आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो अविनाश अग्रवाल को गुरु जम्भेश्वर पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार
जोधपुर(डीडीन्यूज),आईआईटी जोधपुर के निदेशक प्रो अविनाश अग्रवाल को गुरु जम्भेश्वर पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर के निदेशक प्रोफेसर अविनाश कुमार अग्रवाल को प्रतिष्ठित गुरु जम्भेश्वर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
जोधपुर के खेजड़ली शहीद स्मारक पर आयोजित “हरित आस्था की विरासत: गुरु जम्भेश्वर की पर्यावरणीय नैतिकता और अमृता देवी का बलिदान” विषय पर अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन में उन्हें संरक्षण पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया।
गुरु जम्भेश्वर पर्यावरण अनुसंधान पीठ और जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर द्वारा प्रदान किया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार,पर्यावरण संरक्षण,स्थिरता और प्रभावशाली अनुसंधान के क्षेत्र में प्रो.अग्रवाल के उल्लेखनीय योगदान को मान्यता देता है।
इस अवसर पर बोलते हुए,प्रो. अग्रवाल ने राजस्थान की पारिस्थितिक नैतिकता की शाश्वत विरासत पर प्रकाश डाला,जिसमें पवित्र खेजड़ी वृक्षों की रक्षा के लिए अमृता देवी और 363 ग्रामीणों के बलिदान से लेकर गुरु जम्भेश्वर की प्रकृति के साथ सामंजस्य पर ज़ोर देने वाली शिक्षाएँ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान केवल योद्धाओं की भूमि नहीं है यह प्रकृति के रक्षकों की भूमि है। खेजड़ी वृक्ष रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जीवन रेखा है,जो हमें सीमित संसाधनों के साथ लचीलेपन और सह-अस्तित्व की याद दिलाता है।
प्रो.अग्रवाल ने मरुस्थलीकरण, अनियमित मानसून,अचानक बाढ़ और जल संकट जैसी आज की पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ मिलाने का आह्वान किया। उन्होंने बावड़ियों और जोहड़ों के पुनरुद्धार,कई शहरों में प्रायोगिक तौर पर अपनाई जा रही बायोमास ईंटों का उपयोग करके पर्यावरण-अनुकूल दाह संस्कार पद्धतियों को अपनाने, खेजड़ी और रोहिड़ा जैसी देशी प्रजातियों के साथ वनरोपण और राजस्थान के लिए स्थायी पर्यटन पद्धतियों के माध्यम से जल संरक्षण की वकालत की।
उन्होंने पर्यावरण के प्रति जागरूक भविष्य के निर्माण में भाप्रौसं जोधपुर की अग्रणी भूमिका पर भी प्रकाश डाला। संस्थान ने वर्षा जल संचयन के लिए अमृत कुंड स्थापित किए हैं,100 प्रतिशत अपशिष्ट जल पुनर्चक्रण के माध्यम से शुद्ध-शून्य जल निर्वहन प्राप्त किया है और 300 से अधिक हिरणों और समृद्ध रेगिस्तानी वनस्पतियों के साथ 852 एकड़ जैव विविधता को संरक्षित किया है। आईआईटी जोधपुर में अनुसंधान हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों,प्लास्टिक और फ्लाई ऐश से टिकाऊ सड़क सामग्री और ऊर्जा-कुशल बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा दे रहा है। ये सभी आत्मनिर्भरता से समृद्ध भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।
विकसित भारत @2047 के विजन को साकार करने के लिए जाति और सामाजिक विभाजन से परे एकता के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा, वसुधैव कुटुम्बकम विश्व एक परिवार है। जब हम प्रकृति को परिवार मानते हैं,तो शोषण असंभव हो जाता है और संरक्षण स्वाभाविक हो जाता है।
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पुरस्कार समारोह में प्रोफेसर एन अरसीराम बिश्नोई,कुलपति, जीजेयूएसटी हिसार,मलखान सिंह बिश्नोई अध्यक्ष खेजड़ली शहीदी राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान;महावीर बिश्नोई,अतिरिक्त महाधिवक्ता, राजस्थान उच्च न्यायालय और डॉ.ओम प्रकाश बिश्नोई,निदेशक,गुरु जम्भेश्वर पर्यावरण अनुसंधान पीठ, जेएनवीयू सहित प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
प्रो.अग्रवाल ने यह पुरस्कार राजस्थान के लोगों और भारत के युवाओं को समर्पित किया तथा उनसे हरित,मजबूत और एकीकृत राष्ट्र के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने का आग्रह किया।