राष्ट्र कवि आढ़ा की रचनाओं से जीवन्त हैं महापुरुषों के चरित्र- लखावत
राष्ट्र कवि दुरसा आढ़ा जयंती समारोह
जोधपुर,(डीडी न्यूज)। राष्ट्र कवि आढ़ा की रचनाओं से जीवन्त हैं महापुरुषों के चरित्र-लखावत।दुरसा आढ़ा मात्र कवि नहीं थे अपितु मर कर अमर हैं। इनकी और इनके जैसे अनेक कवियों की कविताओं और रचनाओं ने राष्ट्रनायकों का चरित्र जिंदा रखा है।
इसे भी पढ़ें – अवैध बजरी खनन को लेकर पुलिस की कार्रवाई 4 डंपर जब्त तीन गिरफ्तार
यह कहना है राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत का। लखावत मंगलवार को जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के बृहस्पति सभागार में विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग और दुरसा आढ़ा फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्र कवि दुरसा आढ़ा जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे।
लखावत ने कहा कि हमारा गौरवशाली एवं स्वर्णिम इतिहास रहा है इसलिए आज उससे सीख लेने की जरूरत है। सत्य की रक्षा के लिए आढ़ा ने आउवा के धरने के माध्यम से अगवानी की। आज सदसाहित्य और सद इतिहास का लेखन,पठन और संरक्षण जरूरी है। लखावत ने कहा कि महाराणा प्रताप,राव चंद्रसेन,दुर्गादास राठौड़ आदि से हिंदुस्तान के संस्कार और दर्शन का ज्ञान होता है।
राजस्थानी कवि प्रो.गजादान चारण ने बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि राष्ट्र कवि दुरसा आढ़ा का 125 वर्ष का जीवन रहा। वे असि जीवी और मसि जीवी रहे। दुरसा जी की ‘विरूद छिहतरी’ और उनके गीत राष्ट्रीय चेतना के प्रतीक हैं।
उन्होंने कहा कि दुरसा आढ़ा अकबर के दरबार में जरूर थे लेकिन उनके गुलाम नहीं। आढ़ा ने अकबर की ओर से एक भी युद्ध नहीं लड़ा बल्कि प्रताप एवं चंद्रसेन की प्रशंसा में लिखकर राष्ट्र एवं परम धर्म का पालन किया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.गुलाब सिंह चौहान ने दुरसा आढ़ा के साहित्य व चरित्र से सीख लेने की बात कही और कहा कि दुरसा आढ़ा से संबंधित साहित्य का लेखन कार्य करना चाहिए।समारोह के विशिष्ट अतिथि शंभू सिंह ने दुरसा आढ़ा के सामाजिक समरसता,राष्ट्र और स्वदेश प्रेम को रेखांकित किया।
आरंभ में हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. महीपाल सिंह राठौड़ ने दुरसा आढ़ा का जीवन परिचय देते हुए अतिथियों का स्वागत किया। आयोजन सचिव डॉ.कीर्ति माहेश्वरी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि राष्ट्र कवि दुरसा आढ़ा राष्ट्रीय काव्यधारा के कवि हैं,हमें उनके साहित्य से प्रेरणा मिलती है।समारोह में मोहन सिंह रतनू,सत्येन्द्र सिंह और डॉ.प्रेम सिंह ने ’विरूद छिहतरी’ के सोरठों का सस्वर वाचन किया। रेखा राठौड़ और किशोर ने दुरसा आढ़ा पर केंद्रित शोध पत्रों का वाचन किया।
पोस्टर विमोचन,विजेताओं का सम्मान
इस दौरान हिंदी साहित्य परिषद के पोस्टर का विमोचन किया गया और दुरसा आढ़ा प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता तथा अहिल्या बाई स्मृति में आयोजित प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित भी किया गया।
समारोह के अंत में दुरसा आढ़ा फाउंडेशन के अध्यक्ष और राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर राम सिंह आढ़ा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन चंद्रभान बिश्नोई ने किया।
इनकी रही उपस्थिति
समारोह के दौरान प्रोफेसर गंगाराम जाखड़ पूर्व कुलपति महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर, सेवानिवृत्त आरएएस गोविंद सिंह चारण,प्रो ज्ञान सिंह शेखावत,प्रो चैनाराम चौधरी,प्रो मंगलाराम बिश्नोई अधिष्ठाता कला संकाय,प्रो हरदयाल सिंह राठौड़,प्रो सुशीला शक्तावत,प्रो पीआर व्यास,प्रो नवनीता सिंह,प्रो.कौशल नाथ उपाध्याय,प्रो.रामबख्श,प्रो.परबत सिंह चारण,प्रो.अरविंद परिहार,प्रो. सुनील असोपा,प्रोफेसर महेंद्र सामरिया,प्रो मदन मोहन,प्रो कांता कटारिया,प्रो हरिसिंह राजपुरोहित, डॉ राजेंद्र बारहठ,प्रो.सुखबीर सिंह बैंस,मनोहर सिंह तालनपुर,महानगर प्रमुख, जिला प्रचारक हार्दिक,प्रो एसपी व्यास,प्रो केएन व्यास, राजेंद्र सिंह लीलिया,प्रो सोहन लाल मीणा, प्रो किशोरी लाल रैगर,महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश निदेशक महेंद्र सिंह तंवर सहित विवि के शिक्षक,शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे।