142 साल का हुआ अपना जोधपुर रेलवे
- 24 जून को प्रारंभ हुआ था जोधपुर में रेलवे का सफर
- रेलवे ने चित्र-आलेख प्रदर्शनी से जाना जोधपुर रेलवे का गौरवशाली अतीत
- रेलकर्मियों ने देखे रियासतीकालीन रेलवे के संचालन प्रबंध
जोधपुर,142 साल का हुआ अपना जोधपुर रेलवे।उत्तर पश्चिम रेलवे का जोधपुर रेलवे सोमवार को 142 वर्ष का हो गया। 142 साल पहले 24 जून 1882 को जोधपुर रेलवे पर खारची (मारवाड़ जंक्शन) से पाली मारवाड़ रेलवे स्टेशनों के बीच पहली बार स्टीम इंजन से ट्रेन चलना प्रारंभ हुई।
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इस उपलक्ष में सोमवार को जोधपुर मंडल पर डीआरएम ऑफिस सभागार में जोधपुर के रियासत कालीन रेलवे के छाया चित्रों से जुड़ी ‘अतीत के जोधपुर से बेहतर वर्तमान का निर्माण और इससे भविष्य के लिए प्रेरणा’ विषयक चित्र प्रदर्शनी लगाई गई जिसे देखने बड़ी संख्या में रेल कर्मचारी उमड़ पड़े।
विश्वशांति एवं सद्भावना अभियान कर्ता भूतपूर्व रेलकर्मचारी राजेंद्र सिंह गहलोत द्वारा लगाई गई चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद डीआरएम पंकज कुमार सिंह ने कर्नल एसएस नेगी व वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इसका बारीकी से अवलोकन किया और आजादी के पहले से चल रही जोधपुर रेलवे के ऐतिहासिक फोटो और तत्कालीन रेल संचालन से जुड़ी जानकारियां देखकर आश्चर्यचकित हुए बिना नही रह सके।
उन्होंने कहा कि प्रदर्शनी में रियासत कालीन जोधपुर रेलवे से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां फोटोग्राफ व आलेखों के माध्यम से प्रदर्शित की गई हैं जो वह प्रशंसनीय है तथा इसे नई पीढ़ी को भी दिखाने की रेलवे द्वारा उचित व्यवस्था की जाएगी। इस अवसर पर उन्होंने इस तरह के संग्रह के संरक्षण की आवश्यकता जताते हुए अधिकारियों व कर्मचारियों को जोधपुर रेलवे के स्थापना दिवस की बधाई दी।
प्रदर्शनी को देखने बड़ी संख्या में रेलकर्मचारी उपस्थित हुए और उनके द्वारा पूछे गए सवालों का संग्रहकर्त्ता गहलोत ने जवाब दिया। इस अवसर पर डीआरएम के साथ वरिष्ठ मंडल वित्त प्रबंधक विक्रम सिंह सैनी,वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक अजीत मीणा,वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर जोगेंद्र मीणा(शक्ति व पर्यावरण), मंडल कार्मिक अधिकारी इंचार्ज डॉ अरविंद कुमार,मंडल वाणिज्य प्रबंधक वीरेंद्र जोशी,सहायक कार्मिक अधिकारी नरेंद्र सिवासिया सहित सभी शाखाओं केअधिकारियों ने प्रदर्शनी का बारीकी से अवलोकन किया।
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साढ़े तीन हजार फोटो,आलेखों और दस्तावेजों ने जगाई उत्सुकता
प्रदर्शनी में राजेंद्र सिंह गहलोत द्वारा जोधपुर रेलवे के इतिहास से जुड़ी 42 वर्षों से संग्रहित फोटो व आलेखों का प्रदर्शन किया गया जिसमें जोधपुर रेलवे की स्थापना,इतिहास, तत्कालीन रेल संचालन व्यवस्था, समय सारणी,पुराने लोकोमोटिव के चित्र,रेलवे मैप,स्टेशनों का उद्घाटन व तत्कालीन रेलमंत्रियों द्वारा ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने के लिए जोधपुर आगमन की जानकारी तिथि सहित प्रमुख अखबारों की कतरनें प्रदर्शित की गई।
ट्रेन चलाने के लिए इंजन किराए पर लिए जाते थे
प्रदर्शनी में गहलोत ने जानकारी दी कि प्रारंभ में जोधपुर रेलवे के पास अपना खुद का कोई इंजन नही था। यहां राजपुताना व मालवा से इंजन किराया पर लेकर रेलगाड़ियां चलाई जाती थीं। 1883-84 में जोधपुर रेलवे के पास दो इंजन किराए के थे। 1885 में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा ने 1878 में लंदन में निर्मित एक पुराना इंजन 13 हजार रुपए में खरीदा था, जबकि 1924 तक जोधपुर के पास 134 इंजन हो गए थे।
महाराजा जसवंत सिंह ने 24 जून को दिखाई थी हरी झंडी
जोधपुर में मारवाड़ के तत्कालीन महाराजा जसवंत सिंह (द्वितीय) ने 24 जून 1882 को खारची (मारवाड़ जंक्शन) से पाली तक 19 मील के रेल मार्ग पर पहली रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाकर रेलसेवा की शुरुआत की थी। उस समय महाराजा ने लगभग 5 लाख रुपए की लागत से रेल मार्ग बिछाने का कार्य 31 मार्च, 1882 को पूर्ण करवा दिया। राजपूताना-मालवा रेलवे अफसरों के मध्य संधि हो जाने के कारण खारची पर माल व सवारी गाड़ियों के एक लाइन से दूसरी लाइन पर ले जाने का भी पुख्ता इंतजाम हो गया था।