चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में अस्थायी/यूटीबी चिकित्सकों को सेवा में रखे सरकार-हाईकोर्ट

समान शर्तों पर याचिकाकर्ताओं की जगह अन्य को नियुक्त नहीं करने का दिया निर्णय

जोधपुर,चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में अस्थायी/यूटीबी चिकित्सकों को सेवा में रखे सरकार-हाईकोर्ट।राजस्थान हाईकोर्ट ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में अस्थाई-यूटीबी चिकित्सकों की सेवा में रखने के आदेश जारी किए हैं। समान शर्तों पर याचिकाकर्ताओं की जगह अन्य को नियुक्त नहीं करने का निर्णय दिया है। राज्य के विभिन्न जि़लों में कार्यरत यूटीबी चिकित्सक डॉ.सुरभि सिंह राठौड़,डॉ महेंद्र सिंह देवड़ा,डॉ. पंकज कुमार डांगी सहित 46 अस्थायी चिकित्सकों की ओर से अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी ने की पैरवी।

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राज्य के चिकित्सा विभाग में कुछ नियमित चिकित्सक उपलब्ध हो जाने अथवा अस्थाई सेवा अवधि के अभिवृद्धि आदेश समय पर जारी नहीं होने पर चिकित्सकों को सेवा समाप्त कर देने पर रिट याचिकाएं लगाई गई थी। हाइकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की एकलपीठ से मिली याचिकाकर्ताओं को भारी अंतिम राहत दी।

राज्य के उदयपुर,पाली,नागौर, बाड़मेर,बीकानेर,प्रतापगढ़, बांसवाड़ा,डूंगरपुर व चुरु जि़लों में कार्यरत यूटीबी चिकित्सक डॉ.सुरभि सिंह राठौड़,डॉ पंकज कुमार डांगी, डॉ सुमन चौधरी,डॉ.महेंद्र सिंह देवड़ा व 42 अन्य की ओर से अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी ने अलग-अलग रिट याचिकाए दायर कर बताया कि याचीगण गत दो-तीन साल से नियमानुसार नियम 26 के तहत अर्जेंट टेम्पररी बेसिस/यूटीबी पर चिकित्सा अधिकारी पद पर नियुक्त होकर राज्य के विभिन्न प्राथमिक औऱ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अपनी संतोषप्रद सेवाएं दे रहे हैं लेकिन सेवा अवधि विस्तार के औपचारिक आदेश जारी होने में विलंब की स्थिति में अथवा कुछ नियमित नियुक्त चिकित्सक उपलब्ध हो जाने पर मेरिट को दरकिनार करते हुए अनुभवी याचिकाकर्ताओं को सेवा से हटा देने पर रिट याचिकाएं पेश की गई।

प्रारंभिक सुनवाई पर याचिकाकर्ताओं को सेवा में बनाये रखने के अंतरिम आदेश देकर राज्य सरकार से जवाब तलब किया गया।राज्य सरकार की ओर से जवाब पेश कर बताया गया कि नियमित आधार पर चिकित्सक उपलब्ध हो जाने पर याचिकाकर्ताओं को सेवा में बने रहने का कोई क़ानूनी अधिकार नहीं है।अधिवक्ता खि़लेरी ने बताया कि राज्य सरकार वैसे भी चिकित्सकों की कमी से जूझ रही है और ऐसे में अनुभवी याचिकाकर्ता चिकित्सको को हटा देने से सरकार कोढ़ में खाज का काम कर रही है। एक ओर प्रत्येक जि़ले में चिकित्सको के काफी पद खाली पड़े हैं और नीट पीजी स्नातकोत्तर कोर्स- 2024 में काफी नियमित चिकित्सको के चयनित होने से करीब 1200 डॉक्टर्स जल्द ही सेवामुक्त हो जायेंगे, ऐसे में प्रत्येक जि़ले में चिकित्सकों के काफ़ी पद रिक्त होने से याचिकाकर्ताओ को सम्बंधित जि़ले में रिक्त सभी पदों पर नियमित नियुक्त चिकित्सक उपलब्ध होने तक सेवा में बनाये रखने की गुहार लगाई गई।

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वर्तमान में वित्त विभाग द्वारा अस्थायी यूटीबी चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टॉफ की सेवा अवधि 30 सितंबर तक बढ़ाई जा चुकी है। और चिकित्सा विभाग ने भी सभी जिला कलेक्टर और सीएमएचओ को जि़ले में चिकित्सक और पैरामेडिकल के रिक्त सभी पदों को भरने के भी आदेश जारी कर रखे हैं। रिकॉर्ड पर आए तथ्यों का परिशीलन कर एवं याचीगण के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की एकलपीठ ने याचिकाएं स्वीकार करते हुए चिकित्सा विभाग की आवश्यकता अनुसार अस्थायी कार्यरत याची चिकित्सको को सेवा में बनाये रखने तथा याचिकाकर्ताओ को समान शर्तों पर अन्य यूटीबी चिकित्सकों से प्रतिस्थापित नहीं करने का अहम फैसला दिया है। साथ ही यह भी आदेश दिया कि जिले में सभी पदों पर नियमित चिकित्सक नियुक्त हो जाने अथवा कदाचार में संलिप्त होने की स्थिति में सेवा से पृथक करने हेतु विभाग स्वतंत्रता रहेगा।