शेयर बाजार: निवेश के सिद्धान्त
जोधपुर,वेद पुराणों एवं पुरातन संस्कृति के अनुसार यह मान्यता है कि विनाश भी सृजन जितना ही आवश्यक है। नए निर्माण हेतु पुराना ढांचा तोड़ना ही पड़ता है।यही दर्शन निवेश हेतु शेयर बाजार के चक्रों से बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है। शेयर बाजार भी सृजन (तेजी),संरक्षण (स्थित चल,स्टेबिलिटी)और विनाश (मंदी)के चरणों से होकर गुजरता है।
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तेजी के समय निवेशक विनर महसूस करते है,यहां तक कि कमजोर शेयर भी नई ऊंचाइयों पर आ जाते हैं। किंतु जैसे ही गिरावट आती है वहीं आत्मविश्वास घबराहट में बदल जाता है। अनुभवी निवेशक भी दबाव में गलत निर्णय ले सकते हैं। असल परीक्षा यह नहीं कि कोई तेजी में लाभ कमा सकता है या नही,बल्कि यह है कि क्या वह तेजी और मंदी दोनो में संयम बनाए रखता है,यही निवेश का सुपरपावर है।
संयम बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी हैं विश्वास-ऐसा विश्वास जो रिसर्च एवं फंडामेंटल्स सोच समझ पर आधारित हो। जब आपके निवेश ठोस आधार पर हो,तो गिरावट एक नई खरीदारी का अवसर बन जाती है,लेकिन सिर्फ किसी स्टॉक में विश्वास अकेला ही काफी नहीं है, आपको स्टॉक कब लेना है,कितना होल्ड करना है,कब वापिस बेचना है, कितना डिविडेंड आएगा,टैक्स कैसे लगेगा आदि हेतु भी आपके दिमाग में सतत योजना होनी चाहिए। यह सब जानकारी आपको अपने निवेश सलाहकार से मिल सकती है अतः किसी के उत्तम गाइडेंस में ही कार्य करें।
निवेश का सिद्धांत यही कहता है कि अपने निवेश फंड को कई भागों में बांटकर,पूर्व निर्धारित नियमों के अनुसार निवेश करे,न कि भावनाओं के बहाब में या किसी के कहने मात्र से (क्योंकि पैसा आपका है तो नफा एवं घाटा भी आपका ही है)। आपको सभी एसेट क्लास में निवेश रखना चाहिए,जैसे शेयर्स,डिबेंचर्स, गोल्ड, म्यूचुअल फंड,लिक्विड आदि। यदि सही भूमिकाएं निभाना चाहते है,तो अपनी पूँजी को स्पष्ट रूप से अलग करें। कमजोर निवेशों से बाहर निकलकर गुणवत्तापूर्ण निवेशों पर ध्यान दे। बहुत से लोग शेयर को लेने के बाद इगोस्टिक या इमोशनल हो कर इसको होल्ड कर लेते हैं,कि बिना प्रॉफिट के इसको बेचेंगे ही नहीं, परन्तु यह शेयर बाजार की मूल भावनाओं के विरुद्ध है। इस बाजार में कहा जाता है कि नफा लंबा करें नुकसान छोटा करें एवं प्रैक्टिकल रहें,ताकि आपकी भावनाएँ इसमें बाधा न डाले।
अंततः बाजार हमेशा चक्रों में चलता है। कीमतें उतार-चढाव करती हैं, लेकिन दीर्घकालिक दिशा कंपनी की रेवेन्यू और मार्केट के मूल्य पर आधारित होती है। जैसे ब्रह्मांड सृजन,संरक्षण और संहार संतुलित है,वैसे ही सफल निवेश भी बाजार चक्रों को स्वीकार कर अनुशासन से संभव होता है। सिद्धांतों के आधार पर किया गया इन्वेस्टमेंट हमेशा जीतेगा एवं जो निवेश के बाजार में सट्टा करेगा, वह सदैव तलवार की धार पर खड़ा रहेगा। जो धीरे धीरे हर दिन कुछ बचत करता रहेगा,वह जरूर एक दिन बड़ी वेल्थ बना लेगा।
सीए योगेश बिड़ला
निदेशक,बिरला डब्लूपी मैनेजमेंट कंपनी,मुंबई
9829128919