- यूरोपीय देश बोस्निया और हर्जेगोविना और मौलाना आज़ाद यूनिवर्सिटी के बीच शैक्षिक सहयोग की अपार संभावना
- बोस्निया के राजदूत ने विश्वविद्यालय के वर्तमान रोजगारोन्मुखी कोर्सेज एवं रिसाईकिल कार्यप्रणाली को सराहा
जोधपुर, यूरोपीय देश बोस्निया और हर्जेगोविना के राजदूत मोहोम्मद सेनजिक ने कहा कि मौलाना आज़़ाद यूनिवर्सिटी की स्थापना में जिन चीजों को रिसाईकिल करके जिस कलात्मक तरीके से इस्तेमाल किया गया है वो आधुनिक, पयार्वरण अनुकूल और आर्थिक रूप से सस्ती है। यह अपने आप में एक नवाचार है जिसे अन्य लोगों को अपनाना चाहिए।
वे मारवाड़ मुस्लिम एज्यूकेशनल एण्ड वेलफेयर सोसायटी जोधपुर में आयोजित अपने दो दिवसीय दौरे के अन्तर्गत आयोजित एक व्याख्यान कार्यक्रम में स्टूडेन्ट को सम्बोधित कर रहे थे।
शिक्षा में बेहद रूचि रखने वाले मुहम्मद सेनजिक ने ‘एक्सप्लोरिंग द पोसिब्लिटीज ऑफ हायर एण्ड स्किल एज्यूकेशनल कोलाबरेशन बिटविन मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी एण्ड बोसनिया एण्ड हर्जेगोविना‘ विषय पर बात करते हुए कहा कि यूक्रेन, रसिया, हंगरी, रूमानिया, बलगारिया, आरमेनिया आदि यूरोपियन देशों के साथ ही अब स्टूडेन्ट मेडिकल क्षेत्र की पढाई के लिए बोस्निया व हर्जेगोविना भी जा सकेगें। येे देश अन्य देशों की तुलना में हर रूप में सुविधाजनक रहेगा। उन्होेंने कहा कि कम्यूनिटी व स्टूडेन्ट की बेहतरी के लिए हम भविष्य में आगे भी विजिट करते रहेगें।
विटामिन डी के शोधकर्ता विश्व ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक एवं जामिया हमदर्द नई दिल्ली के स्कूल ऑफ इन्टरडिस्सीप्लीनरी साइन्स एण्ड टेक्नाॅलोजी के पूर्व डीन डाॅ. अफरोजुल हक ने ‘द रोल ऑफ विटामिन डी इन हैल्थ डिजिज‘ विषय पर बात करते हुए कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में करीब 80 से 85 प्रतिशत लोग विटामिन डी के अभाव से प्रभावित हैं।
वर्तमान शोध से पता चलता है कोविड 19 की बीमारी से बचाव के लिए विटामिन डी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हड्डियो की बीमारी के अलावा विटामिन डी का महत्व और भी अधिक बन जाता है जब विटामिन डी की कमी से दूसरी बीमारी जैसे कैंसर, न्यूरोलाॅजिकल डिसऑर्डर, मल्टिपल हिस्कलोरोसिस, आर्थराइटिस, लंग डिजिज आदि होने का खतरा बना रहता है। दो हजार आईयू (इन्टरनेशनल यूनिट) प्रतिदिन या साठ हजार इन्टरनेशनल यूनिट प्रति सप्ताह लिया जाये तो इसकी विटामिन डी की कमी से बचा जा सकता है।
कलौंजी जिसको काला जीरा या अंगेजी में ब्लेक सीड कहा जाता है। जो कि एशियन देश व मिडिल इस्ट देशों में सदियों से भोजन में उपयोग लिया जाता है। प्रोफसर हक ने बताया कि उन्होने जो कलौंजी पर शोध किया है उसके अन्तर्गत कलोंजी में ऐसी प्रोटिन मौजूद है जो कि इम्यूनिटी बढाते हैं और कोविड 19 की बीमारी में भी लाभदायक है।
प्रोफेसर हक ने पास्चर इन्स्टिट्यूट पेरिस, फ्रांस, मेकिल यूनिवर्सिटी मान्टरियाल कनाडा, किंग फैसल स्पेशलिस्ट हाॅस्पीटल रियाद, शेख खलीफा हाॅस्पीटल अबुधाबी सहित दुनिया के कई देशो की यात्रा की और प्रसिद्ध हैल्थ इंस्टिट्यूट और यूनिवर्सिटी में काम भी किया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए सोसायटी के सीईओ मोहम्मद अतीक ने संस्थान की स्थापना से लेकर वर्तमान की स्थिति से रूबरू कराते हुए कहा कि इस संस्थान में विभिन्न समुदायों के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के करीब 13 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे है तथा 700 से अधिक लोग कार्य कर रहे हैं। संस्थान का उद्देश्य विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्य देते हुए वोकेशनल कोर्सेज के जरिये उन्हें हुनरमंद बनाना भी है।
इस मौके पर जामिया हमदर्द नई दिल्ली के पूर्व पब्लिक रिलेशन ऑफिसर समद रफीक खान, भरतपुर के समाजिक कार्यकर्ता असरूद्दीन खान, सोसायटी के कोषाध्यक्ष अताउर्रमान कुरैशी, सोसायटी सदस्य हाजी मोहम्मद इस्हाक, मोहम्मद आबिद कुरैशी, मोहम्मद रमजान जमजम, फिरोज अहमद काजी, अब्दुल्लाह खालिद कुरैशी,मोहम्मद साबिर,मोहम्मद आसिफ,शेख अहमद अली,उस्ताद हाजी हमीम बक्ष,शब्बीर हुसैन,डाॅ इमरान खान पठान,डाॅ रेहाना बेगम,डाॅ सलीम अहमद,डाॅ श्वेता अरोडा, जेबा नाज सहित कई गणमान्य लोग तथा बीएड एवं बीएसटीसी के स्टूडेन्ट मौजूद थे।
संचालन यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रार मोहम्मद अमीन ने किया। धन्यवाद सोसायटी अध्यक्ष मोहम्मद अली चुंदडीगर ने दिया।