नक्कारखाना शब्द की व्याख्या

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शब्द संदर्भ:- (85) नक्कारखाना

लेखक पार्थसारथि थपलियाल

जिज्ञासा 

चंडूखाना शब्द से प्रेरित, जोधपुर से भरत कुमार ने जानना चाहा है “नक्कारखाना” किसे कहते हैं?

समाधान

पुराने समय में राजदरबारों के बाहर, महलों के बाहर या चारों ओर से दीवार से घिरा शहर जिसमें अलग-अलग दिशाओं में द्वार रखे जाते थे। इन द्वारों के ऊपरी भाग में नौबत-शहनाई बजाने वाले कलाकारों के बैठने का स्थान होता था, उस स्थान को नौबतखाना कहते थे। नौबत बजाना शुभता के प्रतीक माना जाता है।

नौबत एक प्रकार का शुभकामनाओं से युक्त मंगल संगीत है। आज के दौर में भी कई विवाह अवसरों पर मुख्य द्वार के निकट नौबत बजाते हुए कलाकार मिल जाते हैं। नौबत जिस घन वाद्य पर बजाई जाती है उसे नक्कारा कहा जाता था। यह नक्कारा ही लोक जीवन में बोलते-बोलते मुखसुख के कारण नगाड़ा बन गया है।

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नगाड़ा एक लोक वाद्य है, इसके दो भाग होते है एक बड़ा नगाड़ा और दूसरा कुछ छोटा। दोनों यंत्र इतने निकट रखे जाते हैं कि दोनों वाद्ययंत्रों को एक साथ बजाय जा सके। साथ में शहनाई वादक समयानुसार शहनाई पर शुभता के प्रतीक धुन बजाता है। इसकी लयकारी नगाड़े के साथ मिलाई जाती है।

नक्कारखाना इतनी ऊंचाई पर बनाया जाता था कि द्वार के निकट से जाने वाले भीड़ भाड़ और शोर शराबे के कारण ठीक ढंग से सुनाई भी नही देता था। इस कारण कहावत शुरू हुई नक्कार खाने की तूती किसी ने सुनी किसी ने नही सुनी।

सामान्यतः नौबत बजानेवालों की अपनी वेशभूषा होती है जो बड़ी शालीन और विनम्रता को प्रदर्शित करती है। उत्तराखंड में नौबत ढोल, दमाऊ से बजाई जाती है। नौबत बजाना किसी ढोल वादक की कसौटी होती है। पुराने समय मे राजकीय घोषणाओं को जनता तक पहुंचाने के लिए नगाड़ा बजाया जाता था।

किसी सवारी जानवर की पीठ पर नगाड़े रखकर नगाड़ा बजाते हुए मुनादी करनेवाला बोलता सुनो! सुनो! सुनो….। नौटंकी में, भगत में, सांग/स्वांग में, ख़याल और रम्मत में, पूर्वांचल में सरवरी नृत्य में रामलीला गायन में, पारसी रंगमंच में, नगाड़े का उपयोग आज भी बहुत होता है।

नक्कारखाने के साथ अक्सर तूती शब्द सुना जाता है। जैसे नक्कारखाने की तूती अथवा उसकी तूती बोलना। ये दोनों मुहावरे हैं। तूती एक छोटी चिड़िया का नाम है, जो सुरीली और मीठी आवाज़ निकालती है। नक्कारखाने में तूती की आवाज़ शोर में दब जाती है। इसलिए कहा जाता है कि कोई समझदार आदमी यदि कमजोर है तो उसकी बात “नक्कारखाने की तूती” ही हो जाती है। वही अगर आदमी प्रभावशाली है तो समाज मे उसकी तूती बोलती है।

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