जोधपुर, कोरानेा संक्रमण की दूसरी लहर में ठीक हो चुके कुछ मरीजो में ब्लैक फंगस का खतरा मंडराने लगा है। यह फंगस कोरोना के उपचार में दी गई दवाओं, कमजोर इम्युनिटी व हाई शुगर वाले मरीजों में ज्यादा घातक साबित हो रहा है। इसके कुछ मरीज जोधपुर में भी मिल चुके हैं। ऐेसे में समय पर पहचान और शीघ्र निदान ही इस संक्रमण से बचाव है।

डॉ. कामदार आई हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. गुलाम अली कामदार ने बताया कि म्यूकोर्मिकोसिस एक खतरनाक कवक (फंगस) है जो मधुमेह, कॉर्टिकोस्टेरोयडस, इम्यूनोडेफिसिएंसी व हेमेटोलॉजीकल डिस्ऑर्डर वाले मरीजों में पाया जाता है। राइनो-आर्बिट-सेरेब्रल म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण भारत व अन्य देशों में कोरोना की दूसरी लहर के साथ बढ़ा है। कोरोना की पहली लहर में भी इस संक्रमण के मरीज मिले थे, लेकिन उनकी संख्या कम थी।

वर्तमान में कोरोना की दूसरी लहर में पॉजिटिव से नेगेटिव हुए मरीजों में इस संक्रमण के मामलों में असामान्य बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह एक तेजी से बढऩे वाली बीमारी है, अगर इसके निदान या उचित प्रबंधन में देरी हो जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में म्यूकोर्मिकोसिस से बचाव के लिए इसकी पहचान और शीघ्र निदान जरूरी है।

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जोधपुर ऑफथैलमोलॉजी सोसायटी के सचिव डॉ. कामदार ने कहा कि म्यूकोर्मिकोसिस संक्रमण को आसानी से पहचाना जा सकता है। ऐसे मरीज जिनकी नाक बंद हो जाए, नाक से बदबू या खून आए, आंखों की पलकों व आंखों के आस-पास सूजन, आंख व दांत में दर्द, आंखों से डबल दिखना या आंखों की रोशनी का अचानक चले जाना, इसके लक्षण है। गंभीर मरीजों में ब्रेन स्ट्रोक भी संभव है।

ऐसे में इस गंभीर बीमारी से बचने के लिए जागरूकता के साथ लक्षण पहचानने व समय पर ईलाज होने से इसके घातक परिणामों से बचा जा सकता है। उन्होने बताया कि उचित समय पर प्राथमिक जांच, नाक की एंडोस्कोपी, एमआरआई या सीटी स्केन से बीमारी का पता चल जाता है। प्रारंभ में दवा से ईलाज संभव है लेकिन संक्रमण अधिक हो तो सुपर स्पेशल्स्टि टीम द्वारा साइनस सर्जरी या आंख की ऑर्बिट सर्जरी के बाद पोस्ट सर्जिकल केयर से इसका निदान किया जा सकता है।