सीएमएचओ नहीं कर सकता किसी चिकित्सक को एपीओ

  • राजस्थान हाईकोर्ट
  • सक्षम अधिकारी ही जारी कर सकता है कार्मिक का एपीओ आदेश

जोधपुर(डीडीन्यूज),सीएमएचओ नहीं कर सकता किसी चिकित्सक को एपीओ। राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि सीएमएचओ किसी चिकित्सक को एपीओ नहीं कर सकता है। इसके लिए सक्षम अधिकारी ही कार्मिक को एपीओ जारी के आदेश दे सकता है। याचिकाकर्ता वरिष्ठ डॉक्टर रमेशचंद्र की याचिका पर न्यायाधीश रेखा बोराणा ने राहत दी। अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने इसकी पैरवी की।

पाली के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बूसी (रानी ब्लॉक) के इन्चार्ज याचिकाकर्ता डॉ.रमेश चंद्र की ओर से अधिवक्ता यशपाल ख़िलेरी ने रिट याचिका पेश कर बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2013 से चिकित्सा अधिकारी पद पर नियमित नियुक्त होकर छह साल की आवश्यक संतोषजनक सेवा पूर्ण करने के बाद वर्तमान में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी के रूप में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बूसी के इन्चार्ज पद पर कार्यरत है।
शिकायतकर्ता महिला 05 जून, 2025 की रात्रि 11 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बूसी में प्रिप्लानिंग से आते ही स्वयं को मरीज़ बताते हुए ब्लड प्रेशर इत्यादि चेक करने और ड्रिप चढ़ाने के लिए दवाब बनाने लगी। मरीज़ की सभी आवश्यक जांचे और चैकअप करने के बाद पाया कि वह बिल्कुल नॉर्मल है और कोई भी इंजेक्शन या ड्रिप चढ़ाने की जरूरत नही पाई गई। बावजूद इसके,ड्रिप चढ़ाने के लिए वह दवाब बनाने लगी और ऐसा नहीं करने पर नौकरी करना भुला देने जैसी धमकियां देने लगी। स्वयं को किसी राजनीतिक दल की स्थानीय पूर्व पार्षद बताते हुए धमकियां देने लगी।

उक्त समस्त कार्यवाही अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद भी हो गई। किसी भी मरीज़ का चैक कर उसका इलाज करना और आवश्यक दवाईयां इत्यादि देना चिकित्सक का ही काम व दायित्व है,न कि मरीज के कहेनुसार दवाइयों एवं इलाज देना।जांच में सबकुछ नॉर्मल होने के बावजूद शिकायतकर्ता द्वारा स्वयं के ड्रिप चढ़ाने पर अड़ जाने और ड्रिप नहीं चढ़ाने को लेकर चिकित्सा कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार और अपशब्द बोलते हुए रजिस्टर इत्यादि फाड़ दिए और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाई गयी। जिसकी पुलिस रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है।

तत्पश्चात उक्त शिकायतकर्ता महिला अगले दिन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी,पाली के पास पहुंच गई औऱ उक्त ड्रिप नही चढ़ाने की घटना को लेकर बढ़चढ़ कर एक झूंठी लिखित शिकायत दी। उस झूठी शिकायत को ही सत्य मानकर सीएमएचओ,पाली ने आदेश 06जून 2025 जारी कर याचिकाकर्ता को एपीओ करते हुए उसका मुख्यालय सयुंक्त निदेशक,जोधपुर कर दिया गया,जो उसके क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर किया गया। सीएमएचओ पाली याचिकाकर्ता का न तो नियुक्ति अधिकारी है और न ही अनुशासनात्मक प्राधिकारी हैं। फ़िर भी मात्र एक झूंठी शिकायत पर एपीओ /पदस्थापन की प्रतीक्षा में आदेश जारी करना विधिविरुद्ध हैं।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ख़िलेरी ने बहस के दौरान बताया कि वर्तमान में स्थानान्तरण/एपीओ आदेश करने पर राज्य सरकार का स्पष्ट बैन है व चिकित्सा मंत्री ने भी सभी विभागीय अधिकारियों को एपीओ इत्यादि आदेश जारी करने पर मनाही कर रखी है और राजस्थान सेवा नियम में सक्षम प्राधिकारी को परिभाषित करते हुए एक चिकित्सक के लिए सक्षम प्राधिकारी उसका प्रशासनिक विभाग अर्थात चिकित्सा विभाग का प्रमुख शासन स्वास्थ्य सचिव होता है और वर्तमान सीएमएचओ,पाली ख़ुद याचिकाकर्ता का समकक्ष अधिकारी हैं जो याचिकाकर्ता का नियुक्ति/नियंत्रण अधिकारी तक नहीं है।।

अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरो की जांच में भी यह पाया गया कि शिकायतकर्ता महिला के साथ कोई भी अनुसूचित जातिसूचक शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया और न ही अपशब्द बोलने व दुर्व्यवहार करने जैसा पाया गया बल्कि इसके उलट जांच अधिकारी ने शिकायतकर्ता स्वयं को चिकित्साकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने,उकसाने व ऊँची आवाज में अशिष्ट भाषा का प्रयोग करने का दोषी माना है।

सेवा विधि में यह सुस्थापित नियम है कि केवल शिकायत को आधार बनाकर किसी भी राजकीय कार्मिक को एपीओ और स्थानान्तरण नहीं किया जा सकता हैं। राजनैतिक दवाब में असक्षम अधिकारी/सीएमएचओ,पाली द्वारा बिना देखे समझे और बिना अधिकारिता के एपीओ आदेश जारी करना गैर कानूनी और असंवैधानिक हैं। झूठी शिकायत पर आंख मूंदकर एपीओ आदेश करने से एक ईमानदार व कर्तव्यनिष्ठ कार्मिक का मनोबल गिरता है और सामाजिक प्रतिष्ठा को भी धक्का लगता है।

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उच्च न्यायालय एकलपीठ का ध्यान इस ओर भी दिलाया गया कि एपीओ आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा राजस्थान सेवा नियम के प्रावधान नियम 7(6) और 25-क के अनुसार ही किया जाना चाहिए। पूर्व न्यायिक निर्णयों यथा डॉ सुकुमार कश्यप बनाम राजस्थान राज्य और डॉ महेश कुमार पंवार बनाम राजस्थान सरकार निर्णयों में भी यही सिद्धांत प्रतिपादित किया जा चुका है।

हाइकोर्ट एकलपीठ ने रिकॉर्ड का परिशीलन कर याचिकाकर्ता की रिट याचिका स्वीकारते हुए सीएमएचओ पाली द्वारा जारी एपीओ आदेश 06 जून 2025 को निरस्त करते हुए एपीओ मामलों में यह महत्वपुर्ण व्यवस्था दी कि एपीओ आदेश सक्षम प्राधिकारी द्वारा ही जारी किया जा सकता है और सीएमएचओ किसी वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी का एपीओ आदेश जारी करने के लिए सक्षम अधिकारी नहीं है।