अभिनंदन समारोह में आकर में खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं-एसएसपी संजय वर्मा

साहित्य महोपाध्याय विद्याकांत तिवारी का सार्वजनिक अभिनंदन समारोह संपन्न

रिपोर्ट:-मोहिनी दीपचंद्र

इटावा,अभिनंदन समारोह में आकर में खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं-एसएसपी संजय वर्मा। जीवन प्रतिपल कुछ न कुछ सीखने का अवसर लेकर आता है,ज्ञान प्राप्त करने के लिए वृक्ष की तरह झुकना सीखिए। ढूंढनी है मंजिल अगर,तो अपना रहनुमा खुद ही बन,जिन्होंने तलाशा सहारा,वे मझधार में ही रह गए..। महोपाध्याय डॉक्टर विद्याकांत तिवारी के अभिनंदन समारोह में आ कर में खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं। इनका ज्ञान और सानिध्य जिसे मिल जाए उसका जीवन तो धन्य हो ही जायेगा।यह उदगार एसएसपी संजय वर्मा ने शंकर धर्मार्थ नेत्र चिकित्सालय में ख्याति लब्ध शिक्षाविद डॉक्टर विद्याकांत तिवारी को प्रयाग हिंदी साहित्य सम्मेलन में साहित्य महोपाध्याय की उपाधि से विभूषित किए जाने की कृतज्ञता स्वरूप आयोजित सार्वजनिक अभिनंदन समारोह में मुख्य अतिथि पद से व्यक्त किए।

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सामाजिक सुधारक,आध्यात्मिक, शैक्षिक प्रोत्साहनकर्ता के रूप में उनके जोशीले अंदाज़ ने समा बांध दिया। धन पिपासु गुरु के त्याग को आवश्यक बताते हुए उनका कहना था कि सामने वाले के मूल्यांकन के बिना सही दिशा और सत्य सत्संग संभव नहीं है। ज्ञान हीन व्यक्ति के कुसंग से संस्कारों और व्यक्तित्व का क्षरण ही होगा जबकि ज्ञानवान का सत्संग आपको निखार देगा। उनका कहना था कि नारी के धैर्य,त्याग,तपस्या जैसे सद्गुण अगर पुरुष में आ जाएं तो वह महात्मा बन जायेगा। नारी जगत का सम्मान नई पीढ़ी को सिखाए तो वे चरित्रवान बनेंगे। लड़कियां फेसबुक, इंस्टाग्राम के फर्जी फोटो वालों के चक्कर में अपने जीवन को तबाह न करें और अपने परिजनों की सलाह का सम्मान करें तो ही कल्याण और प्रगति संभव है। अपने मां बाप का सम्मान न करने वाली नस्लें धिक्कारे जाने योग्य ही हैं।

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उनका कहना था कि यही सत्य है कि जन्म से सभी शुद्र होते हैं,संस्कारों से ब्राह्मण बनना संभव होता है। गुरुजी के पास बैठ कर ज्ञानार्जन ही उप निषद कहलाता है। ज्ञान की सीमाओं का परिमार्जन,शुद्धिकरण करने से गुणों के आधार पर व्यक्तित्व का निर्माण तभी संभव है जब श्रेष्ठ बनने की उत्कट इच्छाशक्ति हो। आयोजन को अविस्मरणीय पवित्र बताते हुए उनका वक्ता भाव लगातार बोलते रहने को हिलोरे मारता रहा। तमाम निषेधों, नसीहतों पर विस्तार पूर्वक चर्चा में उनका कठोर प्रशासक का पुलिसिया स्वरूप भी उद्घाटित होता रहा। अपने अविस्मरणीय सम्मान से अभिभूत डॉक्टर विद्याकांत तिवारी ने इटावा वासियों के स्नेह,अतुलनीय सम्मान, सहयोग और अतिशय आदर भावना को अपने जीवन की अमूल्य पूंजी बताते हुए कहा कि इसे भुला पाना संभव नहीं है। कहा कि वे जब पचपन वर्ष पूर्व यहां आए तो कोई अपना नही था,यहां के विशालमना महानुभावों ने सहारा दिया और महाकवि तुलसी के शब्दों में बांह गहे की लाज रखी।जिसके कारण ही अपने कर्तव्य पथ पर गुरु धर्म के निर्वाह में असीम आनंद भरपूर संतुष्टि और अकल्पनीय यश कीर्ति प्राप्त हो सकी। मेरे समर्पण भाव का मूल्यांकन करने वाले आप सब मनीषी जन की महानता को प्रणाम करना ही धर्म है। सभी के प्रति आजन्म श्रेणी और कृतज्ञ रहने की योग्यता विकसित करने में सफल होऊँ, यही आकांक्षा है। सेवा निवृत्ति के पन्द्रह वर्ष बाद भी आप सब ने याद रखा,असीम आत्म बल प्रदान किया। यह आप सब की महानता का ही द्योतक है जिसे विस्मृत किया जाना प्रबुद्ध सम्मान के लिए संभव नहीं होगा।

