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मारवाड़ प्रेस क्लब का तीन दिवसीय आत्मरक्षा शिविर शुरू

  • पत्रकारों ने उत्साह के साथ लिया भाग
  • विकट परिस्थिति में स्वयं को डूबने से बचाने की दी ट्रेनिग
  • सही तरीके से तैराकी व बचाव के दिए महत्वपूर्ण टिप्स
  • वरिष्ठ तैराक दाऊ लाल मालवीय और उनकी टीम ने दिया प्रशिक्षण

जोधपुर,पश्चिमी राजस्थान के प्रमुख पत्रकार संगठन मारवाड़ प्रेस क्लब की ओर से विकट परिस्थिति में खुद को डूबने से बचाने के उद्देश्य से तीन दिवसीय आत्मरक्षा शिविर शुक्रवार को दाऊ की ढाणी में शुरू हुआ। 11 जून तक चलने वाले इस शिविर में क्लब के पत्रकारों को तैराकी के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराने के साथ साथ डूबते व्यक्ति को बचाने के लिए तुरंत किए जाने वाले उपायों के टिप्स सिखाए गए। इसके अलावा इसी शिविर में सीपीआर ट्रेंनिंग भी पत्रकारों को दी जाएगी।

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मारवाड़ प्रेस क्लब के सचिव इम्तियाज अहमद ने बताया कि,आयोजन समिति के सदस्यों सुनील दत्त, चंद्रशेखर व्यास,गिरीश दाधीच,मनोज गिरी आरएस थापा और डॉक्टर सुरेश खटनवालिया की देखरेख में आयोजित प्रताप नगर स्थित दाऊ की ढाणी में चल रहे इस तीन दिवसीय आत्मरक्षा शिविर में वरिष्ठ तैराक दाऊ लाल मालवीय, सुनील मालवीय,जितेंद्र मालवीय जतिन मालवीय और राघव मालवीय द्वारा पत्रकारों को पानी में डूबने से बचने के तरीके बताने के साथ-साथ विकट परिस्थितियों में खुद की जान बचाने के अलग-अलग तरीकों से अवगत कराते हुए प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षक दाऊ लाल मालवीय ने बताया कि,जब कोई इंसान पानी में डूबता है तो सबसे पहले नाक और मुंह के ज़रिए पानी उसके फ़ेफ़ड़ों तक पहुंचता है, इससे व्यक्ति की मांसपेशियां ऐंठने लगती हैं और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह भी रुक जाता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति बेहोश होकर पानी में डूबने लगता है। इस दौरान पानी में डूबने वाला व्यक्ति चिल्ला कर भी मदद नहीं मांग पाता क्योंकि उसे सांस लेने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। शोर न मचा पाने की वजह से व्यक्ति को मदद नहीं मिल पाती और डूबने से उसकी मौत हो जाती है। ऐसी परिस्थितियों में नाक के पास कुछ पॉइंट के अलावा गले के पास की पॉइंट को दबाने से नाक में घुसा हुआ पानी बाहर आ जाता है और खतरा टल जाता है।

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उन्होंने बताया कि किसी तालाब या नदी में गिर जाने की स्थिति में उस वक्त जब आपको बिलकुल भी तैरना नहीं आता है तो आप किसी भी तरह से पानी में अपने हाथ-पैर चलाते रहें।हाथ-पैर चलाने से भी पानी में डूबते चले जा रहे हों तो कम समय में बाहर निकलने की पुरज़ोर कोशिश करें। अगर जूते या बैग जैसी कोई कोई भी चीज़ आपका वजन बढ़ा रही है तो उसे अपने शरीर हटा दें। जितना हो सके अपने सिर को पानी से बाहर रखें और सामान्य तरीके से सांस लेने की कोशिश करें। पानी में डूबने के डर से घबराएं नहीं क्योंकि घबराहट में मासपेशियां अधिक ऑक्सीजन इस्तेमाल करने लगती हैं।

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फ़ेफ़डे हवा से भरे होते हैं तो शरीर बेहतर तरीके से तैरता है लेकिन अधिक तेज़ी से सांस लेने की कोशिश न करें। इस दौरान आपका ऑक्सीजन युक्त रहना बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन हाइपर वेंटीलेटिंग से बचने की कोशिश करें।किसी भी तरह से नदी के किनारे पर आने की कोशिश करें क्योंकि किनारे पर पानी की गहराई कम होती है। नदी में अगर कोई प्लास्टिक यार फिर लकड़ी तैर रही है तो उसे पकड़ने की कोशिश करें इससे डूबने से बच सकते हैं।अपने पैरों का ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करें क्योंकि पैरों के चलते रहने से ही आपका शरीर (सिर) पानी से बाहर रहेगा,अगर पानी में हाथ पैर मारकर थक गए हों तो पीठ के बल लेटने का प्रयास करें और अपने सिर को पीछे की ओर झुकाएं, धीरे-धीरे हाथ पैर चलाने और किनारे की तरफ आने की कोशिश करने से डूबने से खतरे से बचा जा सकेगा।

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मारवाड़ प्रेस क्लब के सचिव इम्तियाज अहमद ने बताया कि 11 जून को इस शिविर का समापन होगा और शिविर के समापन से ठीक पहले सीपीआर ट्रेंनिंग विशेषज्ञ डॉ राजेंद्र तातेड़ हृदय रोग संबंधी अचानक होने वाली परेशानी से बचाने के लिए सीपीआर की ट्रेनिंग पत्रकारों को देंगे।

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