श्रावकाचार विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी शुरू

जोधपुर,श्रावकाचार विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी शुरू।श्रीजैन रत्न हितेषी श्रावक संघ जोधपुर एवं सम्यक ज्ञान प्रचारक मंडल के संयुक्त तत्वाधान में 11वीं राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी शुक्रवार को सामायिक स्वाध्याय भवन शक्ति नगर में शुरू हुई। आचार्य हीराचंद्र एवं भावी आचार्य महेंद्र मुनि के पावन सानिध्य में आयोजित इस कार्यक्रम में देश-विदेश से अनेक विद्वान अपना वक्तव्य प्रस्तुत करने के लिए उपस्थित हुए हैं। मीडिया प्रभारी दीपक कुमार सिंघवी ने बताया कि 15,16,17 सितम्बर को आयोजित होने वाली तीन दिवसीय इस विद्वत संगोष्ठी के कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण में भावी आचार्य महेंद्र मुनि ने एक आदर्श श्रावक की विशेषताओं को बताते हुए कहा कि एक नीतिवान,निर्व्यसनी और प्रामाणिक व्यक्ति ही एक आदर्श श्रावक के रूप में उभरकर सामने आता है और एक आदर्श श्रावक साधु के निर्दोष संयम पालन में मुख्य रूप से सहयोगी भी बनता है।

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प्राचीन समय के मुख्य श्रावकों का वर्णन करते हुए आदर्श श्रावक के गुणों व विशेषताओं को बताते हुए सभी श्रावक-श्राविकाओं को जीवन में निर्व्यसनता और प्रामाणिकता अपनाते हुए नेक व नीतिवान बनने की प्रेरणा दी।कार्यक्रम के मंगलाचरण के साथ रविंद्र मुनि ने श्रावक के अहिंसा व्रत का वर्णन करते हुए जैन श्रावक को जीव हिंसा से बचने की शिक्षा प्रदान की। संगोष्ठी का प्रारंभ कार्यक्रम के संयोजक डॉ धर्मचंद जैन ने श्रावक धर्म की विस्तृत पृष्ठभूमि को बताते हुए इस संगोष्ठी की आवश्यकता समाज के लिए क्यों आवश्यक है उसके बारे में जानकारी दी। इस संगोष्ठी मे देशभर से आए प्रमुख विद्वानों का स्वागत किया।

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जोधपुर श्रीजैन रत्न युवक परिषद के अध्यक्ष गजेंद्र चौपड़ा ने बताया कि जलगांव से जैन विद्यापीठ के प्राचार्य प्रकाश चंद्र जैन ने श्रावक की 11 प्रतिमाओं की वर्तमान में प्रासंगिकता बताते हुए व्रत नियमों की शुद्ध रूप से पालना करने की विशेष प्रेरणा देते हुए वक्तव्य को प्रस्तुत किया। त्रिलोकचंद जैन जयपुर ने वर्तमान युग में संयमी संत सतियों के साध्वाचार के संरक्षण में एक श्रावक और श्राविका की भूमिका किस तरह रहती है उसकी विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटीया ने की। संगोष्ठी को तीन सत्रों में विभाजित किया गया जिसमें दूसरे सत्र में साध्वी रूचिता की शिष्या कृपाश्री ने श्रावक का वचन व्यवहार समझाते हुए उसकी व्याख्या की। जयपुर से आए डॉ पदमचंद गांधी ने अपना वक्तव्य रखा।

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धर्मचंद जैन ने व्याख्या प्रज्ञप्ति सूत्र में वर्णित श्रावक की विशेषताओं का वर्णन किया। दूसरे सत्र में डॉ श्वेता जैनजोधपुर,डॉ अनिल जैन जयपुर और डॉ हेमलता जैन जोधपुर ने श्रावकाचार विषय पर विस्तार से चर्चा की। दूसरे सत्र की अध्यक्षता महेंद्र पारख जयपुर ने की। तृतीय सत्र में प्रमुख वक्ताओं के रूप में राजकुमार छाबड़ा,नवल डूंगरवाल,गौतम चंद जैन और सुंदरलाल जैन ने श्रावक धर्म विषय पर विस्तार से व्याख्या की। तीसरे सत्र की अध्यक्षता आनंद चौपड़ा जयपुर ने की, संयोजन त्रिलोक जैन ने किया। कार्यक्रम में जोधपुर संघ के अध्यक्ष सुभाष गुंदेचा,मंत्री नवरत्न गिड़िया, युवा अध्यक्ष गजेंद्र चौपड़ा,श्राविका संघ अध्यक्ष सुमन सिंघवी,शक्ति नगर संयोजक अशोक मेहता,अमरचंद चौधरी,नारायण चौपड़ा,लाडे़श रांका, गौतम भंडारी,महावीर बोथरा,अशोक बाघमार,आकाश चौपड़ा,सुरेंद्र कांकरिया,सुनील नाहर,अनिल नाहर, आशीष गुलेच्छा अतिथियों की सेवा में उपस्थित थे। संचालन धार्मिक शिक्षण बोर्ड के रजिस्ट्रार धर्मचंद जैन ने किया।

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