिकित्सा प्रक्रियाओं से निकाला जा सकता है। जितनी जल्दी समस्या पहचानी जाएगी,उतनी जल्दी इलाज हो सकेगा।

5.सतर्क रहें,बच्चों और किशोरों में यह आदत अधिक देखने को मिलती है,इसलिए उनके व्यवहार और आदतों पर ध्यान दें और सही मार्गदर्शन दें।

डॉ.नवीन किशोरिया ने बताया कि संदेश के जरिए,हम बालों को निगलने की आदत और उससे जुड़ी खतरनाक समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाना चाहते हैं।