विदेशी मेहमान लौटे, दस कुरजां पीछे रही

जोधपुर, सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर सर्दी में राहत पाने मारवाड़ आई प्रवासी पक्षी कुरजां अब वापस स्वदेश लौट चुकी हैं। जोधपुर जिले के खींचन कस्बे में आए पच्चीस हजार से अधिक कुरजां में से करीब दस ही रह गई हैं।

अब खींचन के पक्षी प्रेमियों के लिए आने वाले दिनों में पड़ऩे वाली भीषण गर्मी में इनकी जान बचाने की चुनौती है। पूरे पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर जिले के खींचन में सबसे अधिक कुरजां डेरा जमाती है। मंगोलिया और साइबेरिया से आने वाले ये पक्षी पूरी सर्दी यहीं पर रहते है।

सर्दी के मौसम में पूरा खींचन पच्चीस हजार की कलरव से गुंजायमान रहता था। अब यहां करीब दस कुरजां बची है। ऐसा माना जाता है कि सैकड़ों किलोमीटर लंबी यात्रा करने में सक्षम नहीं होने वाले पक्षी यहीं पर रह जाते हैं। हर वर्ष दो या तीन कुरजां ही पीछे रहती है लेकिन इस बार दस कुरजां रह गई। इनमें से दो कुरजां हमेशा बैठी रहती हैं। खींचन में प्रवासी पक्षियों की सेवा में जुटे रहने वाले सेवाराम का कहना है कि आने वाले दिनों की गर्मी में इन्हें बचा कर रखना बेहद मुश्किल काम है।

तालाब में पानी तो है लेकिन दिन के समय इन्हें किस तरह तापमान से बचाया जाए यह सूझ नहीं रहा है। हर बरस धूप में पूरी तरह से बदल जाता है लेकिन वे किसी तरह सर्दी में लौट कर आने वाले अपने साथियों के इंतजार में लू के गरम थपेड़ों को सहन कर जिंदा रहती है। ऐसे में उम्मीद है कि इनमें से कुछ तो अवश्य बच जाएगी। ये दस कुरजां हमेशा की तरह रोजाना सुबह-शाम चुग्गा घर में दाना चुगने पहुंच जाती हैं। खींचन कस्बा फलोदी से सटा हुआ है। फलोदी पूरे प्रदेश में सबसे अधिक गरम रहने वाला स्थान है। यहां सर्दी भी बहुत अधिक पड़ती है।

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