बाबा रामदेव का मसूरिया मेला संपन्न

दसवीं की महा आरती के साथ 351 किलो पेड़े वितरित

जोधपुर(डीडीन्यूज),बाबा रामदेव का मसूरिया मेला संपन्न। मारवाड़ के महाकुंभ के रूप में विख्यात लोक देवता बाबा रामदेव का मसूरिया मेला आज भाद्रपद शुक्ल दशमी के अवसर पर जोधपुर की मसूरिया पहाड़ी पर श्रद्धापूर्वक समापन हुआ। बाबा रामदेवजी मंदिर प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी रंजन दईया ने बताया कि मेले के अंतिम दिन बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ जी की समाधि मंदिर में सुबह 6 बजे 51 ज्योतों के साथ भव्य महाआरती की गई, जिसमें हजारों भक्तों ने हिस्सा लिया।

इस अवसर पर 351 किलो पेड़ों का प्रसाद भक्तों में वितरित किया गया। लाखों श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, भक्ति में डूबा मसूरिया मंदिर,जो बाबा रामदेव और उनके गुरु बालीनाथ जी की समाधि के लिए प्रसिद्ध है,मेले के दौरान भक्ति का केंद्र रहा। इस वर्ष मेले में राजस्थान, गुजरात,मध्य प्रदेश,हरियाणा,उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु पहुंचे।

ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र चौहान ने बताया कि पिछले 15 दिनों में 10 लाख से अधिक भक्तों ने मसूरिया मंदिर में दर्शन किए। दशमी के दिन 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए। महाआरती और प्रसाद वितरण का विशेष महत्व मसूरिया मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित इस मेले का समापन संध्या आरती के बाद विधिवत रूप से किया गया। संध्या आरती के बाद भक्तों के बीच 351 किलो पेड़ों का प्रसाद वितरित किया गया,जो बाबा रामदेव के प्रति श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का प्रतीक रहा।

मंदिर परिसर में भजन संध्या और धार्मिक अनुष्ठानों ने भक्तों को भक्ति के रंग में सराबोर कर दिया। मेले में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र में 500 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे,56 सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी की गई। महिला सुरक्षा के लिए विशेष कालिका टीम भी सक्रिय थे।

श्रीपीपा क्षत्रिय समस्त न्याति सभा ट्रस्ट के सचिव नरेंद्र गोयल,उपाध्यक्ष शिव प्रकाश दईया,दिनेश गोयल, दिनेश प्रकाश पंवार,कोषाध्यक्ष पुरुषोत्तम राखेचा सहित 300 से अधिक स्वयंसेवकों ने व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

621 साल पुरानी अखंड ज्योत की महिमा

मसूरिया मंदिर में पिछले 621 वर्षों से जल रही अखंड ज्योत भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रही। मान्यता है कि बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ ने मसूरिया पहाड़ी पर तपस्या की थी और यहीं समाधि ली थी। इस मेले में बाबा के दर्शन करने से पहले उनके गुरु के दर्शन की परंपरा भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने का प्रतीक मानी जाती है।

मसूरिया से रामदेवरा की यात्रा:- मसूरिया मेले के समापन के बाद कई भक्त जैसलमेर जिले के रामदेवरा (रूणीचा) की ओर रवाना हुए,जहां बाबा रामदेव की समाधि पर दर्शन का विशेष महत्व है। पैदल यात्रा करने वाले भक्तों के जत्थे, ध्वजाओं और जयकारों के साथ अपनी आस्था की यात्रा को और गहरा करते हैं।

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सामाजिक समरसता का प्रतीक:- बाबा रामदेव का मेला न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है,बल्कि सामाजिक समरसता और सांप्रदायिक एकता का भी प्रतीक है। मेले में विभिन्न समुदायों के लोग एक साथ बाबा के दर्शन और पूजा- अर्चना में शामिल हुए,जिसने मारवाड़ की सांस्कृतिक विरासत को और समृद्ध किया।

जोधपुर के इस ऐतिहासिक मेले ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बाबा रामदेव की आस्था न केवल राजस्थान,बल्कि पूरे देश में लाखों लोगों के दिलों में बसी हुई है। मेले का समापन भक्तों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा,जो अगले वर्ष फिर से इस पवित्र स्थल पर लौटने का संकल्प लेकर विदा हुए।