लोकानुरंजन मेले का रंगारंग आगाज़

जोधपुर, करीब एक साल की चुप्पी के बाद गुरुवार को राज्य की सांस्कृतिक राजधानी जोधपुर में लोकानुरंजन मेले के जरिये फिर से ढोल नगाड़े और तुरई के स्वर गूंज उठे। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के बहुप्रतिक्षित लोकानुरंजन मेले में शहर वासियों की उम्मीद से ज्यादा उपस्थिति आज ये जता रही थी कि कितनी ही मुश्किलें आए,ये शहर कभी अपना हौंसला और जीने की अदा नहीं छोड़ता है।

The people of Suryanagari took a dip in the Kumbh of folk artइस मौके पर राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष व रंगकर्मी रमेश बोराणा ने नाद वादन‌ कर मेले की विधिवत शुरुआत की। इस मौके पर उन्होने कहा यह मेला राजस्थान सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक और जीवन्त दस्तावेज है। जयनारायण व्यास स्मृति भवन टाउन हॅाल में कोविड-19 की नियमों की पालना के साथ आयोजित किया गया।

The people of Suryanagari took a dip in the Kumbh of folk art
अकादमी सचिव एलएन बैरवा ने बताया कि तीन दिवसीय लोक कला के इस महाकुंभ में देश के नौ राज्यों के कलाकार अपनी लोकरंजन परम्परागत लोक कलाओं का मनोहारी प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह मेला पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर, उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, पटियाला तथा हरियाणा कला परिषद कुरूक्षेत्र के सहयोग से आयोजित किया गया। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम दो चरणों में आयोजित किया गया है।

The people of Suryanagari took a dip in the Kumbh of folk artप्रथम चरण में टाउन हॅाल के खुले प्रांगण में मेलानुमा परिवेश में प्रदेश की विभिन्न प्रदर्शनात्मक लोककलाओं का प्रदर्शन किया। इसमें चकरी नृत्य जानकीलाल चाचौड़ा, शहरिया नृत्य गोपाल धनुक, शहबाद, बम्ब नृत्य शशिबाला लक्ष्मणगढ, बहुरूपिया अकरम खां बांदी कुई, युवाओं की गेर राधेश्याम कीटनोद, शेखावटी का ढप नृत्य गोपाल पाबुसर, शहनाई वादन ऐहसान जोधपुर, तीन ढोल थाली बांकिया गोविन्द मिरासी जोधपुर, जागूदर नरेन्द्र उर्फ शनि जोधपुर, कच्ची घोड़ी दिलवार मिरासी जोधपुर, भारतीय लोक कला मंडल की कठपुतली नृत्य प्रमुख आकर्षण केंद्र थे। कार्यक्रम के दूसरे चरण में बाहरी प्रदेशों की लोक कलाओं के साथ ही राजस्थान के लोक कलाकारों द्वारा पूरे प्रदेश की लोककलाओं से रूबरू करवाया। प्रेक्षागृह के अंदर इरफान खान एवं साथी श्रीनगर जम्मू कश्मीर, रूफ नृत्य, प्रकाश विशिष्ट एवं साथी, उतराखंड छपेली, नृत्य जोगिन्दर सिंह हब्बी एवं साथी, सिरमोर, हिमाचल प्रदेश सिरमोरी फाग नृत्यनाटी नृत्य श्रद्धा संविदकर एवं साथी, मुम्बई, महाराष्ट्र लावणी नृत्य अशोक गुडा एवं साथी, हरियाणा अरमिन्दर सिंह एवं साथी, गिद्धा नृत्य शीशपाल सिंह, रोहतक घूमर नृत्य कंचन भाई राठवा, छोटा उदयपुर, गुजरात राठवा नृत्य महेन्द्र भाई, लतीपुर, गुजरात गरबा नृत्य सरस्वती कला मंडी, गोवा समई नृत्य के प्रदर्शन किया गया।