एम्स में मनाया सिजोफ्रेनिया दिवस
जोधपुर(डीडीन्यूज),एम्स में मनाया सिजोफ्रेनिया दिवस।अखिलभारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर में सिजोफ्रेनिया दिवस का आयोजन सिजोफ्रेनिया के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया। यह कार्यक्रम मानसिक रोग विभागाध्यक्ष डॉ.नरेश नेभिनानी एवं सहायक आचार्य डॉ.विजय कुमार सैनी के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान सिजोफ्रेनिया रोग के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों ने जानकारी दी। डॉ.विकास ने सिजोफ्रेनिया के लक्षणों की विस्तृत जानकारी दी और बताया कि यह एक गंभीर लेकिन इलाज़ योग्य मानसिक रोग है,जिसमें समय पर पहचान और इलाज से रोगी सामान्य जीवन जी सकता है।
डॉ.शिवानी ने इस रोग के विभिन्न उपचार विकल्पों पर प्रकाश डाला, जिसमें मुख्यतः दवाइयां एवं मनोवैज्ञानिक उपचार शामिल हैं। इसके साथ ही जो मरीज दवा नही लेते उनके लिए लम्बे समय तक प्रभावी इंजेक्शनो के बारे में भी बताया। उन्होंने सिजोफ्रेनिया से जुड़े कई मिथकों को भी स्पष्ट किया, जिससे आमजन में फैली भ्रांतियों को दूर किया जा सके।
डॉ.श्रेयस ने देखभाल कर्ताओं पर पड़ने वाले मानसिक और शारीरिक प्रभावों के बारे में बताया और यह समझाया कि देखभाल के बोझ को कैसे कम किया जा सकता है। उन्होंने सहायक रणनीतियों पर भी चर्चा की जिससे परिवार के सदस्य रोगी की बेहतर देखभाल कर सकें।
इस कार्यक्रम में डॉ.नरेश नेभिनानी ने मरीजों से जुड़े अपने अनुभव साझा किये,जिससे उपस्थित लोगों को इस मानसिक बीमारी की बेहतर समझ और उपचार की दिशा में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई।
कार्यक्रम का संचालन डॉ.शैलजा ने किया। इस कार्यक्रम में विभाग के रेजिडेंट डॉक्टर्स,बाल मनोवैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक पर्यवेक्षक उपस्थित थे। कार्यक्रम में सभी मरीजों और उनके परिजनों की समस्याओं को गंभीरता से सुना गया और संतोषजनक उत्तर दिए गए।इलाज के लिए आये मरीजों को समुचित परामर्श भी प्रदान किया गया ।
मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक स्वास्थ्य- डॉ जोधा
इस अवसर पर रोगियों और उनके परिजनों को सिजोफ्रेनिया संबंधित जानकारी पुस्तिका तथा मरीज़ निगरानी चार्ट भी वितरित किया गया,जिससे वे घर पर भी इलाज और देखभाल की प्रक्रिया को अच्छे से समझ और लागू कर सकें। यह कार्यक्रम सभी प्रतिभागियों के लिए अत्यंत जानकारी वर्धक एवं उपयोगी रहा और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम सिद्ध हुआ।