जोधपुर, संत ललितप्रभ सागर ने कहा कि मन की शांति जीवन की सबसे बड़ी दौलत है। जिसके पास मन की शांति है समझो वह दुनिया का सबसे अमीर आदमी है। अगर मन में शांति है तो रूखी रोटी भी अच्छी लगती है और मन में शांति नहीं तो छप्पन भोग भी फीके लगते हैं। उन्होंने कहा कि शांति चाहिए तो शांत रहने का फैसला लीजिए और अपने इस फैसले पर हर हाल में अडिग रहिए। हम जितना महत्त्व पत्नी, पैसे और बच्चों को देते हैं अगर उतना ही महत्त्व मन की शांति को देना शुरू कर देंगे तो शांति पाने में अवश्य सफल हो जाएँगे। सफलता पाने का सूत्र है जिसे पसंद करते हो उसे हर हाल में हासिल करो और शांति पाने का सूत्र है जो हासिल है उसे पसंद करना शुरू करो।
मन की शांति प्राप्त नहीं की
ललितप्रभ संबोधि धाम में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जब किसी का निधन हो जाता है तो उसकी श्रद्धांजलि सभा आयोजित होती है और उसमें कोई भी व्यक्ति श्रद्धांजलि देते हुए सब यही कहते हैं कि भगवान उसकी आत्मा को शांति दे क्योंकि उसने दुनिया में सब कुछ प्राप्त कर लिया था, पर मन की शांति प्राप्त न कर पाया। उन्होंने कहा कि हम ऐसा जीवन जीकर जाएँ कि हमारे मरने के बाद लोगों को हमारी सद्गति और आत्मशांति की प्रार्थना न करनी पड़े वरन हम खुद जीते जी सद्गति और आत्मशांति की व्यवस्था करके जाएँ।
उन्होंने कहा कि सांसारिक सुखों से इंसान को न शांति मिलती है न तृप्ति। अगर सत्ता, सम्पत्ति के राग-रंग में शांति मिलती तो महावीर और बुद्ध जैसे महापुरुष राजमहलों को छोडक़र क्यों जंगलों में जाते। जब लौकिक सुखों में तृप्ति नहीं है तो फिर इनमें डूबकर मन की शांति को क्यों दाँव पर लगाया जाए। उन्होंने कहा कि जीवन में चाहे जैसी परिस्थिति आए, हर हाल में खुश, प्रसन्न और शांत रहें इसी में हमारे जीवन की जीत है।
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