डाक का लिफाफा गलत व्यक्ति को वितरित करने पर पोस्ट ऑफिस पर हर्जाना

जोधपुर, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग द्वितीय ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में स्पीड पोस्ट डाक का लिफाफा प्राप्तकर्ता के बजाय गलत व्यक्ति को डिलेवरी करने पर डाक विभाग पर हर्जाना लगाया है। मामले के अनुसार मीरानगर, झालामंड चौराहा निवासी दिव्याकांक्ष पंवार ने आयोग में अधीक्षक,डाकघर, जोधपुर के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि मै. बायजूस कंपनी द्वारा जून, 2017 में स्पीड पोस्ट डाक से उसके पते पर स्टडी मैटीरियल का लिफाफा भिजवाया गया था, जो पोस्टमैन द्वारा उसे नहीं देकर अन्य किसी व्यक्ति को डिलेवरी कर दिया गया है। डाक विभाग की ओर से जबाव प्रस्तुत कर बताया गया कि  पोस्टमैन द्वारा यह लिफाफा अपने पास आये हुए उस व्यक्ति को वितरित कर दिया गया था, जिसने स्वयं को प्राप्तकर्ता होना बताया था।

पोस्ट आफिस अधिनियम की धारा 6 का भी बचाव लिया गया, जिसके अनुसार डाक कर्मचारी द्वारा जानबूझकर गड़बड़ी किया जाना साबित होने पर ही डाक विभाग को हर्जाना के लिए दोषी ठहराया जा सकता है। आयोग के अध्यक्ष डॉ श्याम सुन्दर लाटा, सदस्य डॉ अनुराधा व्यास, आनंद सिंह सोलंकी की बैंच ने सुनवाई के बाद निर्णय में कहा कि पोस्टमैन द्वारा लिफाफा पर अंकित पते पर जाने के बजाय अपने पास आये हुए किसी व्यक्ति की पहचान की जांच किए बिना ही उसे यह डाक दे दी गई, जबकि उसे लिफाफा पर अंकित पते के स्थान पर जाकर डाक वितरण की जानी चाहिए थी। प्राप्ति के हस्ताक्षर भी प्राप्त कर्ता के बजाय अन्य व्यक्ति के होना स्पष्ट जाहिर होते हैं, जिससे डाक कर्मचारी की लापरवाही स्पष्ट साबित होती है।

आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि डाकघर अधिनियम की धारा 6 लापरवाह कर्मचारियों को बचाव व  सुरक्षा देने हेतु निरंकुश लाइसेंस नहीं है तथा डाक विभाग अपने कर्मचारियों की सेवा में त्रुटि के लिए हर्जाने के लिए उत्तरदायी है। आयोग ने डाक विभाग की सेवाओं में कमी साबित मानते हुए परिवादी को कारित शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के निमित पांच हजार रुपये व परिवाद खर्च के पच्चीस सौ रुपए डाक विभाग द्वारा परिवादी को अदा करने के लिए आदेश दिया है।

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