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एसएसपी की विदुषी सह धर्मिनी नीलम रॉय वर्मा ने आध्यात्मिक प्रवचन कर्ता की भूमिका से अति विशिष्ट श्रोताओं को मंत्रमुग्ध और आह्लादित कर दिया। भगवान राम, कृष्ण के प्रसंगों समेत दिनकर की कविता और हरिवंश राय बच्चन की कविताओं से मन मोह लिया।महिलाओं से आत्मीयता प्रदर्शित कर वे उनके दिलों पर छा गईं। पति पत्नी ने तालियां बजा कर परस्पर खूब प्रोत्साहित किया। दोनों का विद्वता पूर्ण खिलंदड़ स्वभाव मनीषियों की सभा को खिलखिलाने को विवश करता रहा। इस अवसर पर प्रसिद्ध कवि कमलेश शर्मा की राष्ट्र चर्चित कविता “राम हुए हैं..कितने और प्रमाण दें” से भावुक श्रोताओं ने उन पर खूब प्यार लुटाया। उनका कहना था कि साहित्यिक क्षेत्र का इतना विशाल व्यक्तित्व हम सबको इतने सहज और सरल भाव में उपलब्ध है यह हम सब का सौभाग्य ही है। उनका सम्मान हम सबका गौरव है,सम्मान प्रदाताओं के प्रति हम कृतज्ञ हैं।

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समारोह की अध्यक्षता कर रहे भारत विकास परिषद के पांचाल प्रांत अध्यक्ष डॉ रमेश चंद्र शुक्ला(औरैया) का समीक्षात्मक उद्बोधन प्रेरणा दायक रहा। उनकी कविता और पुलिस कप्तान दंपत्ति पर टिप्पणी उत्साह वर्धक रही। मंचासीन प्रसिद्ध कहानीकार प्रो दिनेश पालीवाल अपने अनुजवत तिवारी के सम्मान पर आत्म विभोर नज़र आए। समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन,माल्यार्पण, सम्मान,गणेश ज्ञानार्थी की गणेश वंदना,सुधीर मिश्र वा अपर्णा मिश्र की सरस्वती वंदना,वंदे मातरम गीत से हुआ। समापन अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर विभू दीक्षित के आभार प्रदर्शन के बाद राष्ट्र गान से हुआ।चौधरी चरण सिंह महाविद्यालय हेवरा के यशस्वी प्राचार्य डॉक्टर शैलेंद्र शर्मा का विशिष्ट संचालन प्रशंसित रहा। पत्रकार सुधीर मिश्र ने अतिथियों का परिचय कराया। इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष विद्याकांत तिवारी और मंत्री राजेंद्र दीक्षित को जन्म दिन पर आत्मिक बधाई देते हुए माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य महेश चंद्र तिवारी ने अभिनंदन ग्रंथ का वाचन किया गया। वरिष्ठ नागरिक पेंशनर सेवा संस्थान के कौशल चतुर्वेदी,गोपाल कल्याण वृंद के नारायण किशोर बाजपेई,राधा माधव संकीर्तन के राकेश पाठक,भारत विकास परिषद धर्मार्थ सेवा शाखा के केके त्रिपाठी,प्राचार्य महेश तिवारी, चौधरी रघुराज सिंह, स्मारक संस्थान की ममता चौधरी,निशा चौधरी,शंकर दयाल दीक्षित स्मारक संस्थान की ओर से सर्वेश दीक्षित,उद्योग व्यापार मंडल के अनंत अग्रवाल,आरएसएस के विभाग सरकार्यवाह विनोद चंद्र पाण्डेय आदि तमाम विशिष्ट जनों ने सम्मान भेंट प्रदान किया।

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