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शांति से समृद्धि की ओर,21वीं सदी का उत्तराखंड

दया जोशी

हल्द्वानी,ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की श्रेणी में उत्तराखंड शीर्ष अचीवर्स में से एक है। नीति आयोग द्वारा हाल ही में जारी निर्यात तैयारी सूचकांक में, उत्तराखंड गर्व से हिमालयी राज्यों के बीच पहले स्थान पर और देश भर में प्रभावशाली नौवें स्थान का दावा करता है। 8-9 दिसंबर को देहरादून में होने वाले दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में 2.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करना है। मुख्यमंत्री धामी ने पर्यटन और कल्याण,कृषि और बागवानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने की इस आयोजन की क्षमता में अपना विश्वास व्यक्त किया है।

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दिसम्बर में होने वाले इस विश्व स्तरीय शिखर सम्मेलन से न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा बल्कि निवेश के लिए नवीन रास्ते पैदा होंगे। साथ ही उत्तराखंड के निवासियों के लिए रोजगार की संभावनाएं भी पैदा हो सकती हैं। निवेशक वैश्विक शिखर सम्मेलन में महत्वपूर्ण क्षमता है और यह राज्य के लिए पर्याप्त निवेश आकर्षित करने के लिए एक विशिष्ट अवसर के रूप में खड़ा है जो अंततः उत्तराखंड और उसके लोगों की भलाई को बढ़ाएगा। पूरे प्रोजेक्ट पर 62 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके लिए एमडीडीए की ओर से पहला टेंडर आमंत्रित कर दिया गया है।

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दरअसल निवेशक सम्मेलन का आयोजन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) में किया जाना तय है। मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने इसकी तैयारियां शुरू करते हुए राजधानी के 11 रूटों का चयन किया है। प्रदेश में उद्योगों और निवेश के अनुकूल बने माहौल से उद्योगपतियों में बहुत उत्साह है। राज्य सरकार ने निवेश को बढ़ावा देने के लिए नीतियों में सुधार भी किये हैं और नई नीतियों को भी लागू किया है। विभिन्न क्षेत्रों के लिये 27 नीतियां प्रख्यापित की गई हैं। देवभूमि उत्तराखण्ड में सदियों से लोग शांति के लिए आते रहे हैं। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं,अब निवेशक भी यहां आने के लिए उत्साहित हैं।

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इसी क्रम में 17 अगस्त को देहरादून में और 21 अगस्त को दिल्ली में प्रमुख उद्योगपतियों से संवाद किया गया। उद्योग जगत से मिल रहे सुझावों को बहुत ही प्रमुखता से लिया गया है। उसी आधार पर एमएसएमई नीति,सेवा क्षेत्र नीति, लॉजिस्टिक नीति,सोलर नीति आदि में सुधार किया गया है। अब निवेशक भी यहां आने के लिए उत्साहित हैं। शांति और पर्यटन के डेस्टीनेशन के साथ ही उत्तराखण्ड प्रमुख इन्वेस्टमेंट डेस्टीनेशन भी बना है। देश विदेश के लोग यहां से जुड़ना चाहते हैं। जो उद्योग पहले से उत्तराखण्ड में स्थापित हैं, उन्होंने भी अपना विस्तार करने की बात कही है। इन्वेस्टर्स समिट केवल उद्योग विभाग का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि सभी विभाग इससे जुड़े हैं। पहले लोग यहां शांति के लिए आते थे, अब पर्यटन और निवेश के लिये आ रहे हैं। पर्यटन,योग,वैलनेस,सर्विस सेक्टर,कृषि और हॉर्टीकल्चर पर राज्य सरकार फोकस कर रही है। प्रदेश में बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने के लिये निवेश महत्वपूर्ण है।

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प्रदेश सरकार राज्य के नागरिकों की क्वालिटी ऑफ लाईफ में सुधार करने का प्रयास कर रही है। कृषि और हॉर्टीकल्चर को प्रमुखता दी जा रही है। प्रदेश की जीडीपी में 40 प्रतिशत योगदान देने वाले सेवा क्षेत्र के लिये भी नई नीति बनाई गई है। वस्तुतः यह समिट उत्तराखण्ड के सभी नागरिकों की है। राज्य में निवेश से रोजगार सृजन होगा,लोगों की आय में वृद्धि होगी और देश के विकास में उत्तराखण्ड प्रभावी भूमिका निभाएगा।पीएम मोदी ने बाबा केदार की भूमि से कहा था कि 21 वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का दशक होगा। इन्वेस्टर्स समिट इसी दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

उत्तराखंड में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी किसी भी प्रकार को कोताही बरतने को तैयार नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने इन्वेस्टर्स समिट के स्लोगन “Peace to Prosperity” से स्पष्ट कर दिया है कि इनवेस्टर्स समिट सिर्फ इंडस्ट्री डिपार्टमेंट की समिट नहीं है बल्कि यह पूरे राज्य की समिट है। मुख्यमंत्री ने पिछले वर्षों के अनुभवों से सीखते हुए बहुत से सुधार करने के दावे किए हैं।मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य की निवेशक केन्द्रित नीतियां,बुनियादी ढांचे में निवेश,कुशल जनशक्ति की उपलब्धता और गुड गवर्नेस के द्वारा उनके राज्य में स्वस्थ निवेश के वातावरण की नींव रखी जा रही है।

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