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एनओसी देने व हाइपोथैकेशन हटाने के बाद बकाया राशि बताना सेवा दोष

फाइनेंसर को पूर्ण राशि चुकाने के बाद भी सिबिल पृष्ठगन नहीं हटना सेवा दोष

जोधपुर(दूरदृष्टीन्यूज),एनओसी देने व हाइपोथैकेशन हटाने के बाद बकाया राशि बताना सेवा दोष। राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर पीठ ने उपभोक्ता द्वारा लिए गए वाहन ऋण संपूर्ण राशि चुकाने के बाद वित्तीय कंपनी द्वारा एनओसी व हाइपोथिकेसन पृष्ठगन हटाने के बाद भी राशि बकाया निकाले जाने को सेवा दोष मानते हुए फाइनेंस कंपनी की अपील को ग्रहण स्तर पर ही अस्वीकार कर दिया।

उपभोक्ता अशोक कुमार ने हिंदूजा फाइनेंस लिमिटेड से मोटरसाइकिल के लिए ऋण प्राप्त किया था। परिवादी ने विपक्षी कंपनी को 17 किस्तों में से 12 किस्तें जमा करवा दी तथा शेष राशि का एक मुस्त समझौता कर लिया। समस्त राशि जमा करवा कर एनओसी व हाइपोथैकेशन फार्म 35 प्राप्त कर लिया। परिवादी जब असल कागज लेने विपक्षी के पास गया तो 21613 रुपए की राशि और बकाया निकली जिसे भी परिवादी ने जमा करवा दिए थे,कागजात प्राप्त कर लिए। परिवादी का कहना था की समस्त राशि,एनओसी, हाइपोथैकेशन हटाने के बावजूद विपक्षी फाइनेंस कंपनी ने उसकी सिबिल खाते को ठीक नहीं किया।

जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवादी का परिवाद स्वीकार कर वसूली गई राशि 22000,मानसिक क्षतिपूर्ति के 10000,परिवाद व्यय के ₹10000, नकारात्मक सिविल रिपोर्ट से मुक्ति प्रमाण पत्र जारी करने के आदेश दिए। विपक्षी हिंदूजा लीलैंड फाइनेंस लिमिटेड ने जिला आयोग के आदेश के विरुद्ध राज्य आयोग जोधपुर पीठ के समक्ष अपील प्रस्तुत करते हुए बताया कि परिवादी असल बिल डीलर से सीधे प्राप्त कर सकता था, यदि मूलधन बकाया हो तो किसी भी संस्था द्वारा सिबिल को ठीक नहीं करवाया जा सकता है।

परिवादी को एनओसी प्रदान कर दी गई थी,उपभोक्ता सिबिल को ठीक करने की मांग कर रहा है,यदि मूलधन बकाया हो तो किसी भी संस्था द्वारा सिबिल को ठीक नहीं करवाया जा सकता है। परिवादी ने समस्त बकाया राशि चुका दी है इसलिए उपभोक्ता का सिबिल स्कोर को ठीक कर दिया गया है। जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश को निरस्त करने के लिए अपील प्रस्तुत की गई।

आयोग के सदस्य न्यायिक सुरेंद्र सिंह व सदस्य लियाकत अली ने ग्रहण स्तर पर अपील सुनते हुए अपने निर्णय में कहा कि वित्तीय कंपनी द्वारा एनओसी जारी करने व हाइपोथैकेशन हटाने का फॉर्म 35 देने व समझौता होने के बावजूद परिवादी से 22 हजार रुपए और गलत वसूल किए।पारिवादी द्वारा समस्त अदायगी के बावजूद सिबिल स्कोर ठीक नहीं करना भी सेवा दोष है। आयोग की पीठ ने अपीलार्थी फाइनेंस कंपनी की अपील को ग्रहण स्तर पर ही स्वीकार करते हुए जिला आयोग के निर्णय को सही ठहराया। फाइनेंस कंपनी की ओर से अधिवक्ता प्रशांत मिश्रा उपस्थित हुए।