गंगनहर परियोजना चरण-1की रिपोर्ट तैयार करने के प्रस्ताव को हरी झंडी

  • राजस्थान को एक और सौगात
  • परियोजना की संभावित लागत 1153.54 करोड़ रुपए

नई दिल्ली/जयपुर, केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय के तहत केंद्रीय जल आयोग ने विस्तृत अध्ययन के बाद गंग नहर परियोजना के चरण-1 में पर्यवेक्षी नियंत्रण और डाटा अधिग्रहण (एससीएडीए) आधारित स्वचालन के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के राजस्थान सरकार के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है।केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि परियोजना की संभावित लागत 1153.54 करोड़ रुपए (2021-22 पीएल) है।

दरअसल गंगनहर प्रणाली वर्ष 1927 से चालू है। इसे बीकानेर नहर के माध्यम से पानी मिलता है,जो सतलुज नदी पर फिरोजपुर में हुसैनीवाला हेड वर्क्स से शुरू होता है। अब बीकानेर नहर को फिरोजपुर फीडर के माध्यम से हरिके हेडवर्क्स से पानी की आपूर्ति होती है। बीकानेर नहर जब राजस्थान में प्रवेश करती है तो इसे गंगनहर के नाम से जाना जाता है।

शेखावत ने बताया कि इससे पहले गंगनहर के विस्तार,नवीनीकरण और आधुनिकीकरण (ईआरएम) कार्य शुरू किए गए थे जिनमें मुख्य रूप से कैनाल लाइनिंग का कार्य शामिल था। भारत सरकार की पीएमकेएसवाई- एआईबीपी योजना के तहत वर्ष 2017-18 में गंगनहर परियोजना के ईआरएम कार्य पूरे किए गए। एआईबीपी के तहत 75340 हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई क्षमता का निर्माण किया गया और इससे सिंचाई की तीव्रता को 60% से बढ़ाकर 79% किया गया।

उन्होंने बताया कि एससीएडीए के लिए वर्तमान प्रस्ताव चरण-1 के अंतर्गत मुख्य नहर,शाखा नहर और इसकी वितरिकाओं के अंतर्गत 1.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अत्याधुनिक एससीएडीए प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव किया गया है। एससीएडीए प्रणाली में स्वचालित नहर नियामक, नहरों में स्वचालित प्रवाह और जलस्तर माप तथा इसकी निगरानी प्रणाली, रेडियो संचार की स्थापना, स्वचालित कृषि सेवा बिंदु और ग्राहक सेवा व जल लेखांकन आदि के लिए अन्य सॉफ्टवेयर शामिल हैं।

गौरतलब है कि 5 अगस्त को श्रीगंगानगर से भाजपा सांसद निहालचंद मेघवाल के नेतृत्व में क्षेत्र के वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों के शिष्टमंडल ने केंद्रीय मंत्री शेखावत से मुलाकात की थी। सभी ने क्षेत्र में सिंचाई पानी की उपलब्धता,सभी हेड को पक्का करने, नहरों के स्वचालन, गेटों के आधुनिकीकरण समेत अन्य सिंचाई और पानी उपलब्धता की समस्याओं के उचित निस्तारण को लेकर विस्तारपूर्वक चर्चा की थी।

यह होगा लाभ

– नहर प्रणाली में स्वचालन (ऑटोमेशन) से जल प्रबंधन में सुधार, समान जल वितरण प्राप्त करने, परिचालन दक्षता बढ़ाने,सिंचाई क्षमता बढ़ाने आदि में मदद मिलेगी।

– एससीएडीए को वर्तमान प्रस्ताव के तहत चरण-1 में 1,09,669 हेक्टेयर (कुल 3,14,000 हेक्टेयर में से) के सीसीए को कवर करते हुए लागू किया जा रहा है। जल आपूर्ति की दक्षता में वृद्धि से सिंचाई की तीव्रता 79 से 90% तक बढ़ जाएगी, जो न केवल किसानों को पानी उपलब्ध कराने में मदद करेगी, बल्कि मौजूदा प्रणाली में 12000 हेक्टेयर तक अतिरिक्त सिंचाई क्षमता भी पैदा करेगी।

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