बुढ़ापे के अकेलेपन और बेचारगी के साथ सामाजिक व्यवस्था का मर्म बयां कर गया नाटक
डॉ.एसपी रंगा निर्देशित नाटक बलि और शम्भू से प्रारम्भ हुआ 32वां ओमशिवपुरी नाट्य समारोह
जोधपुर,बुढ़ापे के अकेलेपन और बेचारगी के साथ सामाजिक व्यवस्था का मर्म बयां कर गया नाटक। राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर और पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र उदयपुर तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के सहयोग से आयोजित 32वें ओम शिवपुरी नाट्य समारोह का शुभारम्भ मयूर नाट्य संस्था जोधपुर के डॉ. एसपी रंगा द्वारा निर्देशित नाटक बलि और शम्भू से हुआ।
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अकादमी सचिव डॉ.सरिता फिड़ौदा ने बताया कि स्थानीय जयनारायण व्यास स्मृति भवन,टाउन हॉल में आयोजित इस पांच दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय नाट्य समारोह के प्रारम्भ में अकादमी द्वारा सम्मानित वरिष्ठ रंगकर्मी रमेश बोहरा ने दीप प्रज्वलन किया तथा अभिनेता एवं सौ से अधिक फिल्मों में सशक्त भूमिका निभाने वाले स्व.ओम शिवपुरी की तस्वीर पर रंगकर्मियों ने पुष्पांजली अर्पित की।
‘‘बलि और शंभू’’ मानव कौल क़लमबद्ध ओल्ड एज होम में रहने वाले दो विपरीत स्वभाव के बुज़ुर्गों की कहानी है,जिसमें एक को उसके घरवालों ने ज़्यादा बोलने के कारण घर से निकाल दिया और दूसरा अपनी इकलौती बेटी तितली की मौत के बाद उसके ग़म में घुटन भरा जीवन जी रहा है।
गुस्सैल व चिड़चिड़ा शंभू अपने कमरे में अकेला रहता है लेकिन कुछ समय बाद उसी कमरे में दूसरे बैड पर बातूनी बलि के आ जाने से शंभू परेशान हो जाता है और बात-बात पर दोनों में झगड़ा होने लगता है।
इसी नोकझोंक के बीच दोनों एक दूसरे के क़रीब आ अपनी-अपनी व्यथा कथा को साझा कर,एक दूसरे का सहारा बन जाते हैं। नाटक वर्तमान दौर के टूटते पारिवारिक परिवेश से जूझते वृद्ध लोगों की मनोवैज्ञानिक स्थिति को उजागर कर उनके अंतरद्वंद को दिखाने में सफल रहा जिसमें यह भी बताया गया कि एक ओर जहाँ इंसान जीवन की कटु स्मृतियों को अपने भीतर संजोये हुए घुटन भरा जीवन गुज़ारता है तो वहीं दूसरी ओर जिंदादिल इंसान ऐसी स्थिति में भी कतिपय सुनहरे पलों के सहारे ग़म को भुलाकर हंसी-खुशी जी लेता है।
रमेश बोहरा ने शंभू तथा डॉ.एसपी रंगा ने बलि के किरदार के माध्यम से बुढ़ापे के अकेलेपन और बेचारगी को दिखाने के साथ साथ बुजुर्गों के दिल में पनपने वाली इच्छाओं और उम्मीदों को रेखांकित कर जीवन की सच्चाई और उसकी पीड़ा को मार्मिक तरीक़े से पेश कर सिस्टम को आईना दिखाया है।
संवेदनाओं के सागर से परिपूर्ण इस नाटक में झिलमिल के रूप में डॉ. काजल वर्मा तथा गौतम के किरदार में लेखराज सिंह के नाटकीय क्रिया कलाप हास्य पैदा कर आनंदित भी करने में कामयाब रहे,तो तितली के पात्र में पुलिकित सिंह ने अपनी चंचलता की छाप छोड़ी।
लघु किन्तु पूरे नाटक से जुड़ा पात्र शुभांकर की भूमिका में मज़ाहिर सुलतान ज़ई ने न्याय किया। मंच परे लाइट पर मोहम्मद इमरान,रूप सज्जा कैलाश गहलोत,संगीत संयोजन मोहित परिहार,मंच परिकल्पना रमेश भाटी नामदेव तथा मंच नियन्त्रक शब्बीर हुसैन का रहा।
पांच दिवसीय नाट्य समारोह में गुरुवार 17 अक्टूबर को वीणा पाणि कला मन्दिर जयपुर के सौरभ भट्ट निर्देशित नाटक ‘प्रीत की ऐसी रीत’ का मंचन किया जाएगा।