अन्तर्राज्यी धोखाधड़ी और चोर गैंग के तीन बदमाश जोधपुर में गिरफ्तार

  • गाड़ियां फाइनेंस कराने के बाद चोरी और दुर्घटना का फर्जी केस करवाते
  • फर्जी रजिस्ट्रेशन से कमाते करोड़ों
  • तीन लक्जरी गाड़ियों के साथ 25 फर्जी रजिस्ट्रियों का खुलासा

जोधपुर, शहर की चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड पुलिस ने मंगलवार को अंतराज्यीय धोखेबाज और चोर गैंग का खुलासा करते हुए तीन बदमाशों को पकड़ा है। यह लोग फाइनेंस कंपनियों से गाडिय़ां खरीद के बाद दो तीन किश्तें भरते और फिर वही गाडिय़ां चोरी होने और दुर्घटना होने का फर्जी केस का प्रकरण दर्ज करवाते। बाद में इन्हीं गाडिय़ों को आगे फर्जी रजिस्ट्रेशन कराने के  साथ बेच देते थे। पुलिस ने पकड़े गए तीन अभियुक्तों के पास से तीन लज्जरी गाडिय़ां बरामद किए जाने के साथ ही 25 फर्जी रजिस्ट्रियां भी जब्त की हैं। अब तीनों अभियुक्तों से गहनता से पता लगाया जा रहा है। इसमें कई और लोग भी शामिल हो सकते हैं। काफी लंबे समय से सरगना यह कार्य करता आ रहा है और करोड़ों रूपए भी कमाए जाने की आशंका है।

अन्तर्राज्यी धोखाधड़ी और चोर गैंग के तीन बदमाश जोधपुर में गिरफ्तार

पुलिस आयुक्त जोसमोहन ने बताया कि 15 नवंबर को चौपासनी हाऊसिंग बोर्ड थानाधिकारी लिखमाराम को मुखबिर से सूचना मिली कि एम्स रोड स्थित मंगलम रेस्टोरेंट के समीप तीन लज्जरी गाडिय़ां खड़ी हैं और इनका रजिस्ट्रेशन भी फर्जी प्रतीत हो रहा है। इस पर पुलिस की टीम थानाधिकारी लिखमाराम के साथ एएसआई भगाराम, हैडकांस्टेबल रतनाराम, कांस्टेबल भविष्य कुमार, प्रेम, सुरेश, वीराराम, नरपतसिंह एवं रामप्रसाद की गठित की गई।

अन्तर्राज्यी धोखाधड़ी और चोर गैंग के तीन बदमाश जोधपुर में गिरफ्तार

पुलिस की इस टीम ने राजधानी जयपुर के चिमनपुरा थानान्तर्गत विला करणीनगर निवासी विक्रम पुत्र रामेश्वर यादव को पकड़ा। इसने पुलिस को आरंभिक पूछताछ में बताया कि वह बाड़मेर के पचपदरा रोड स्थित धानमंडी के पीछे रहने वाले भगवानदास पुत्र मिश्रीगिरी और पाल रोड बालाजी नगर जोधपुर निवासी मनीष गौड़ पुत्र वासुदेव गौड़ के साथ मिलकर लज्जरी गाडिय़ों की खरीद फरोख्त के बाद उनका फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाते और आगे से आगे बेचकर करोड़ों रूपए कमाते हैं।

अब तक जांच में सामने आया कि ये लोग देश के अलग-अलग हिस्सों से गाड़ियां भी चुराते और आगे फर्जी रजिस्ट्रेशन कर बेच देते हैं। फाइनेंस कंपनियों से गाड़ियों की खरीद के बाद दो तीन किश्तें भरते थे। फिर इन्हीं गाड़ियों को दुर्घटनाग्रस्त होने या चोरी होने की जानकारी देकर झूठा केस करवाते। फिर आरटीओ से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नंबर आदि भी हासिल कर लेते। गाड़ियों के इंजन चेसिस नंबरों की टेपरिंग के बाद फर्जी आरसी और एनओसी तैयार करवा लेते थे।

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