राम कथा में संपन्न हुआ शिव पार्वती विवाह
जोधपुर,केलावा स्थित श्रीरघुवंश पुरम आश्रम और केशवप्रिया गौशाला में लंबी बीमारी से पीड़ित गोवंश के कष्ट के निवारण के लिए श्रीराम कथा व सहस्त्र चंडी यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। मानस वक्ता संत मुरलीधर ने रामकथा के दूसरे दिन शिव विवाह की कथा का वर्णन किया।
कथा वाचक मुरलीधर ने पार्वती जी के छोटी उम्र में तप और भजन करने के प्रसंग को श्रोताओं के समक्ष रखते हुए कहा कि व्यक्ति को समय रहते भजन में लग जाना चाहिए क्योंकि जीवन का कोई पता नहीं,जीवन की क्षणभंगुरता इस बात की पर्याय है कि भजन करने का जो समय मिले वही उचित है क्योंकि बुढ़ापे में भजन नहीं हो पाते। उस समय शरीर में व्याधि उत्पन्न हो जाती है। इस प्रसंग के माध्यम से संत मुरलीधर ने कहा कि व्यक्ति को जीने का तरीका तब आता है जब उसका जीवन चला जाता है इसलिए कथा के माध्यम से हम अपने जीवन की सार्थकता को समझें और समय के साथ अपने जीवन को भक्ति के क्षेत्र में और भजन के क्षेत्र में समर्पित करें।
इससे पूर्व मानस पूजन के साथ आरंभ हुई कथा में सती के द्वारा प्रभु श्रीराम का अपमान करने एवं सती के द्वारा उनकी परीक्षा लेने के कारण भगवान शिव ने सती का त्याग कर दिया लेकिन मरते हुए सती ने यही प्रार्थना की कि मुझे जन्म जन्म में शिव ही पति रूप में मिलें। उसके पश्चात उनका जन्म हिमाचल के यहां हुआ और उन्होंने अपने त्याग और तपस्या से भगवान शिव को पति रूप में पाया। उसके पश्चात संत ने भगवान शिव और पार्वती की विवाह की रोचक और प्रासंगिक कथा को श्रोताओं के समक्ष रखा, जिसे सुनकर श्रोता आनंदित हो गए और शिव विवाह के अनेक रोचक प्रसंगों पर कई बार श्रोताओं के चेहरे पर एक अलग सी चमक देखने को मिली।
इस अवसर पर कई भजनों और प्रसंगों के माध्यम से संत ने मानस का महत्व,जीवन का सार श्रोताओं के समक्ष रखा। नवरात्र के अवसर पर दोपहर में यज्ञ और शाम को गरबा का आयोजन भी होगा। राम कथा में देश के विभिन्न शहरों से अनेक भक्त जनों का आने का सिलसिला आरंभ है। साथ ही केलावा बावड़ी ओसियां जोधपुर और आसपास के गांव से सैकड़ों भक्त राम कथा सुनने सहस्त्र चंडी यज्ञ का दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। द्वितीय दिवस की राम कथा के अवसर पर स्वर्गीय सीए बीएल काबरा की स्मृति में संपत कुमार काबरा, कुमार काबरा, घनश्याम भूतड़ा सहित अनेक भक्त उपस्थित थे।
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