परमवीर मेजर शैतानसिंह के बलिदान दिवस पर समारोह आयोजित
- प्रशासन, सेना, पूर्व सैनिको,नागरिकों व विभिन्न संगठनों ने की पुष्पांजलि अर्पित
- परमवीर का स्मरण किया
- पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ आयोजित हुआ समारोह
- रीथ लेइंग सेरेमनी से दी परमवीर को सलामी
जोधपुर,18 नवम्बर 1962 के भारत-चीन युद्ध में अदम्य शौर्य व सर्वोच्च वीरता का प्रदर्शन करते हुए बलिदान देने वाले परमवीर चक्र मेजर शैतान सिंह के बलिदान दिवस पर गुरूवार को प्रातः 9.45 बजे पावटा स्थित परमवीर सर्कल पर पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ श्रद्धांजलि समारोह आयोजित हुआ। समारोह में सेना, प्रशासन, पूर्व सैन्य अधिकारियों, सैनिको, नागरिकों व विभिन्न संगठनो द्वारा परमवीर की प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित कर उन्हे नमन किया।
रीथ लेइंग सेरेमनी
समारोह ने रीथ लेइंग सेरेमनी में मैकेनाइज इन्फ्रेन्ट्री ने शस्त्र उल्टे कर शोक, मौन सलामी व अन्तिम सलामी दी व पाइप बैंड दस्ते ने मातमी व सलामी धुन प्रस्तुत की।
इन्होने किए पुष्प चक्र अर्पित
समारोह में परमवीर की प्रतिमा के समक्ष जीओसी 12 कोर की ओर से ब्रिगेडियर एमएस यरनल, अतिरिक्त जिला कलक्टर शहर द्वितीय सत्यवीर यादव, जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल दिलीप सिंह खंगारोत, परमवीर के परिजन वीर आदित्य सिंह ने पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
मरणोपरान्त मिला परमवीर चक्र
परमवीर मेजर शैतानसिंह ने अत्यन्त शौर्य व सर्वोच्च वीरता के साथ कुमांउ की चारली कम्पनी को कमाण्ड करते हुए चुशुल सेक्टर के रेजांगला में 18 हजार फीट की उंचाई से लड़ते हुए 18 नवम्बर 1962 को शहीद हुए। भारी बर्फ गिरने के कारण उनका शव तीन माह बाद मिला व 18 फरवरी 1963 को जोधपुर में सैन्य सम्मान के साथ दाह संस्कार किया गया। परमवीर को मरणोपरान्त 26 जनवरी 1963 को राष्ट्रपति द्वारा देश का सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनकी धर्मपत्नि सुगन कंवर ने दिल्ली में प्राप्त किया था।
भारत-चीन युद्ध में जोधपुर जिले के यह भी हुए शहीद
1962 के भारत-चीन युद्ध में जोधपुर जिले के नारवा के सुबेदार बलवन्तसिंह खीची, बेरू के लांस नायक रिडमलसिंह, सरेचा के भवानीसिंह, लोरडी के सिपाही विजयसिंह, रूदिया के करणासिंह, बारा के जेठाराम, बावडी के ग्रेनेडियर गनी खान, खांगटा के भीखाराम, भीकमकोर के सुजानसिंह, लोडता के सिपाही मालमसिंह, खनाडी के जमादार रणजोत सिंह, उटवालिया के नायक बलवन्त सिंह, बस्तवा के सिपाही रामसिंह, बेलवा के लांस नायक दीपसिंह, पीलवा के हवलदार रतनसिंह, खुडियाला के पायनियर मानसिंह, सोलंकिया तला के नायक बिरदसिंह, लूणा के लांसनायक अगरसिंह व जमादार परबतसिंह शहीद हुए थे।
चौपासनी विधालय के विधार्थियों ने किया अपने पूर्व छात्र को नमन
चौपासनी विधालय के केशरिया साफा पहनकर आये 51 छात्रों ने शिक्षक अर्जुनसिंह राठौड के नेतृत्व में विधालय के पूर्व छात्र परमवीर मेजर शैतान सिंह की प्रतिमा के समक्ष बलिदान दिवस पर पुष्प अर्पित कर उन्हे नमन किया।
परमवीर को इन सैन्य व पूर्व सैन्य अधिकारी व गौरव सैनिको ने पुष्प अर्पित किए। समारोह में मेजर जनरल शेरसिंह, ब्रिगेडियर शक्ति सिंह, परमवीर के भाई कमाण्डेट पृथ्वीसिंह भाटी, मारवाड राजपूत सभा अध्यक्ष हनुमानसिंह खांगटा, महेन्द्र सिंह भाटी, कर्नल लक्ष्मणसिंह, कर्नल देवपालसिंह, कर्नल बजरंगसिंह, कर्नल एसडी गोस्वामी, कर्नल उदयसिंह, कर्नल धनसिंह भाटी, मेजर रामसिंह, लेफ्टिनेट कर्नल गोपालसिंह भाटी, अमरसिंह भाटी, कर्नल रतनदीप, सूबेदार मेजर रतनसिंह, टीकूराम, कोजाराम, सूबेदार रामसिंह, आनरेरी केप्टिन छतरसिंह, जिला सैनिक कल्याण कार्यालय के कैलाश चन्द्र शर्मा व पुष्पेन्द्र सिंह सहित अनेक सैन्य व पूर्व सैन्य अधिकारियों व गौरव सैनिकों॥ ने पुष्प अर्पित कर परमवीर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
विभिन्न संगठनो व नागरिकों ने दी श्रद्धांजली समारोह में राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रमेश बोराणा, प्रो. अयुब खान, सेवानिवृत आरपीएस नाथूसिंह भाटी, मारवाड राजपूत सभा के अध्यक्ष हनुमान सिंह खांगटा, विश्वविधालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. डूंगरसिंह खीची, शिक्षक नेता शम्भूसिंह मेडतिया, राजेन्द्रसिंह लीलिया, शिवमंगलसिंह, श्रवणसिंह भाटी, विजय शर्मा, भंवरलाल जाखड सहित अनेक नागरिकों ने पुष्प अर्पित किए।
अमृत महोत्सव समिति ने किया परमवीर के परिजनों का सम्मान समारोह स्थल पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत जिला संयोजक पूर्व पार्षद ओमकार वर्मा, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व अध्यक्ष रमेश बोराणा, पार्षद नरेश जोशी, सत्यनारायण गौड, राज इश्याक अली, विजय लक्ष्मी पटेल, प्रो. डी एस खीची, हनुमानसिंह खागटा, प्रवीण आर्य, रोशन सांखला, दिव्या गहलोत, दौलतसिंह सांखला, कुसुम श्रीमाली, विजय शर्मा, कमल अवस्थी व कैलाशदान चारण ने परमवीर मेजर शैतानसिंह के भाई पृथ्वीसिंह भाटी व पौत्र वीर आदित्य सिंह का शाॅल ओढाकर, स्मृति चिन्ह देकर व सूत की माला पहना कर सम्मान किया।
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