दलित किसान की 24 बीघा कृषि भूमि पर सरपंच पति की नजर
- परिवार ठोंकरें खाने को मजबूर
- पुलिस नहीं कर रही सुनवाई
- -बोरानाडा क्षेत्र की जमीन का मामला
- जांच उप अधीक्षक के पास लंबित
जोधपुर,अनुसूचित जाति व जनजाति के विकलांग व्यक्ति की बोरानाडा क्षेत्र में खसरा नंबर 310-314 के अंतर्गत 49 बीघा में से 24 बीघा कृषि भूमि धोखाधड़ी से हड़पने का मामला सामने आया है। आरोप है कि तत्कालीन सरपंच ने अपने कार्यकाल के समय बोरानाडा के पास की जमीन को कूटरचित दस्तावेजों से 12.50 व 11.10 बिस्वा जमीन एक व्यापारी व महिला के नाम करवा दी। यह जमीन 14 अप्रैल 1994 में परिवादी रमेश के बड़े पिता भैराराम व पिता बुद्वाराम द्वारा ली गई थी।
वर्तमान में जमीन पर कब्जा जताने वाले रमेश ने बताया कि तत्कालीन सरपंच व पटवारी की मिलीभगत से वर्ष 2014 में 12.50 बीघा जमीन सरपंच पति ने कूटरचित दस्तावेज से अपने नाम कर ली। जबकि खसरा नंबर 310 की 11 बीघा 10 बिस्वा जमीन विधवा महिला पानी देवी के नाम कराई। धोखाधड़ी से जमीन हड़पने की साजिश करने वाले इन भूमाफियाओं ने इस कृषि भूमि पर रमेश व परिवार के अन्य सदस्यों के बुवाई (खेती) करने पर रोक लगा दी है।
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परिवादी रमेश ने आरोप लगाया कि जब भी खेती करने के लिए बुवाई करते हैं तो सरपंच पति अपने पैसों के दम पर कुछ असामाजिक तत्वों को मौके पर भेजकर जान से मारने की धमकियां आए दिन दिलाता है। पहले भी परिवार के लोगो पर हमले करवाया जा चुका है जिसकी भी पुलिस ने कोई कारवाई नहीं की। रमेश के अनुसार जमीन पर खेती तो नहीं कर सकते हैं, मगर इस भूमि पर कई सालों से हम ही काबिज हैं।
इस्तगासे से प्रकरण दर्ज,डिप्टी कर रहे जांच
परिवादी रमेश ने कहना है कि इससे पूर्व भी जमीन के मामले को लेकर संबंधित पुलिस थाने में धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कराया गया। मगर भूमाफिया की सांठगांठ होने की वजह से मामले में एफआर लगा दी गई थी। इसके बाद कुछ समय पूर्व फिर से कोर्ट के इस्तगासे पर थाने में मामला दर्ज कराया गया है। मगर प्रकरण दर्ज होने के बाद भी अभी तक संबंधित व्यक्तियों के बयान दर्ज नहीं किए गए, और न ही जमीन के दस्तावेजों की सही तरीके से जांच हुई। फिलहाल इस प्रकरण के जांच अधिकारी एसीपी बोरानाडा मानाराम गर्ग हैं।
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आरोप है कि पूर्व सरपंच ने खसरा नं 314 में से 10 बीघा जमीन की वसीयत अधिकारियों से मिलीभगत कर झूठी वसीयत खुद गिरधारीलाल नाम के शख्स ने अपने नाम बनवा दी। उक्त जमीन 2.50 बीघा जमीन का शेष भाग गैर मुमकिन बताकर छोड़ दी। खसरा नं 310 की पूरी जमींन 11 बीघा 10 विस्बा हड़प कर एक विधवा के नाम करवा दी गई थी। सरपंच पद का दुरूपयोग कर सिर्फ 420 उजागर आधार पर म्यूटेशन तक जारी करवा लिया। पानी देवी के नाम करवा दी। जब इस बात का पता लगने के बाद विरोध किया तो बदनामी के डर से पानी देवी से वापस 23 मार्च 2007 में परिवादी रमेश पुत्र स्वर्गीय बुद्धाराम भील के नाम से कर दी। न्याय की आस लेकर पीडि़त परिवार दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है।
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